Earthquake News: धरती की सतह पर जो कुछ भी नजर आता है, वो हमेशा स्थिर नहीं होता. असल में, हमारे पैरों के नीचे की धरती हर वक्त किसी न किसी हलचल से गुजर रही होती है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है—भारतीय टेक्टोनिक प्लेट दो भागों में बंटने की प्रक्रिया में है. ये नई भूगर्भीय खोज न सिर्फ हिमालयी क्षेत्र की बनावट को प्रभावित कर सकती है, बल्कि बड़े भूकंपों की संभावना को भी बढ़ा सकती है.
क्या है पूरा मामला?
एक नई स्टडी में सामने आया है कि भारतीय प्लेट, जो पिछले करीब 6 करोड़ वर्षों से यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है, अब “डेलैमिनेशन” नामक प्रक्रिया से गुजर रही है. इस प्रक्रिया में प्लेट का घना और भारी हिस्सा पृथ्वी के भीतर स्थित मेंटल में समा रहा है. यही वजह है कि भारतीय प्लेट के भीतर एक गहरी और लंबवत दरार बन रही है, जो भविष्य में बड़े भूगर्भीय बदलाव का कारण बन सकती है.
डेलैमिनेशन कैसे बदल रही है धरती की बनावट?
डेलैमिनेशन कोई आम प्रक्रिया नहीं है. इसमें प्लेट का निचला हिस्सा टूटकर पृथ्वी के अंदर चला जाता है, जिससे सतह पर मौजूद हिस्सा कमजोर होने लगता है. वैज्ञानिकों ने तिब्बती क्षेत्र में आने वाले भूकंपों की तरंगों और हीलियम समस्थानिकों का विश्लेषण कर इस नई हलचल का पता लगाया. इस रिसर्च को अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन में प्रकाशित किया गया है.
यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी के भूगर्भशास्त्री डौवे वैन हिंसबर्गेन का कहना है कि इस खोज ने वैज्ञानिकों की वर्षों पुरानी समझ को झकझोर दिया है. “हमें अंदाजा नहीं था कि महाद्वीप इस तरह का व्यवहार कर सकते हैं. यह भूगर्भीय विज्ञान के लिए एक बड़ी और नई खोज है,” उन्होंने कहा.
हिमालय और तिब्बती क्षेत्र पर असर
हिमालय क्षेत्र पहले से ही एक संवेदनशील भूकंपीय ज़ोन माना जाता है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के भूभौतिकी विशेषज्ञ साइमन क्लेम्परर बताते हैं कि इस क्षेत्र में पहले से ही कई दरारें मौजूद हैं, जो धरती की पपड़ी में लगातार तनाव पैदा कर रही हैं. अब जब डेलैमिनेशन जैसी प्रक्रिया चल रही है, तो यह तनाव और बढ़ सकता है, जिससे भविष्य में अधिक तीव्र और लगातार भूकंप आने की संभावना है.
अभी यह शुरुआत भर है
भले ही इस रिसर्च में कई अहम बातें सामने आई हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अभी सिर्फ एक शुरुआती संकेत है. अभी और गहराई से अध्ययन करने की जरूरत है ताकि पता लगाया जा सके कि डेलैमिनेशन की यह प्रक्रिया कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है और इसके असर कितने गहरे होंगे.
भूगर्भीय बदलाव रातोंरात नहीं होते, लेकिन जब होते हैं तो उनके नतीजे भारी पड़ सकते हैं. ऐसे में यह नई खोज न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से अहम है, बल्कि भारत और खासकर हिमालयी क्षेत्रों के भविष्य को लेकर एक गंभीर चेतावनी भी है.
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