महिला सहकर्मी को देखकर गाना और बालों पर कमेंट करना सेक्शुअल हैरेसमेंट नहीं, बॉम्बे HC का बड़ा फैसला

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं से जुड़े यौन उत्पीड़न के दायरे को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि महिला सहकर्मी के बालों पर टिप्पणी करना या उसके सामने गाना गाना अपने आप में 'सेक्सुअल हैरेसमेंट' की श्रेणी में नहीं आता.

Singing a song while looking at a female colleague and commenting on her hair is not sexual harassment Bombay HCs big decision
बॉम्बे हाईकोर्ट/Photo- ANI

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं से जुड़े यौन उत्पीड़न के दायरे को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि महिला सहकर्मी के बालों पर टिप्पणी करना या उसके सामने गाना गाना अपने आप में 'सेक्सुअल हैरेसमेंट' की श्रेणी में नहीं आता.

यह फैसला HDFC बैंक के एसोसिएट रीजनल मैनेजर विनोद कछावे के खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न के मामले में आया, जिन पर एक महिला सहकर्मी ने आरोप लगाए थे.

क्या था मामला?

साल 2022 में पुणे में HDFC बैंक की एक महिला कर्मचारी ने विनोद कछावे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.

महिला का आरोप था कि:

  • कछावे ने उसके बालों पर टिप्पणी की.
  • उसके सामने एक गाना गाया.
  • एक पुरुष सहकर्मी के निजी अंग को लेकर टिप्पणी की.

बैंक की इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) ने जांच के बाद कछावे को दोषी माना और उन्हें पदावनत (डिमोट) कर दिया.

कछावे ने इस फैसले को इंडस्ट्रियल कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन जुलाई 2024 में कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और उन्हें POSH (महिलाओं के यौन उत्पीड़न रोकथाम) अधिनियम, 2013 के तहत दोषी ठहराया. इसके बाद कछावे ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया.

हाईकोर्ट का फैसला: यह सेक्सुअल हैरेसमेंट नहीं

बॉम्बे हाईकोर्ट ने इंडस्ट्रियल कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि कछावे के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला नहीं बनता.

जस्टिस संदीप मार्ने की बेंच ने कहा:

  • यदि आरोपों को सच भी मान लिया जाए, तब भी इसे यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता.
  • बैंक की इंटरनल कमेटी और इंडस्ट्रियल कोर्ट ने इस बात पर विचार नहीं किया कि क्या यह व्यवहार वास्तव में POSH एक्ट के तहत आता है या नहीं.
  • इंटरनल रिपोर्ट और इंडस्ट्रियल कोर्ट का आदेश तथ्यों पर सही ढंग से विचार किए बिना दिया गया.

POSH एक्ट के तहत आता है या नहीं?

कछावे के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि:

  • महिला के बालों पर की गई टिप्पणी कोई आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं थी.
  • गाना गाना किसी भी तरह से यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता.
  • जिस टिप्पणी का जिक्र किया गया, उस समय महिला सहकर्मी मौके पर मौजूद भी नहीं थी.
  • महिला ने कंपनी से इस्तीफा देने के बाद यह शिकायत दर्ज कराई थी.

हाईकोर्ट ने इन सभी तर्कों को ध्यान में रखते हुए कहा कि यह मामला POSH अधिनियम के तहत नहीं आता.

सेक्सुअल हैरेसमेंट के मामलों पर हाईकोर्ट की स्पष्टता

इस फैसले के बाद कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की परिभाषा को लेकर एक नया दृष्टिकोण सामने आया है. हाईकोर्ट ने संकेत दिया कि किसी भी सामान्य बातचीत या हल्के-फुल्के कमेंट को सीधे यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता, जब तक कि उसमें स्पष्ट रूप से अनुचित या आपत्तिजनक व्यवहार न हो.

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