संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हुई एक खुली बहस के दौरान भारत ने पाकिस्तान को उसके दोहरे रवैये और आतंकवाद को लेकर फिर सख्त शब्दों में घेरा. ‘लीडर्स फॉर पीस’ विषय पर आयोजित चर्चा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत हरीश परवथनेनी ने पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया दी और स्पष्ट किया कि यह क्षेत्र भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है.
भारतीय राजदूत ने दो टूक कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अतीत में भी भारत का हिस्सा थे, वर्तमान में भी हैं और भविष्य में भी भारत का ही हिस्सा रहेंगे. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों का दुरुपयोग कर भारत के खिलाफ झूठा नैरेटिव फैलाने की कोशिश करता रहा है.
अंतरराष्ट्रीय मंचों का दुरुपयोग करता है पाकिस्तान
राजदूत हरीश परवथनेनी ने अपने संबोधन में कहा कि संयुक्त राष्ट्र की इस बहस में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर का मुद्दा उठाया जाना इस बात का सबूत है कि वह हर वैश्विक मंच का इस्तेमाल भारत और उसके नागरिकों के खिलाफ अपने जुनूनी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए करता है.
उन्होंने कहा कि जो देश लगातार विभाजनकारी राजनीति करता है और आतंकवाद को संरक्षण देता है, उससे यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह सुरक्षा परिषद के एक जिम्मेदार गैर-स्थायी सदस्य की भूमिका निभाएगा. भारत ने साफ किया कि पाकिस्तान की बयानबाजी शांति के बजाय अस्थिरता को बढ़ावा देती है.
सिंधु जल संधि पर भारत का रुख क्यों बदला
भारत ने अपने बयान में सिंधु जल संधि का भी विस्तार से उल्लेख किया. भारतीय राजदूत ने कहा कि भारत ने करीब 65 वर्ष पहले इस संधि पर अच्छे विश्वास और पड़ोसी देशों के बीच सहयोग की भावना के तहत हस्ताक्षर किए थे.
हालांकि, इसके बावजूद पाकिस्तान ने भारत पर तीन युद्ध थोपे और दशकों से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा. राजदूत ने बताया कि पिछले चार दशकों में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण हजारों भारतीय नागरिकों की जान जा चुकी है.
इसी पृष्ठभूमि में भारत ने यह स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह, विश्वसनीय रूप से और स्थायी रूप से समाप्त नहीं करता, तब तक सिंधु जल संधि को स्थगित रखने का फैसला जारी रहेगा.
पहलगाम आतंकी हमले का UN में जिक्र
भारतीय प्रतिनिधि ने अप्रैल 2025 में हुए पहलगाम आतंकी हमले का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि इस हमले में आतंकियों ने धर्म के आधार पर पहचान कर 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या की थी.
राजदूत ने इसे पाकिस्तान के उस रवैये का ताजा उदाहरण बताया, जिसमें वह आतंकवाद को एक नीति के तौर पर इस्तेमाल करता है. भारत ने कहा कि ऐसे जघन्य हमलों के बाद शांति और सहयोग की बात करना पाकिस्तान की दोहरी सोच को उजागर करता है.
पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति पर तीखा तंज
अपने संबोधन के दौरान भारतीय राजदूत ने पाकिस्तान की घरेलू स्थिति पर भी कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में जनता की इच्छा का सम्मान करने का तरीका यह है कि वहां एक निर्वाचित प्रधानमंत्री को जेल में डाल दिया जाता है, सत्तारूढ़ पार्टी पर प्रतिबंध लगाया जाता है और सेना संवैधानिक संशोधनों के जरिए अपने प्रमुख को आजीवन सुरक्षा प्रदान कर देती है.
भारत ने संकेत दिया कि जो देश खुद लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन नहीं करता, वह दूसरों को उपदेश देने की स्थिति में नहीं है.
आतंकवाद पर भारत की जीरो टॉलरेंस नीति
अपने वक्तव्य के अंत में भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी कि वह सीमा पार आतंकवाद के किसी भी रूप को बर्दाश्त नहीं करेगा. भारत ने कहा कि आतंकवाद चाहे प्रत्यक्ष हो या प्रॉक्सी के जरिए, उसका हर स्तर पर और पूरी ताकत से जवाब दिया जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र के मंच से दिया गया यह संदेश भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को दर्शाता है, जिसमें आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है. भारत का यह रुख अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान की नीतियों को उजागर करने और क्षेत्रीय शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है.
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