ढाका: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ. मोहम्मद यूनुस की हालिया विदेश नीति के फैसले वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बने हुए हैं. BIMSTEC समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बावजूद, बांग्लादेश ने चीन और पाकिस्तान के साथ रणनीतिक साझेदारियों को आगे बढ़ाने के संकेत दिए हैं. इनमें प्रमुख रूप से एक बंदरगाह और एक सैन्य एयरबेस शामिल हैं.
चीन को मोंगला पोर्ट का विस्तार प्रोजेक्ट
बांग्लादेश ने कोलकाता से मात्र 200 किलोमीटर दूर स्थित मोंगला पोर्ट के विस्तार का कार्यभार चीन को सौंपा है. यह निर्णय यूनुस की हालिया बीजिंग यात्रा के दौरान लिया गया, जिसमें चीन ने इस परियोजना के लिए 400 मिलियन डॉलर (करीब 3,300 करोड़ रुपये) की सहायता देने का वादा किया. इस कदम को क्षेत्रीय व्यापार और सामरिक संतुलन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
लालमोनिरहाट में नया एयरबेस
बांग्लादेश सरकार लालमोनिरहाट जिले में एक सैन्य एयरबेस विकसित कर रही है, जो भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को जोड़ने वाले संवेदनशील 'सिलीगुड़ी कॉरिडोर' से केवल 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस एयरबेस को उन्नत बनाने के लिए बांग्लादेशी वायुसेना के पायलटों को पाकिस्तान में प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे JF-17 फाइटर जेट्स को संचालित करने में सक्षम हो सकें. 27 मार्च को पांच अधिकारियों को इस प्रशिक्षण के लिए भेजा भी गया था.
भारत के लिए नई रणनीतिक चुनौतियां
बांग्लादेश में सरकार परिवर्तन के साथ ही क्षेत्रीय कूटनीति में बदलाव देखने को मिल रहे हैं. चीन पहले ही बांग्लादेश को पनडुब्बियां प्रदान कर चुका है और अब बंगाल की खाड़ी में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है. वहीं, पाकिस्तान के साथ बढ़ता सैन्य सहयोग भारत की सुरक्षा चिंताओं को और गहरा बना सकता है.
बांग्लादेश में पूर्ववर्ती सरकार के दौरान ‘इंडिया आउट’ अभियान जोर पकड़ चुका था, और अब यूनुस की पार्टी NCP खुलेआम भारत की भूमिका पर सवाल उठा रही है. हाल ही में पार्टी के स्थापना दिवस पर पाकिस्तान के उच्चायुक्त को आमंत्रित किया जाना भी इसी नीति का हिस्सा माना जा रहा है.
पूर्वोत्तर भारत पर विवादित बयान
यूनुस की चीन यात्रा के दौरान उन्होंने भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को 'लैंड लॉक्ड' (स्थल से घिरा हुआ) बताया और कहा कि बांग्लादेश उनके लिए समुद्री मार्ग तक पहुंच का एकमात्र माध्यम है. इस बयान के बाद पूर्वोत्तर भारत के कई नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में नया तनाव पैदा होने की संभावना जताई जा रही है.
बांग्लादेश के इन कूटनीतिक फैसलों के प्रभाव दीर्घकालिक होंगे, और भारत की विदेश नीति में भी इस पर प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है.
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