व्हाइट हाउस में बुलाकर नेताओं को बेइज्जत क्यों करते हैं ट्रंप? जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

    अमेरिकी राजनीति में डोनाल्ड ट्रंप हमेशा से ही एक अलग और विवादास्पद किरदार रहे हैं. वो नेता जो परंपरागत कूटनीतिक व्यवहार की परवाह नहीं करता, और जिनकी मुलाकातें अकसर विवाद का कारण बन जाती हैं.

    Why does Trump insult leaders by calling them to the White House
    डोनाल्ड ट्रंप | Photo: ANI

    अमेरिकी राजनीति में डोनाल्ड ट्रंप हमेशा से ही एक अलग और विवादास्पद किरदार रहे हैं. वो नेता जो परंपरागत कूटनीतिक व्यवहार की परवाह नहीं करता, और जिनकी मुलाकातें अकसर विवाद का कारण बन जाती हैं. हाल ही में, ट्रंप की दो अहम मुलाकातों ने फिर से ये सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या उनका व्यवहार महज व्यक्तिगत अंदाज़ है, या इसके पीछे कोई ठोस राजनीतिक रणनीति छिपी होती है.

    यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के साथ हुई बैठकों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी. दोनों ही राष्ट्राध्यक्ष व्हाइट हाउस आए, लेकिन ट्रंप से उनकी बातचीत का लहजा ऐसा रहा कि ये मुलाकातें रिश्ते सुधारने के बजाय और बिगाड़ने का जरिया बन गईं. ज़ेलेंस्की तो यहां तक कि बीच बैठक से ही उठकर चले गए, वो भी बिना भोजन किए. दूसरी तरफ, रामफोसा ट्रंप के व्यवहार से नाराज़ जरूर हुए लेकिन संयमित रहे.

    दरअसल, ट्रंप के इस रवैये को अगर उनके व्यापक राजनीतिक दृष्टिकोण में समझा जाए, तो वह ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का प्रतिबिंब नजर आता है. यह एक ऐसी सोच है जिसमें अमेरिकी हितों को हर सूरत में प्राथमिकता दी जाती है — भले इसके लिए विदेशी नेताओं को अपमानित क्यों न करना पड़े.

    जब कूटनीति बनी प्रदर्शन की स्क्रिप्ट

    21 मई की बात है, जब ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा से व्हाइट हाउस में मुलाकात की. यह सामान्य राजनयिक बैठक हो सकती थी, लेकिन ट्रंप ने इसे एक तरह का मंच बना दिया. उन्होंने कमरे की रोशनी कम करवा दी और एक वीडियो चलवाया, जिसमें दक्षिण अफ्रीका में कथित रूप से श्वेत किसानों पर हो रहे “नरसंहार” की तस्वीरें और विवादित नारे जैसे “Kill the Boer” दिखाए गए. इस वीडियो में सड़क किनारे सफेद क्रॉस दिखाई दिए, जिन्हें ट्रंप ने श्वेत किसानों की कब्रें बताया.

    रामफोसा ने संयम बरतते हुए जवाब दिया कि ये सरकारी नीति नहीं है, और अपराध सभी नस्लों को प्रभावित करता है. उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप द्वारा दिखाया गया वीडियो फेक है. उन्होंने अपने प्रतिनिधिमंडल में दक्षिण अफ्रीका के श्वेत नागरिकों — प्रसिद्ध गोल्फर अर्नी एल्स और रिटिफ गूसन — को शामिल करके यह संदेश देने की कोशिश की कि दक्षिण अफ्रीका नस्लीय एकता में यकीन करता है. परंतु ट्रंप का यह पूरा कार्यक्रम ऐसा प्रतीत हुआ जैसे वह अपने दक्षिणपंथी समर्थकों को “व्हाइट नरसंहार” जैसे मुद्दों से संदेश देना चाह रहे हों.

    ज़ेलेंस्की के साथ तनावपूर्ण मोड़

    यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के साथ ट्रंप की मुलाकात भी कड़वाहट से भरी रही. ट्रंप ने उन्हें “अकृतज्ञ” कहा और अमेरिका द्वारा दी जा रही सैन्य सहायता पर सवाल उठाया. उपराष्ट्रपति जे.डी. वैंस भी इस बातचीत में शामिल थे और उन्होंने यूक्रेन की नीतियों पर कठोर टिप्पणियां कीं. ज़ेलेंस्की के पहनावे तक पर ट्रंप ने कटाक्ष किया, जो कि किसी भी राजनयिक बैठक में अत्यंत असभ्य माना जाता है. ज़ेलेंस्की इस व्यवहार से इतने नाराज़ हुए कि बैठक को बीच में ही छोड़कर चले गए.

    यह सब ट्रंप की उसी शैली की पुनरावृत्ति थी, जो वह अपने पहले कार्यकाल में भी दिखा चुके हैं. 2017 में जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के साथ हाथ मिलाने से इनकार करने से लेकर 2018 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को "कमजोर" और "बेईमान" कहने तक — ट्रंप हमेशा से परंपरागत कूटनीतिक शिष्टाचार से हटकर चलते आए हैं. उन्होंने हैती और कुछ अफ्रीकी देशों को "शिथोल कंट्रीज़" कहकर वैश्विक आलोचना भी झेली थी.

    रणनीति या स्वभाव?

    ट्रंप का यह व्यवहार क्या सिर्फ एक उग्र और स्वभाविक प्रतिक्रिया है या इसके पीछे कोई सुनियोजित रणनीति? जानकारों का मानना है कि यह पूरी तरह सोची-समझी रणनीति है. ट्रंप अपने समर्थकों, खासकर “MAGA” (Make America Great Again) आधार को संतुष्ट करने के लिए इस तरह की नाटकीय और टकरावपूर्ण शैली अपनाते हैं.

    जब रामफोसा से मुलाकात में ट्रंप ने वीडियो दिखवाया, तो यह साफ था कि यह पहले से तैयार किया गया था — टीवी स्क्रीन तैयार रखी गई थीं और रोशनी कम करने का निर्देश पहले से था. यह एक स्क्रिप्टेड शो जैसा था, जिसका उद्देश्य था राजनीतिक संदेश देना. ज़ेलेंस्की को ‘अकृतज्ञ’ कहकर ट्रंप ने अमेरिकी करदाताओं की भावना से खेलने की कोशिश की, ताकि यह संदेश जाए कि वह अमेरिकी पैसों के हकदारों से सख्ती से पेश आते हैं.

    ट्रंप का व्यक्तिगत अंदाज़

    ट्रंप की यह शैली सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं है. उनकी निजी जिंदगी में भी इसी तरह का व्यवहार दिखाई देता है. उनकी भतीजी मैरी ट्रंप ने अपनी किताब Too Much and Never Enough में ट्रंप को नियंत्रणकारी और प्रतिस्पर्धी बताया है. किताब में यह उल्लेख है कि ट्रंप ने अपने बड़े भाई फ्रेड ट्रंप जूनियर को लगातार नीचा दिखाया, जिससे परिवार में तनाव बढ़ा.

    अपने व्यापारिक करियर में भी ट्रंप ने कर्मचारियों से सख्ती और कभी-कभी अपमानजनक व्यवहार किया. छोटे-छोटे कारणों से बर्खास्तगी, अपमानजनक टिप्पणियां — यह सब ट्रंप के नेतृत्व का हिस्सा रहा है. हालांकि अपनी पत्नी मेलानिया और बेटी टिफनी के साथ वह एक नरम और सुरक्षात्मक रवैया अपनाते हैं, लेकिन कुल मिलाकर वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो रिश्तों में भी दबाव की भाषा बोलते हैं.

    क्या यह रणनीति कारगर है?

    ट्रंप की इस शैली के कुछ फायदे जरूर हैं — उनके समर्थकों के बीच उनकी छवि एक सख्त और निर्णायक नेता की बनती है. कई बार वे दबाव डालकर नीतिगत लाभ भी हासिल कर लेते हैं. जैसे, रामफोसा के साथ उन्होंने 30% टैरिफ की धमकी देकर दक्षिण अफ्रीका को आर्थिक दबाव में लिया. ज़ेलेंस्की के सामने सहायता पर सवाल उठाकर उन्होंने अमेरिका के भीतर चल रही “यूक्रेन थकान” (Ukraine fatigue) को हवा दी.

    लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है. ट्रंप का यह आक्रामक अंदाज़ अमेरिका के कूटनीतिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है. यूक्रेन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में अमेरिका की छवि को धक्का पहुंचा है. ज़ेलेंस्की की नाराजगी और रामफोसा की असहजता ये संकेत देते हैं कि अमेरिका का मित्र देशों से रिश्ता अब सहज नहीं रहा. इससे भविष्य की साझेदारियों पर असर पड़ सकता है.

    दुनिया के नेता कैसे देते हैं जवाब

    हर नेता ट्रंप के व्यवहार का एक अलग ढंग से जवाब देता है. सिरिल रामफोसा ने संयम और गरिमा के साथ स्थिति को संभाला. उन्होंने न तो गुस्सा दिखाया, न ही सार्वजनिक रूप से ट्रंप की आलोचना की, बल्कि तथ्य आधारित प्रतिक्रिया दी. ज़ेलेंस्की ने थोड़ी आक्रामकता दिखाई और बीच में बैठक छोड़ दी.

    फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने ट्रंप को सार्वजनिक मंचों पर नियंत्रित करने की कोशिश की और शारीरिक हावभाव का सहारा लेकर माहौल शांत रखने की कोशिश की. ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने ट्रंप की आलोचना का जवाब अपने संसदीय अनुभव और तर्कों के साथ दिया. कुल मिलाकर, विश्व नेता ट्रंप से निपटने के लिए अलग-अलग रणनीतियां अपना रहे हैं — कोई संयम दिखा रहा है, कोई पलटवार कर रहा है.

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