UPI यूज करने पर लग सकता है चार्ज, पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया ने पीएम को लिखा लेटर, MDR नीति पर चर्चा

डिजिटल भुगतान प्रणाली में एक बड़ा बदलाव हो सकता है क्योंकि सरकार यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और रुपे डेबिट कार्ड पर मर्चेंट शुल्क (MDR) लागू करने पर विचार कर रही है.

There may be a charge for using UPI Payment Council of India wrote a letter to the PM MDR policy discussed
प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

नई दिल्ली: डिजिटल भुगतान प्रणाली में एक बड़ा बदलाव हो सकता है क्योंकि सरकार यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और रुपे डेबिट कार्ड पर मर्चेंट शुल्क (MDR) लागू करने पर विचार कर रही है. इस प्रस्ताव को लेकर पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर चिंता व्यक्त की है और सरकार से जीरो MDR नीति को बनाए रखने की अपील की है.

MDR शुल्क लगाने पर क्यों विचार हो रहा है?

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों ने सरकार को एक औपचारिक प्रस्ताव सौंपा है, जिसमें उन व्यापारियों पर MDR लगाने की सिफारिश की गई है जिनका वार्षिक जीएसटी टर्नओवर 40 लाख रुपये से अधिक है. इस प्रस्ताव के अनुसार:

  • छोटे व्यापारियों के लिए लेनदेन को निःशुल्क रखा जाएगा.
  • बड़े व्यापारियों से UPI और रुपे डेबिट कार्ड पर ट्रांजैक्शन शुल्क वसूला जा सकता है.
  • टायर्ड प्राइसिंग सिस्टम के तहत, बड़े व्यापारियों पर अधिक शुल्क लागू किया जाएगा.

बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि व्यापारी पहले से ही वीजा और मास्टरकार्ड जैसे अन्य भुगतान विकल्पों पर MDR चुका रहे हैं, तो उन्हें UPI और रुपे कार्ड के लिए भी शुल्क देना चाहिए.

MDR शुल्क पहले क्यों हटाया गया था?

सरकार ने 2022 के बजट में डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए UPI और रुपे डेबिट कार्ड पर MDR शुल्क समाप्त कर दिया था. इस निर्णय के बाद UPI देश का सबसे लोकप्रिय भुगतान माध्यम बन गया और रुपे डेबिट कार्ड का उपयोग भी बढ़ा.

कैसे काम करता है MDR?

MDR वह शुल्क है जो व्यापारी को ग्राहक के भुगतान को प्रोसेस करने के लिए बैंक को देना पड़ता है. पहले यह शुल्क 1% से भी कम था, लेकिन सरकार ने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए इसे हटा दिया था.

UPI के बढ़ते उपयोग के आंकड़े

UPI ट्रांजैक्शन में निरंतर वृद्धि देखी गई है:

  • फरवरी 2025 में UPI के जरिए 1611 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी कुल राशि 21.96 लाख करोड़ रुपये थी. यह पिछले वर्ष की तुलना में 33% अधिक है.
  • फरवरी 2024 में UPI के जरिए 1210 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए थे, जिनकी कुल राशि 18.28 लाख करोड़ रुपये थी.
  • जनवरी 2025 की तुलना में फरवरी में ट्रांजैक्शन में 5% की गिरावट दर्ज की गई.

उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया और व्यापारिक संगठनों ने इस प्रस्ताव पर चिंता जताई है. उनका मानना है कि:

  • छोटे व्यापारी पहले से ही सीमित संसाधनों में काम कर रहे हैं और इस शुल्क से उनका व्यवसाय प्रभावित हो सकता है.
  • UPI ट्रांजैक्शन पर शुल्क लगाने से डिजिटल भुगतान को अपनाने की रफ्तार धीमी हो सकती है.
  • बड़े व्यापारी पहले से ही अन्य डिजिटल भुगतान विकल्पों के लिए शुल्क अदा कर रहे हैं, इसलिए उन्हें अतिरिक्त शुल्क से बचाना चाहिए.

सरकार के इस प्रस्ताव को लेकर चर्चाएं जारी हैं और इसे लागू करने से पहले विभिन्न पक्षों की राय ली जा सकती है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है.

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