नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा के दौरान अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने कई महत्वपूर्ण बदलाव देखे हैं. आतंकवाद, नक्सलवाद और पूर्वोत्तर में उग्रवाद को विरासत में मिली चुनौतियां बताते हुए शाह ने कहा कि सरकार ने इन मोर्चों पर सख्ती से मुकाबला किया है.
आतंकवाद पर निर्णायक कार्रवाई
गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं के चलते होने वाली मौतों में 70% की कमी आई है. उन्होंने बताया कि सरकार की नीतियों के चलते आतंकी संगठनों का नेटवर्क बुरी तरह प्रभावित हुआ है. उन्होंने 2019 में आर्टिकल 370 को हटाने के फैसले को ऐतिहासिक बताया और कहा कि इसके बाद जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता लौटी है. उन्होंने यह भी कहा कि जी-20 बैठक के सफल आयोजन से यह स्पष्ट हुआ कि कश्मीर में हालात सामान्य हो चुके हैं.
'आतंकियों के लिए कोई जगह नहीं'
शाह ने जोर देकर कहा कि सरकार आतंकवाद और आतंकियों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने कहा, "हमारे लिए देश की सुरक्षा सर्वोपरि है. जो आतंक को बढ़ावा देंगे, वे बच नहीं सकते. हमारी नीति स्पष्ट है—आंखों में आंखें डालकर जवाब देना."
नक्सलवाद पर कड़ा प्रहार
गृह मंत्री ने वामपंथी उग्रवाद पर बोलते हुए कहा कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद समाप्त करने का लक्ष्य तय किया गया है. उन्होंने बताया कि 2004 से 2014 के बीच नक्सली हिंसा चरम पर थी, लेकिन 2014 के बाद सरकार ने इसे जड़ से खत्म करने के लिए व्यापक रणनीति अपनाई.
Replying in the Rajya Sabha during the Discussion on Working of the Ministry of Home Affairs. https://t.co/hyG7Hj8S5K
— Amit Shah (@AmitShah) March 21, 2025
शाह ने कहा कि पहले नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी, जो अब घटकर मात्र 12 रह गई है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि अगले दो वर्षों में नक्सलवाद का पूरी तरह खात्मा हो जाएगा.
पूर्वोत्तर में उग्रवाद पर नियंत्रण
पूर्वोत्तर में उग्रवाद पर नियंत्रण को सरकार की एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए शाह ने कहा कि आज वहाँ शांति बहाल हो रही है. उन्होंने कहा कि कई वर्षों से हिंसा प्रभावित इलाकों में अब विकास कार्य हो रहे हैं, जिसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है.
'आंकड़े तुलना के लिए जरूरी'
शाह ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार की उपलब्धियों की तुलना पहले की सरकारों से इसलिए की जाती है ताकि स्पष्ट हो कि 2014 से पहले और अब में कितना फर्क आया है. उन्होंने कहा कि जब भविष्य में कोई और गृह मंत्री आएगा, तो वह भी हमारी ही नीतियों की चर्चा करेगा.
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