America on Tariff: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने एक बार फिर अपने ट्रेड पार्टनर देशों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. अमेरिका ने 4 जून 2025 से सभी प्रमुख व्यापारिक साझेदारों से आग्रह किया है कि वे अपने-अपने व्यापार प्रस्तावों की सबसे बेहतरीन शर्तें जल्द से जल्द पेश करें. ये चेतावनी ऐसे समय आई है जब रेसिप्रोकल टैरिफ (परस्पर शुल्क) को स्थगित करने की अवधि समाप्त होने में अभी पांच हफ्ते शेष हैं. अमेरिका चाहता है कि उसके साथ होने वाले व्यापारिक समझौते में कोई अड़चन न आए और अमेरिका को अधिकतम लाभ मिले.
ड्राफ्ट लेटर से खुले इरादे
अमेरिकी ट्रेड प्रतिनिधि कार्यालय की ओर से तैयार एक ड्राफ्ट लेटर में इस नीति का इशारा साफ तौर पर मिलता है. इसमें बताया गया है कि अमेरिका अब ऐसे व्यापारिक संबंधों को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है जो उसे असमान समझ में आते हैं. ड्राफ्ट में प्राप्तकर्ता देशों के नाम तो नहीं दिए गए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि यूरोपीय संघ, भारत, जापान और वियतनाम को मुख्य रूप से निशाना बनाया गया है. ये वे देश हैं जो फिलहाल अमेरिका के साथ व्यापार समझौतों को लेकर चर्चा कर रहे हैं.
टैरिफ वार्ता और बाज़ार पर असर
अमेरिका और इन देशों के बीच 9 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर बातचीत जारी है. उसी दिन अमेरिका ने 90 दिनों के लिए (अर्थात 8 जुलाई तक) टैरिफ लागू करने की योजना को टाल दिया था. इस टैरिफ के कारण वैश्विक स्टॉक मार्केट, बॉन्ड और करंसी बाज़ारों पर नकारात्मक असर पड़ा था, जिससे व्यापारिक माहौल अस्थिर हो गया था.
समझौतों को लेकर तेज़ी में ट्रंप प्रशासन
रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप प्रशासन अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों को तय समयसीमा के भीतर अंतिम रूप देना चाहता है. हालांकि, अब तक अमेरिका केवल ब्रिटेन के साथ ही किसी समझौते पर पहुंच पाया है, वो भी पूरी तरह निर्णायक नहीं.
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