Pinaka Mk3: भारतीय सेना की तोपखाना शक्ति जल्द ही एक नए और बेहद प्रभावी चरण में प्रवेश करने जा रही है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम (MBRL) के एक नए और अधिक घातक संस्करण पर काम कर रहा है. इस अपग्रेडेड सिस्टम के तहत 120 किलोमीटर तक मार करने वाले गाइडेड रॉकेट्स को सेना में शामिल करने की योजना है.
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस परियोजना की अनुमानित लागत करीब 2500 करोड़ रुपये है, जिसका प्रस्ताव डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) के समक्ष रखा गया है. नई पिनाका को इसकी रफ्तार, सटीकता और गहरी मारक क्षमता के कारण रणनीतिक हलकों में “मिनी ब्रह्मोस” कहा जा रहा है.
मौजूदा पिनाका से कहीं ज्यादा घातक होगा नया वर्जन
वर्तमान में भारतीय सेना के पास पिनाका रॉकेट सिस्टम के ऐसे वेरिएंट मौजूद हैं, जिनकी प्रभावी रेंज लगभग 75 से 90 किलोमीटर तक है. लेकिन नया संस्करण, जिसे पिनाका Mk-3 कहा जा रहा है, 120 किलोमीटर तक लक्ष्य भेदने में सक्षम होगा.
इसका मतलब यह है कि सीमावर्ती इलाकों से ही दुश्मन के काफी भीतर मौजूद ठिकानों को निशाना बनाया जा सकेगा. सैन्य रणनीतिकारों के अनुसार, यह क्षमता भारत को पाकिस्तान और चीन दोनों मोर्चों पर एक मजबूत बढ़त देती है.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से मिले सबक का नतीजा
इस परियोजना की प्रेरणा हालिया सैन्य अभियानों के अनुभवों से भी जुड़ी मानी जा रही है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पिनाका सिस्टम ने दुश्मन के ड्रोन, अग्रिम चौकियों और अन्य सैन्य ठिकानों को प्रभावी ढंग से निष्क्रिय किया था.
इन अनुभवों के बाद सेना ने लंबी दूरी और अधिक सटीक मार करने वाले रॉकेट्स की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिसके चलते 120 किमी रेंज वाले पिनाका रॉकेट्स का प्रस्ताव सामने आया.
DRDO की डिजाइन, देश में ही निर्माण
इन नए रॉकेट्स को DRDO की आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) ने डिजाइन किया है. इनके निर्माण की जिम्मेदारी म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (MIL) को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत दी जाएगी.
महत्वपूर्ण बात यह है कि इन रॉकेट्स को मौजूदा पिनाका लॉन्चर सिस्टम से ही दागा जा सकेगा. यानी सेना को इसके लिए किसी नए प्लेटफॉर्म या बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने की जरूरत नहीं होगी. आने वाले महीनों में इसके ट्रायल शुरू होने की उम्मीद है.
क्यों कहा जा रहा है इसे ‘मिनी ब्रह्मोस’?
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल अपनी तेज गति और सटीक हमले के लिए जानी जाती है, जिसकी रफ्तार मैक-3 तक पहुंचती है. नई पिनाका रॉकेट भले ही क्रूज मिसाइल न हो, लेकिन इसकी क्षमताएं इसे बेहद खास बनाती हैं.
यह रॉकेट लॉन्च के समय मैक-4.5 तक की गति हासिल करती है, करीब 40 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाती है और लक्ष्य पर मैक-1.8 से अधिक की रफ्तार से वार करती है. इसमें लगभग 250 किलोग्राम का वॉरहेड लगाया जा सकता है और यह GPS तथा भारतीय नेविक प्रणाली से निर्देशित होती है, जिससे इसकी सटीकता लगभग 10 मीटर के दायरे में रहती है.
एक साथ भारी तबाही मचाने की क्षमता
पिनाका सिस्टम की सबसे बड़ी ताकत इसकी सैल्वो फायरिंग क्षमता है. एक लॉन्चर से 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागे जा सकते हैं. एक पूरी बैटरी कुछ ही मिनटों में सैकड़ों रॉकेट फायर कर करीब एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को प्रभावी रूप से निष्क्रिय कर सकती है.
यह सिस्टम “शूट एंड स्कूट” क्षमता से लैस है, यानी फायरिंग के तुरंत बाद अपनी जगह बदल सकता है, जिससे दुश्मन का जवाबी हमला निष्प्रभावी हो जाता है.
पूरी तरह स्वदेशी और हर मौसम में सक्षम
पिनाका पूरी तरह स्वदेशी हथियार प्रणाली है. इसे DRDO ने विकसित किया है और भारतीय कंपनियां इसका उत्पादन कर रही हैं. यह प्रणाली हर तरह के मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों चाहे रेगिस्तान हों, पहाड़ हों या अत्यधिक ठंड में प्रभावी ढंग से काम करने में सक्षम है.
यह पहले ही भारतीय सेना द्वारा कारगिल युद्ध जैसे कठिन हालात में इस्तेमाल की जा चुकी है और अब इसे आर्मेनिया जैसे देशों को निर्यात भी किया जा रहा है.
पाकिस्तान मोर्चे पर रणनीतिक बढ़त
नई लंबी दूरी की पिनाका रॉकेट्स के शामिल होने से भारत सीमा के भीतर रहते हुए ही दुश्मन के स्टेजिंग एरिया, लॉजिस्टिक्स हब, गोला-बारूद डिपो और आतंकी लॉन्चपैड्स को निशाना बना सकेगा.
सेना के सूत्रों के अनुसार, एक रेजिमेंट में मौजूद कई लॉन्चर मिलकर बहुत कम समय में सैकड़ों रॉकेट दाग सकते हैं, जिससे दुश्मन की तैयारियों पर भारी दबाव बनेगा. खुले मैदानी इलाकों में यह सिस्टम बेहद प्रभावी माना जा रहा है.
चीन के खिलाफ भी अहम भूमिका
दो मोर्चों पर युद्ध की रणनीति के तहत यह प्रणाली चीन के खिलाफ भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. पूर्वी लद्दाख और अक्साई चिन जैसे क्षेत्रों में यह चीनी सैन्य ढांचे, हेलीपैड और लॉजिस्टिक ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम होगी.
ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों के साथ मिलकर पिनाका Mk-3 एक प्रभावी “टैग-टीम” बनाकर काम कर सकती है. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी लंबी दूरी वाली पिनाका को भविष्य की आर्टिलरी योजना का अहम हिस्सा बता चुके हैं.
भविष्य की तैयारी और ‘मेक इन इंडिया’
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले समय में पिनाका का 300 किलोमीटर रेंज वाला संस्करण भी विकसित किया जा सकता है, जो और भी गहरे रणनीतिक लक्ष्यों को भेदने में सक्षम होगा.
2500 करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट न केवल भारतीय सेना की ताकत बढ़ाएगा, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी मजबूती देगा और रक्षा क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा.
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