ग्लाइड बम 'गौरव' से दुश्मनों के छूट जाएंगे पसीने! घर में घुसकर करेगा वार; 100 किलोमीटर है इसकी मार

Glide Bomb: भारतीय वायुसेना अब मिसाइलों के साथ-साथ लंबी दूरी तक मार करने वाले बम भी अपने ज़खीरे में शामिल कर रही है. इस बम का नाम है ‘गौरव’, जो कि पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बना है. गौरव एक ऐसा बम है जिसे लड़ाकू विमान से छोड़ा जाता है और यह हवा में 100 किलोमीटर तक उड़कर टारगेट पर सटीक वार कर सकता है.

ग्लाइड बम 'गौरव' से दुश्मनों के छूट जाएंगे पसीने! घर में घुसकर करेगा वार; 100 किलोमीटर है इसकी मार
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Glide Bomb: भारतीय वायुसेना अब मिसाइलों के साथ-साथ लंबी दूरी तक मार करने वाले बम भी अपने ज़खीरे में शामिल कर रही है. इस बम का नाम है ‘गौरव’, जो कि पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बना है. गौरव एक ऐसा बम है जिसे लड़ाकू विमान से छोड़ा जाता है और यह हवा में 100 किलोमीटर तक उड़कर टारगेट पर सटीक वार कर सकता है. इसका वजन 1000 किलो है. इसे भारत की रक्षा अनुसंधान संस्था DRDO ने तैयार किया है.

 सफल हुआ ट्रायल
आपको बता दें कि 8 अप्रैल को DRDO ने ओडिशा के चांदीपुर टेस्ट रेंज में इसका ट्रायल किया.यह ट्रायल वायुसेना के सुखोई-30 लड़ाकू विमान से किया गया. बम ने द्वीप पर बनाए गए लक्ष्य को सटीकता से निशाना बनाया.
इस पूरे परीक्षण को DRDO और वायुसेना के अधिकारी मॉनिटर कर रहे थे.

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क्या होता है ग्लाइड बम?
यह बम हवा में ग्लाइड करता है यानी滑ता है, जिससे यह टारगेट तक पहुँचता है. इसमें विंग (पंख) लगे होते हैं, जो बम को हवा में दिशा और दूरी देते हैं.  इसे विमान से काफी ऊंचाई से छोड़ा जाता है, जिससे यह बहुत दूर तक जा सकता है. इसकी तुलना में सामान्य बम की रेंज सिर्फ 5-10 किमी होती है. बूस्टर वाले बम: एयरक्राफ्ट से गिरते ही बूस्टर स्टार्ट हो जाता है और बम को आगे ले जाता है, फिर उसके पंख खुलते हैं. बिना बूस्टर वाले बम: इनमें सीधे पंख खुलते हैं और ये हवा में ग्लाइड करते हैं.

गौरव की खासियत ?

  • पूरी तरह स्वदेशी बम
  • 100 किलोमीटर तक की रेंज
  • हाइब्रिड नेविगेशन सिस्टम से सटीक निशाना
  • इसका पहला परीक्षण 2014 में हुआ था
  • अब यूजर ट्रायल की तैयारी है, इसके बाद इसे वायुसेना में शामिल किया जाएगा
  • 'गौतम' है गौरव का छोटा भाई. बता दें कि गौरव बम के अलावा एक और बम तैयार किया जा रहा है, जिसका नाम है ‘गौतम’.
  • इसकी रेंज लगभग 30 किलोमीटर होगी
  • इसमें गौरव की तरह विंग नहीं होंगे
  • यह अभी विकास के चरण में है