क्या हाइड्रोजन बम टेस्ट करेगा भारत? ट्रंप के दावे के बाद मौका! होता है परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक

    दुनिया में एक बार फिर परमाणु शक्ति संतुलन को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है.

    Will India test hydrogen bomb Opportunity after Trumps claim
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    दुनिया में एक बार फिर परमाणु शक्ति संतुलन को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है. ट्रंप ने कहा है कि पाकिस्तान और चीन गुपचुप तरीके से परमाणु परीक्षण कर रहे हैं. इस दावे के बाद भारत के पास एक बार फिर अपनी सामरिक ताकत को प्रदर्शित करने का मौका बन सकता है, खासकर हाइड्रोजन बम या थर्मोन्यूक्लियर बम के परीक्षण के रूप में.

    परमाणु शक्तियों की वैश्विक तस्वीर

    वर्तमान में दुनिया में नौ देश ऐसे हैं जो परमाणु हथियारों की पूरी क्षमता रखते हैं- अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इज़राइल. इनमें से कुछ देशों ने हाइड्रोजन बम जैसे उन्नत थर्मोन्यूक्लियर हथियारों का परीक्षण भी किया है. यह बम पारंपरिक परमाणु बम से कई गुना ज्यादा विनाशकारी होता है और इसकी ताकत मेगाटन स्तर पर मापी जाती है.

    भारत ने 1998 में पोखरण में अपने पांच परमाणु परीक्षणों के साथ खुद को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया था. उस समय भारत सरकार ने दावा किया था कि इनमें से एक परीक्षण थर्मोन्यूक्लियर यानी हाइड्रोजन बम का था. हालांकि इस पर वैज्ञानिकों के बीच मतभेद बने रहे.

    पोखरण की यादें और विवादित बयान

    डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे के. संथानम ने 2009 में एक बयान में कहा था कि पोखरण-2 के दौरान किए गए हाइड्रोजन बम परीक्षण की क्षमता उम्मीद से कम थी. उनका कहना था कि भारत को एक “सटीक और पूर्ण” थर्मोन्यूक्लियर परीक्षण दोबारा करना चाहिए ताकि उसकी सामरिक क्षमता पर कोई सवाल न रहे.

    हालांकि, तत्कालीन परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष राजगोपाल चिदंबरम ने इन दावों को गलत बताया था और कहा था कि 1998 का परीक्षण पूरी तरह सफल रहा था.

    भारत के लिए मौका या जोखिम?

    ट्रंप के बयान के बाद रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास अब अपनी परमाणु क्षमता को और मजबूत करने का मौका है. अगर वास्तव में पाकिस्तान और चीन नए परीक्षण कर रहे हैं, तो भारत के लिए भी थर्मोन्यूक्लियर हथियारों के क्षेत्र में निर्णायक कदम उठाने की स्थिति बन सकती है. कई रक्षा विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि भारत तकनीकी रूप से इस स्तर पर पहुँच चुका है कि वह ज़रूरत पड़ने पर बेहद कम समय में परीक्षण की तैयारी कर सकता है.

    लेकिन इसके साथ ही जोखिम भी हैं, क्योंकि किसी भी नए परीक्षण से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक दबाव और संभावित आर्थिक प्रतिबंध झेलने पड़ सकते हैं. भारत ने 1998 के बाद से अब तक स्वैच्छिक रूप से परीक्षणों पर रोक (moratorium) रखी है.

    हाइड्रोजन बम और परमाणु बम में कितना फर्क?

    हाइड्रोजन बम, जिसे थर्मोन्यूक्लियर बम भी कहा जाता है, पारंपरिक परमाणु बम से कई गुना अधिक शक्तिशाली होता है. परमाणु बम में ऊर्जा यूरेनियम या प्लूटोनियम के विखंडन (fission) से निकलती है. जबकि हाइड्रोजन बम में ऊर्जा हाइड्रोजन के संलयन (fusion) से पैदा होती है- वही प्रक्रिया जो सूरज में होती है.

    इसी कारण इसे "सन बम" भी कहा जाता है. इसकी क्षमता इतनी अधिक होती है कि यह कुछ ही सेकंड में सैकड़ों किलोमीटर तक तबाही मचा सकता है.

    पाकिस्तान में चिंता की लहर

    पाकिस्तान ने भारत के संभावित थर्मोन्यूक्लियर परीक्षण की खबरों पर गहरी चिंता जताई है. इस्लामाबाद से लेकर सैन्य गलियारों तक यह चर्चा है कि अगर भारत हाइड्रोजन बम का परीक्षण करता है, तो दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन पूरी तरह बदल सकता है. पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने भी कहा है कि भारत हाइड्रोजन बम के क्षेत्र में परीक्षण की तैयारी कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ जाएगा.

    विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का ऐसा कदम पाकिस्तान को नए परमाणु कार्यक्रमों की ओर धकेल सकता है, जिससे एशिया में एक नई न्यूक्लियर रेस शुरू हो सकती है.

    अमेरिका, रूस और चीन पहले ही थर्मोन्यूक्लियर हथियारों का परीक्षण कर चुके हैं. अब अगर भारत इस दिशा में कदम बढ़ाता है, तो यह न सिर्फ उसकी सामरिक ताकत को नई ऊँचाई देगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी स्थिति को भी बदलेगा. हालांकि, भारत की नीति अब तक “नो फर्स्ट यूज़” यानी पहले हमला न करने की रही है. लेकिन लगातार बदलते वैश्विक माहौल में भारत की परमाणु रणनीति में पुनर्विचार के संकेत भी मिल रहे हैं.

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