पाकिस्तान के बाद बांग्लादेश पर भारत की कार्रवाई से यूनुस के छूटे पसीने, सड़कों पर क्यों लग गई ट्रकों की लाइन?

    बांग्लादेश से आने वाला सामान केवल दो बंदरगाहों—कोलकाता और न्हावा शेवा—के जरिये ही भारत में प्रवेश कर सकेगा. बाकी सीमावर्ती मार्गों से माल की एंट्री अस्थायी रूप से रोक दी गई है.

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    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    ढाकाः भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव ने अब व्यापारिक संबंधों को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है. बांग्लादेश की यूनुस सरकार द्वारा हाल के दिनों में लिए गए भारत-विरोधी फैसलों के जवाब में भारत ने भी बड़ा कदम उठाया है. नई नीति के तहत अब बांग्लादेश से आने वाला सामान केवल दो बंदरगाहों—कोलकाता और न्हावा शेवा—के जरिये ही भारत में प्रवेश कर सकेगा. बाकी सीमावर्ती मार्गों से माल की एंट्री अस्थायी रूप से रोक दी गई है.

    सीमा पर रुके ट्रक, व्यापार पर असर

    इस फैसले का असर रविवार को साफ नजर आया, जब बांग्लादेश के कई बंदरगाहों पर भारत जा रहे सैकड़ों ट्रक फंसे रह गए. इनमें से कई ट्रक रेडीमेड गारमेंट्स, प्लास्टिक उत्पाद, खाद्य सामग्री और अन्य उपभोक्ता वस्तुएं लेकर भारतीय बाजारों के लिए निकले थे. लेकिन, नए नियम लागू होने के चलते उन्हें या तो वहीं रोक दिया गया या बिना माल उतारे लौटना पड़ा.

    बेनापोल सीएंडएफ एजेंट्स एसोसिएशन के महासचिव इमदादुल हक ने चिंता जाहिर करते हुए कहा, "यह अचानक लिया गया निर्णय द्विपक्षीय व्यापार को बुरी तरह से बाधित कर सकता है." सिर्फ बेनापोल में ही करीब 36 ट्रक फंसे हुए हैं, जो भारत की पूर्वोत्तर सीमाओं की ओर जा रहे थे.

    क्यों उठाया भारत ने यह कदम?

    भारत लंबे समय से बांग्लादेश को व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में समर्थन देता आया है. लेकिन हाल की घटनाओं—चाहे वह भारत-विरोधी बयान हों, या सांप्रदायिक संगठनों को बांग्लादेश में मिलने वाला राजनीतिक संरक्षण—ने द्विपक्षीय संबंधों में तनाव बढ़ा दिया है.

    भारत के लिए यह फैसला एक रणनीतिक दबाव बनाने का माध्यम भी है. जब तक बांग्लादेश अपने रुख में संतुलन नहीं लाता, भारत इस तरह की कूटनीतिक और व्यापारिक सख्ती जारी रख सकता है.

    पूर्वोत्तर भारत और सीमावर्ती व्यापार पर असर

    बांग्लादेश से आने वाला अधिकतर सामान असम, त्रिपुरा, मिजोरम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से होकर गुजरता था. इन इलाकों में बांग्लादेशी कपड़ों और उपभोक्ता वस्तुओं की बड़ी खपत होती है. लेकिन, अब इन राज्यों तक सप्लाई बाधित हो गई है, जिससे व्यापारियों को लॉजिस्टिक दिक्कतों और वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

    भारत-बांग्लादेश सीमा की रणनीतिक अहमियत

    भारत और बांग्लादेश के बीच करीब 4,096 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जो दुनिया की पांचवीं सबसे लंबी भूमि सीमा मानी जाती है. बांग्लादेश की यह सीमा भारत के पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम जैसे राज्यों से लगती है. यही कारण है कि सीमा पार व्यापार इन क्षेत्रों के आर्थिक संतुलन में अहम भूमिका निभाता है.

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