चीन का 'किल स्विच', एक झटके में अमेरिका-रूस सब हो जाएंगे तबाह? ड्रैगन के इस 'घातक' प्लान से खौफ में दुनिया

    अमेरिका और यूरोप के सोलर पावर सिस्टम में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है—चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए इनवर्टर और बैटरियों में ऐसे डिवाइसेज छिपे पाए गए हैं जो पलक झपकते ही पूरे पावर ग्रिड को ध्वस्त कर सकते हैं.

    China kill switch America Russia destroyed in one stroke
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    बीजिंगः जब पूरी दुनिया सौर ऊर्जा को भविष्य की रोशनी मान रही है, तब चीन की एक ‘अदृश्य छाया’ ने इस उजाले पर खतरे की परत डाल दी है. अमेरिका और यूरोप के सोलर पावर सिस्टम में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है—चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए इनवर्टर और बैटरियों में ऐसे डिवाइसेज छिपे पाए गए हैं जो पलक झपकते ही पूरे पावर ग्रिड को ध्वस्त कर सकते हैं. इसे नाम दिया गया है – ‘किल स्विच’.

    सूरज की रौशनी के पीछे छिपा अंधेरा

    अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के होश तब उड़े, जब सोलर इनवर्टर—जो सौर ऊर्जा को ग्रिड से जोड़ते हैं—के अंदर बिना डॉक्यूमेंटेशन वाले संचार उपकरण पाए गए. ये डिवाइस फायरवॉल को बायपास कर सीधे कमांड रिसीव कर सकते हैं. यानी, एक अदृश्य बटन से पूरा पावर ग्रिड सेकंडों में ठप किया जा सकता है.

    क्या कल्पना कीजिए: अमेरिका, ब्रिटेन या यूरोप में अचानक बिजली गायब हो जाए, अस्पतालों से लेकर एयरपोर्ट तक हर जगह अंधेरा छा जाए, और वो बटन हजारों मील दूर बैठा कोई एक देश दबा सकता हो?

    कौन हैं ये साइलेंट खिलाड़ी?

    हालांकि अमेरिका ने उन चीनी कंपनियों के नाम उजागर नहीं किए हैं जिनके उपकरणों में ये 'किल स्विच' पाए गए हैं, लेकिन रॉयटर्स की रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह खतरा वास्तविक है. बीते 9 महीनों में कई बैटरियों में भी बिना घोषित कम्युनिकेशन चिप्स मिले हैं—जिनका नेटवर्क से कोई आधिकारिक लिंक नहीं होना चाहिए था.

    सिर्फ एक बटन और ठप हो सकता है पूरा देश

    एक वरिष्ठ अमेरिकी खुफिया अधिकारी ने कहा, "इन डिवाइस में पावर ग्रिड को फिजिकली खत्म करने की इनबिल्ट क्षमता है." इसका मतलब है कि ये न केवल सिस्टम को बंद कर सकते हैं, बल्कि उसकी संरचना को पूरी तरह अस्थिर कर सकते हैं.

    चीन ने आरोपों से पल्ला झाड़ा

    जैसे ही यह रिपोर्ट सामने आई, वाशिंगटन में स्थित चीनी दूतावास ने इन सभी आरोपों को “राजनीतिक बदनाम करने की कोशिश” कहकर खारिज कर दिया. लेकिन ब्रिटेन जैसे देशों ने सोलर पैनलों और विंड टर्बाइनों में उपयोग हो रहे चीनी उपकरणों की तत्काल समीक्षा शुरू कर दी है.

    सवाल जो चुभते हैं

    • क्या सस्ती ग्रीन एनर्जी के नाम पर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हो रहा है?
    • क्या चीन पश्चिमी देशों की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को ‘डिजिटल हथियारों’ से निशाना बना रहा है?
    • और सबसे अहम—क्या इस तकनीकी युद्ध का अगला चरण ‘साइलेंट ब्लैकआउट’ होगा?

    NSA की चेतावनी

    अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (NSA) के पूर्व निदेशक माइक रोजर्स ने दो टूक कहा है कि “चीन हमारे बुनियादी ढांचे को अस्थिर करने की मंशा रखता है.” उनका मानना है कि चीन का लक्ष्य सिर्फ तकनीक बेचना नहीं, बल्कि उसमें नियंत्रण भी छिपाना है.

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