2024 के चुनाव में NDA की सीटों पर INDIA के मुकाबले दोगुना कम पड़े वोट, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

    Lok Sabha Election 2024 : विशेषज्ञ जहां इसे सत्ताधारी पार्टी और उसके गठबंधन के खिलाफ मान रहे हैं, वहीं बीजेपी के लोग अपनी जीत को लेकर को आश्वस्त हैं.

    2024 के चुनाव में NDA की सीटों पर INDIA के मुकाबले दोगुना कम पड़े वोट, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

    नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के मतदान को लेकर एक चर्चा जोरो पर गरम है कि 2019 की तुलना में 2024 में वोटो में 4.6 फीसदी की बड़ी गिरावट हुई है. 2019 में जहां इन सीटों पर मतदान 69.9 फीसदी हुआ था, तो वहीं 2024 में यह 65.3 प्रतिशत ही रहा है. यानि 4.6 फीसदी की गिरावट. यानि कि लगभग 76 लाख वोटरों ने वोट नहीं डाला है. 102 सीटों पर हुए मतदान में NDA उम्मीदवारों की सीटों पर यह गिरावट जहां दोगुनी यानि 5.9 फीसदी है, वहीं नॉन एनडीए (कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल) की सीटों पर यह गिरावट लगभग आधी, यानि 3.2 फीसदी है.

    गौरतलब है कि भारतीय चुनाव आयोग की तरफ से जारी आंकड़ों में ये बात सामने आई है.  

    विशेषज्ञ जहां इसे भारतीय जनता पार्टी (BJP) या उसके गठबंधन नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) के प्रति वोटरों का उत्साह कम मान रहे हैं तो वहीं यह भी माना जा रहा है कि बीजेपी को इससे नुकसान पहुंचा भी तो वह ज्यादा नहीं होगा, वोट कम हो सकते हैं, लेकिन सत्ताधारी पार्टी फायदे में रहेगी.  

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    बीजेपी-एनडीए के उम्मीदवारों वाली सीटों पर कम हुआ मतदान 

    पहले चरण में वोटों की गिरावट की बात करें तो यह बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की सीटों पर गिरावट ज्यादा है, जबकि नॉन एनडीए यानि कांग्रेस और INDIA गठबंधन के उम्मीदवारों की सीटों पर यह गिरावट कम है.

    इनमें कई बड़े नेता शामलि हैं, जिनकी सीटों पर वोटों की गिरावट काफी ज्यादा हुई है. राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा के इलाके में 8 फीसदी कम वोटिंग हुई है, और अन्य नेता भी शामिल हैं.

    जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक ने सत्ताधारी दल के खिलाफ बताया संकेत

    एक यूट्यूब चैनल से बात करते हुए जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक और चुनावी विश्लेषक रहे स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष ने इसे सत्ताधारी दल के खिलाफ संकेत बताया है. डेटा एनालिस्ट के तौर पर लंबे समय से काम करने वाले और सीडीएस लोकनीति के साथ 10 साल तक जुड़े रहे श्रेयस सरदेसाई ने इसे बड़ी गिरावट बताते हुए अपना विश्लेषण पेश किया है.

    श्रेयस सरदेसाई इन आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए कहा, "पहले फेज के चुनाव में लगभग देश के सभी क्षेत्र कवर हुए हैं. नॉर्थ ईस्ट, उत्तर भारत, मध्य भारत और महाराष्ट्र यानि पश्चिम भारत और इस चरण में दक्षिण के तमिलनाडु की कुल सीटें शामिल हैं, लिहाजा यह पूरे देश की एक झलक पेश करता है."

    उन्होंने कहा, "ये सीटें हमेशा से ज्यादा मतदान वाली रही हैं. पिछली बार की तुलना में यह गिरावट लगभग 5 फीसदी है, जो एक बड़ी गिरावट है."

    योगेंद्र यादव ने कहा- अगर इतनी गिरावट शेयर मार्केट में आती तो भूचाल मच जाता

    राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने कहा, "यह 2024 लोकसभा चुनाव की पहली झलकी है. उन्होंने कहा कि अगर श्रेयस के मुताबिक मानें तो पहले चरण का चुनाव लगभग पूरे देश का आइना है. कुल 16 करोड़ लोगों का नाम पहले चरण के लिए वोटर लिस्ट में था. 4.6 फीसदी कमी का मतलब लगभग 76 लाख लोगों ने पहले फेज में वोट नहीं डाला. यह चुनाव के लिहाज से बड़ा फिगर है. अगर इतना शेयर बाजार के सेंसेक्स में गिरावट आ जाती तो भचूाल मच जाता."

    श्रेयस ने कहा- बीजेपी के गढ़ में गिरावट ज्यादा, पर किसे ज्यादा नुकसान कहना मुश्किल

    इस दौरान डेटा एनालिस्ट श्रेयस सरदेसाई ने पहले चरण में देश के अलग-अलग क्षेत्रों में हुए चुनाव में गिरावट का आंकड़ा भी दिखाया, जिसके मुताबिक नॉर्थ सेंट्रल (उत्तर-मध्य) में यह गिरावट सबसे ज्यादा 6.5 फीसदी है. नॉर्थ-ईस्ट (उत्तर-पूर्व) में यह 5.1 प्रतिशत. पूरब में 4.5 फीसदी, साउथ में 2.9 फीसदी, पश्चिम (महाराष्ट्र) में 2.1 फीसदी की गिरावट और वहीं यूनियन टेरिटेरी (केंद्र शासित प्रदेश) में यह गिरावट 1.9 फीसदी है.

    उन्होंने कहा, "उत्तर मध्य क्षेत्र बीजेपी का गढ़ रहा है. इसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य आते हैं. यहां सबसे ज्यादा गिरावट हुई है और इन सभी में सबसे ज्यादा गिरावट राजस्थान में हुई है. यूपी में भी कुछ सीटों पर गिरावट ज्यादा है. वहीं छत्तीसगढ़ में वोट प्रतिशत में बढ़ोत्तरी हुई है, हालांकि यहां एक ही सीट बस्तर में मतदान हुआ है."

    "वहीं नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में दूसरी सबसे ज्यादा गिरावट हुई है, जिसकी सबसे बड़ी वजह नागालैंड में चुनाव का बायकॉट रही है. उन्होंने कहा जिस इलाके में बीजेपी सबसे अच्छा करती है वहां सबसे ज्यादा गिरावट है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कौन घर पर बैठे रहे और कौन वोट देने के लिए बाहर आए."

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    योगेंद्र यादव ने बताया सत्ताधारी पार्टी के लिए बड़ा धक्का

    योगेंद्र यादव ने इस पर अपना विश्लेषण पेश करेत हुए कहा, "यह कपड़ा छान निचोड़ है. जिन सीटों को पिछली बार एनडीए ने जीता था. इस चरण में चुनाव में वे सीटें संयोगवश पिछली बार बीजेपी के खाते में आधी गई थीं और आधी विपक्षी दलों के खाते में. एनडीए वाली सीटों पर जहां लगभग 6 फीसदी की गिरावट है, वहीं नॉन एनडीए दलों वाली सीटों पर यह गिरावट 3 फीसदी है. लगभग दोगुने का फर्क है. इसका मोटा निष्कर्ष यही है. यानि जिन सीटों पर बीजेपी का दबदबा है, वहां टर्नआउट (मतदान) ज्यादा गिरा है, जबकि जहां पिछली बार एनडीए नहीं जीती थी, वहां कम गिरावट है. जिन इलाकों में मोदी की आंधी थी उन पर वोट ज्यादा गिरा है."

    उन्होंने कहा, "इसे साधारण भाषा में कहूं तो वोटरों की एक बड़ी संख्या, जिसने पहले उत्साह में आकर मोदी को वोट किया था, उनमें से कुछ मोदी के साथ अब भी हैं, लेकिन कुछ इस बार इंडिया गठबंधन की तरफ पलट कर चले गए हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो विपक्ष को तो वोट नहीं दिए, बल्कि घर बैठ गए. 76 लाख में से 40-50 लाख ऐसे लोग हैं, जिन्होंने पिछली बार बीजेपी को तो वोट दिया था लेकिन इस बार घर बैठ गए. यानि कि अगर ऐसा है तो बीजेपी के लिए बहुत बड़ा धक्का है."

    भाजपा के लोगों की राय- मार्जिन कम हो सकता है, पर जीत हमारी ही होगी

    सोशल मीडिया और तमाम खबरों में बीजेपी के नेता और समर्थक अपनी पार्टी के जीत का दावा कर रहे हैं.

    विशेषज्ञों से यह सवाल पूछे जाने पर कि बेजेपी के लोग इसे इस तरह से बता रहे हैं कि यह कमी इसलिए है क्योंकि मतदाताओं को सरकार नहीं बदलनी है. हमारे वोटर निश्चिंत हैं कि यह चुनाव तो हमारे पक्ष में है, इसलिए वोट देने नहीं गए. उनका मानना है कि हमारी मार्जिन कम हो सकती है लेकिन जीत हमारी ही होगी. वे राजस्थान में पिछली बार हार-जीत के बीच वोटों के फासले की बात कर रहे हैं जहां यह अंतर ढाई से 3 लाख था. अगर यह कम भी हुआ तब भी बीजेपी ही जीतेगी. यह फासला 1.5 या 2 लाख का हो सकता है, लेकिन जीत हमारी होगी. 

    योगेंद्र बोले- फिर तो एनडीए की हमारी बात एक जैसी

    इसके विश्लेषण में योगेंद्र यादव ने कहा, "अगर बीजेपी वालों की बात मान ली जाय की बीजेपी जीत ही रही है, इसलिए उसके मतादाता वोट डालने नहीं निकले. मतलब कि वे मान रहे हैं कि ज्यादातर बीजेपी के वोटर्स हैं जो वोट डालने नहीं निकले हैं. ये जो लगभग 6 प्रतिशत की कमी है, उसमें से अगर 4, साढ़े 4 प्रतिशत बीजेपी के वोटर हैं या एनडीए के हैं, जिसमें डेढ़ प्रतिशत नॉन एनडीए के भी होंगे, फिर तो हमारी और उनकी बात सही है."

    श्रेयस सरदेसाई ने कहा, "राजस्थान के विधानसभा वाली इन सीटों पर हाल ही में वोटिंग लगभग 75 प्रतिशत हुई थी. अगर उस लिहाज से भी देखें तो वहां 18 फीसदी वोटों की गिरावाट है, जो कि बहुत बड़ी है. यह कहना मुश्किल है कि किसके वोटर घर पर बैठे रहे. 2009 के बाद जहां वोटों में वृद्धि हुई थी, वहां बीजेपी बड़े अंतर से जीती थी. अगर टर्नआउट घट रहा है तो शायद कहीं न कहीं बीजेपी के वोटर वोटिंग करने न जा रहे हों."

    वहीं इस मुद्दे पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सईद ज़फर इस्लाम से फोन पर संपर्क किया गया. उन्होंने कुछ देर में जवाब देने की बात कही, लेकिन दोबारा फोन करने पर उन्होंने कॉल नहीं उठाया. अगर उनका कोई जवाब आता है तो इस ख़बर को अपडेट किया जाएगा. 

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    विशेषज्ञ ने कहा- राजस्थान में 2014, 2019 के बाद इस बार गिरावट ज्यादा

    राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने कहा, "कहने को तो पूरे देश में सभी जगह वोट गिरा है. लेकिन जहां-जहां बीजेपी या एनडीए का बोलबाला है वहां-वहां मतदान ज्यादा गिरा है. क्योंकि देश ने मोदी की 2014, 2019 की दो लहर देखी है. इन दोनों लहरों में वोटिंग टर्नअआट बढ़ रहा था, लेकिन तीसरे चुनाव यानि 2024 में वोट गिर रहे हैं. राजस्थान में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के बाद, लोकसभा चुनाव में इतनी बड़ी गिरावट है. यहां 2018 में भी विधानसभा के चुनाव हुए थे उसके बाद 2019 में लोकसभा के चुनाव हुए थे, लेकिन उस बार गिरावट 6 या 7 प्रतिशत थी, वहीं इस बार 18 फीसदी की गिरावट है."

    उन्होंने कहा, "इस गिरावट के अलग-अलग मायने हो सकते हैं. चलो मान लेते हैं गर्मी थी, लोग नहीं निकले, लेकिन गर्मी तो पिछली बार भी थी. राजस्थान में इस समय गर्मी रहती ही है. दूसरी वजह हो सकती है कि विपक्षी दलों के वोटर नहीं आए. लेकिन इसका लोकल कारण बताना होगा कि विपक्ष के वोटर क्यों नहीं आए. तीसरी बात हो सकती है कि ज्यादातर बीजेपी के वोटर नहीं आए. बीजेपी के नेता भी जो कह रहे हैं, उससे यही संकेत मिलता है कि बीजेपी के वोटर ज्यादा नहीं आए. लेकिन इसका अभी विश्लेषण करना जरूरी है. इस निष्कर्ष का सबूत अभी हमारे पास नहीं है. लेकिन फिलहाल यही कहा जा सकता है कि इनमें से बीजेपी के वोटर की एक बड़ी संख्या शामिल है. अगर ये था तो बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है. जो कि 2024 के चुनाव की पहली, छोटी सी झलक है."  

    इस सवाल पर कि भाजपा के 400 पार के नारे से हो सकता है कि बीजेपी के लोग उत्साह में हों कि हम तो जीत ही रहे हैं हमारे जाने या न जाने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. 

    योगेंद्र ने कहा, "अगर हम ये मान लें कि हां इन 76 लाख लोगों में से बीजेपी के समर्थकों की संख्या ज्यादा थी. तो इसकी दो व्याख्या हो सकती है. एक ये कि उन्हें लगा कि मोदी जी तो जीत ही रहे हैं तो हमें वोट देने की क्या जरूरत है, हालांकि हिंदुस्तान में ऐसा कभी नहीं होता. बल्कि अगर ये पता हो कि एक पार्टी जीतने वाली है तो लोग उसे बढ़-चढ़कर वोट करते हैं. लेकिन फिर भी ये संभव है. दूसरी बात का मतलब ये है कि मैं तो बीजेपी के खिलाफ जाकर वोट तो नहीं दूंगा, चलो घर बैठते हैं. यानि कि लोगों में वोट देने का उत्साह कम हुआ है. मेरा मानना है को मोदी मैजिक कम हुई है, इसलिए ये उत्साह कम हुआ है, जो कि ज्यादा संभव लगता है."

    यूपी के 8 सीटों पर भी कम वोटिंग- मुजफ्फरनगर, रामपुर में 7% की गिरावट

    वहीं पहले चरण में यूपी की 8 सीटों पर हुए चुनाव में, जिन पर पिछली बार की तुलना में लगभग 7 फीसदी वोट कम पड़े हैं. यहां अलग-अलग सीटों पर 5 से लेकर 8 फीसदी तक वोटों की गिरावट है. 

    इस पर श्रेयस सरदेसाई ने कहा, "यूपी में सबसे ज्यादा रामपुर और मुजफ्फरनगर की सीटों पर वोटों की गिरावट हुई है. लोग कह सकते हैं कि शायद मुस्लिम इलाकों में वोटिंग कम हुई हो, लेकिन इसका पता लगाना अभी मुश्किल है."

    योगेंद्र ने इस पर कहा, "जिन क्षेत्रों में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण सबसे ज्यादा होता है, मुजफ्फरनगर में जहां दंगों के बाद से वहां काफी साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का इतिहास रहा है. रामपुर में मुस्लिम वोट चूंकि बड़ी संख्या में है. इन दोनों जगहों पर गिरावट है. यह तभी स्पष्ट होगा जब बूथवाइज रिपोर्ट मिलेगी. किसान आंदोलन के कारण मुजफ्फरनगर में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कम हुआ है. रामपुर में जो एंटी मुस्लिम ध्रुवीकरण होता था वो कम हुआ है या कि मुस्लिम इलाकों में वोटिंग कम हुई है इसके लिए आंकड़ों का इंतजार करना होगा."

    पश्चिम बंगाल में अभी बीजेपी के कब्जे वाली 3 सीटों पर मतदान कम 

    ये बड़ी अहम बात है कि पश्चिम बंगाल की जिन सीटों पर वोटों की गिरावट हुई है वे सभी अभी भाजपा के पास हैं. इनमें अलीपुर, कूच बिहार, जलपाईगुड़ी सीट शामिल है.

    पश्चिम बंगाल की इन तीन सीटों पर वोटों की गिरावट पर योगेंद्र यादव ने कहा, "अलीपुर, कूच बिहार, जलपाईगुड़ी बीजेपी का गढ़ है. वहां 7 फीसदी की गिरावट हुई है, जो कि सत्ताधारी पार्टी के लिए चिंता का विषय है. यह सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ एक झलक लगती है."

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