'राहुल गांधी के साथ मीटिंग नहीं हो पाई थी'- रामविलास पासवान NDA के साथ क्यों गए थे, चिराग ने किया खुलासा

    एलजेपी प्रमुख ने बताया कि पापा एनडीए में जाने के बिल्कुल खिलाफ थे. उन्हें मनाना मुश्किल था. और दूसरी ओर मैं इसे दृढ़ता से चाहता था कि हमें इसमें शामिल होना चाहिए.

    'राहुल गांधी के साथ मीटिंग नहीं हो पाई थी'- रामविलास पासवान NDA के साथ क्यों गए थे, चिराग ने किया खुलासा
    एएनआई के साथ एक इंटरव्यू में चिराग पासवान | Photo- ANI

    नई दिल्ली : केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के प्रमुख चिराग पासवान ने मंगलवार को उन फैक्टर्स पर चर्चा की, जिनके कारण पार्टी ने यूपीए (UPA) को छोड़ा था और उनके पिता रामविलास पासवान ने 2014 में NDA में शामिल होने का फैसला किया था.

    चिराग पासवान ने अपने पिता को अन्य गठबंधनों पर विचार करने के लिए राजी करने में आने वाली चुनौतियों का खुलासा किया, जिसमें बताया कि कैसे राहुल गांधी के साथ एक मीटिंग नहीं हो पाई थी. स्पष्टता की कमी ने रामविलास पासवान को निराश कर दिया, जिससे उन्हें वैकल्पिक गठबंधनों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया.

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    कहा- पिता को NDA में जाने के लिए राजी करना बहुत मुश्किल था

    एलजेपी प्रमुख ने बताया कि उनके लिए अपने पिता को भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में शामिल होने के लिए राजी करना कितना मुश्किल था. उन्होंने कहा, "पापा इसके खिलाफ थे. उन्हें मनाना मुश्किल था. और दूसरी ओर मैं इसे दृढ़ता से चाहता था."

    उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों के प्रति अपने आकर्षण के बारे में भी बात की और कहा, "मैंने अपने और अपने प्रधानमंत्री के बीच संबंधों के बारे में बहुत सारे ताने सुने हैं. मैंने कई बातें सुनी हैं- एकतरफा प्यार और दूसरी बातें. मेरे प्रधानमंत्री के प्रति मेरा आकर्षण, वे जो कुछ भी कहते थे, उनके शब्द और उनके भाषण, मुझे बहुत प्रभावित करते थे. और मैं चाहता था कि हम उनके साथ गठबंधन करें."

    पापा ने कहा था जहर खा लेंगे पर भाजपा के साथ नहीं जाएंगे : चिराग पासवान

    केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनके पिता यूपीए के साथ सहज थे और किसी अन्य गठबंधन पर विचार करने के लिए तैयार नहीं थे.

    उन्होंने कहा "मेरे पिता यूपीए गठबंधन में बहुत सहज थे और वे इसे जारी रखना चाहते थे. मुझे याद है कि अक्टूबर या नवंबर 2013 में, मैंने अपने पिता से कहा था कि हमें वैकल्पिक गठबंधनों के बारे में भी सोचना चाहिए. और पापा ने कहा कि विकल्प क्या हैं? मैंने कहा भाजपा."

    पासवान ने बताया, "और मेरे पिता ने कहा कि वे जहर खा लेंगे लेकिन वे भाजपा के साथ नहीं जाएंगे. वे उनके साथ जाने के बहुत खिलाफ थे. कई महीनों तक, मुझमें हिम्मत नहीं थी."

    पासवान ने आगे बताया कि जब उन्हें पार्टी के संसदीय बोर्ड की जिम्मेदारी दी गई, तो उन्हें पता चला कि अन्य सदस्य दूसरे गठबंधन के साथ जाने की इच्छा रखते हैं. उन्होंने कहा, "जब मैंने बोर्ड के अन्य सदस्यों से बात करना शुरू किया, तो मुझे लगा कि हर कोई वैकल्पिक गठबंधन के साथ जाना चाहता था, कांग्रेस की वजह से नहीं बल्कि लालू प्रसाद यादव और आरजेडी की वजह से. पार्टी के कई नेताओं की राय थी कि हमें वैकल्पिक गठबंधन पर विचार करना चाहिए."

    चिराग ने कहा- आरजेडी की ओर से आते थे अपमानजनक बयान

    यूपीए गठबंधन में आरजेडी के साथ अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए पासवान ने कहा कि वे उनके द्वारा घेरे जा रहे थे. पासवान ने कहा, "आरजेडी में कई नेता थे जो कहते थे कि हमें 2.5 सीटें मिलनी चाहिए- एक मेरे पिता को, एक मेरे चाचा को और आधी सीट मुझे. आरजेडी की ओर से कई अपमानजनक बयान आते थे."

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    एलजेपी (आर) प्रमुख ने कहा- सोनिया से मुलाकात हुई पर राहुल से नहीं

    एलजेपी प्रमुख ने अपने पिता और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के बीच हुई मुलाकात के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा, "उस समय पापा सोनिया गांधी से मिलते रहे और सोनिया गांधी चाहती थीं कि पापा राहुल गांधी से मिलें. लेकिन किसी तरह, वह मुलाकात कभी नहीं हो पाई."

    उन्होंने कहा, "हम दोनों राहुल गांधी से कभी नहीं मिले. हम तीन बार सोनिया गांधी से मिले और तीनों बार उन्होंने राहुल गांधी से मिलने और वहां से आगे बढ़ने की बात कही."

    अपने पिता के बैठकों से परेशान होने के बारे में बताते हुए पासवान ने कहा, "मुझे याद है, एक बार पापा सीपी जोशी के साथ हुई एक बैठक से बहुत परेशान थे... फिर मुझे नहीं पता कि वह एक कमज़ोर पल था या क्या! पापा ने मुझसे कहा कि तुम वैकल्पिक गठबंधन की बात कर रहे हो, इस पर बात करो. मैं बीच में नहीं आऊंगा, लेकिन तुम अपने स्तर पर बात करो. फिर मैंने राजनाथ सिंह से बात की. कई अन्य लोग थे- रविशंकर प्रसाद और शाहनवाज़ हुसैन. ये वे लोग थे जिनसे मैं पहले ही बात कर चुका था और बात बन गई."

    गौरतलब है कि 2004 के लोकसभा चुनाव में लोजपा ने राजद के साथ कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए में शामिल हुआ था. फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो गया. इन चुनावों में लोजपा ने 40 में से छह सीटों पर जीत हासिल की.

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