'हिंदुओं ने भौतिकता पर विजय पाई है', पुतिन के गुरु ने ट्रंप को बताई भारत की असली ताकत, जानें क्या कहा

    जब कोई विदेशी विद्वान भारत की संस्कृति, दर्शन और आत्मिक शक्ति की खुले दिल से सराहना करता है, तो यह न केवल गर्व का विषय होता है बल्कि आत्मचिंतन का भी अवसर बन जाता है.

    Putin guru Alexander Dugin told Trump the real strength of India
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Sociel Media

    मॉस्को: जब कोई विदेशी विद्वान भारत की संस्कृति, दर्शन और आत्मिक शक्ति की खुले दिल से सराहना करता है, तो यह न केवल गर्व का विषय होता है बल्कि आत्मचिंतन का भी अवसर बन जाता है. रूस के मशहूर दार्शनिक, विचारक और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के राजनीतिक गुरु अलेक्जेंडर डुगिन ने हाल ही में भारत को लेकर जो बयान दिया है, वो पूरी दुनिया को सोचने पर मजबूर कर देता है.

    उनकी एक चेतावनी है उस भौतिकतावादी सोच के लिए, जिसने वर्षों से आध्यात्मिकता को कमतर आंकने की भूल की है.

    डुगिन ने अमेरिका को दिखाई भारत की ताकत

    अलेक्जेंडर डुगिन, जिन्हें रूस में पुतिन का ‘राजनीतिक मस्तिष्क’ कहा जाता है, उन्होंने अमेरिका को दो टूक शब्दों में नसीहत दी है कि भारत को हल्के में लेना बहुत बड़ी भूल होगी. डोनाल्ड ट्रंप के दौर में भारत को लेकर जो टैरिफ वॉर और आर्थिक छींटाकशी देखी गई, उस पर डुगिन ने गहरा असंतोष जताया.

    उनका मानना है कि भारत केवल एक बाजार या रणनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महाशक्ति है. उन्होंने कहा, “भारतीय संस्कृति भौतिक जगत का तिरस्कार करती है. हिंदुओं ने आध्यात्मिक चिंतन का उच्चतम स्तर विकसित किया है.” उनके अनुसार, जब हिंदू इस भौतिक जगत की ओर ध्यान देना शुरू करते हैं, तो वे हर चुनौती पर विजय पा लेते हैं.

    हिंदुओं की आध्यात्मिकता सबसे बड़ी शक्ति

    डुगिन के बयान के पीछे केवल भावनात्मक जुड़ाव नहीं, बल्कि एक गहरी राजनीतिक और दार्शनिक दृष्टि छिपी है. उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम का समय अब समाप्त हो रहा है और अब वह दौर शुरू हो रहा है जहां भारत, रूस, चीन, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे देश नए शक्ति केंद्र बनकर उभर रहे हैं.

    उनके शब्दों में, “यह भौतिकवादी पश्चिम की बारी है कि वह हंसे और तिरस्कार करे, लेकिन सच्चाई यही है कि आध्यात्मिकता सबसे बड़ी शक्ति है.” इस वक्तव्य के जरिए उन्होंने अमेरिका और यूरोप की उस मानसिकता को भी ललकारा है जो खुद को दुनिया का केन्द्र मानती है.

    दिल्ली दौरे में डुगिन ने क्या कहा था?

    अलेक्जेंडर डुगिन ने 2023 में दिल्ली के रूसी विज्ञान एवं संस्कृति केंद्र में एक बेहद विचारोत्तेजक भाषण दिया था. उन्होंने कहा था कि आज की वैश्विक राजनीति मल्टीपोलर वर्ल्ड की ओर बढ़ रही है, जहां अब केवल पश्चिमी देश ही नीति नहीं बनाएंगे, बल्कि भारत जैसे देश भी निर्णायक भूमिका निभाएंगे.

    उनका कहना था कि भारत दुनिया में एक संतुलनकारी शक्ति है, जो चीन की आक्रामकता और इस्लामी ध्रुव के बीच मध्य मार्ग खोजता है. उन्होंने भारत को वैश्विक संतुलन का रक्षक बताया और कहा कि “बहुध्रुवीय विश्व की दिशा भारत से होकर गुज़रती है.”

    ट्रंप प्रशासन और भारत के बीच टकराव

    डुगिन का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकारों ने भारत को लेकर कई विवादास्पद टिप्पणियां की थीं. उनके आर्थिक सलाहकार पीटर नवारो ने यहां तक कह दिया कि “भारत के ब्राह्मणों को रूसी तेल से लाभ मिल रहा है.” ऐसे शब्द न केवल कूटनीतिक मर्यादाओं का उल्लंघन करते हैं, बल्कि यह दर्शाते हैं कि पश्चिम आज भी भारत की गहराई को समझने में नाकाम रहा है.

    डुगिन ने पश्चिम की इस संकीर्ण सोच पर करारा प्रहार करते हुए भारत की आध्यात्मिकता, संस्कृति और दर्शन को ही उसकी असली ताकत बताया.

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