भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ तो कौन किसका साथ देगा? दो खेमों में बंटेगी दुनिया! कैसा है माहौल?

    भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों का हाथ बताया, जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया. नतीजतन, भारत-पाक संबंधों में एक बार फिर भारी तनाव उत्पन्न हो गया है.

    who will support India and Pakistan
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया. इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिनमें बड़ी संख्या में हिंदू तीर्थयात्री शामिल थे. इस अमानवीय हमले ने न सिर्फ भारत में आक्रोश की लहर पैदा की, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी इसकी गूंज सुनाई दी. भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों का हाथ बताया, जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया. नतीजतन, भारत-पाक संबंधों में एक बार फिर भारी तनाव उत्पन्न हो गया है.

    इस गंभीर स्थिति पर दुनिया के कई देशों ने प्रतिक्रिया दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने फोन कर संवेदना व्यक्त की और भारत के साथ एकजुटता दिखाई. भारत को अपने कुछ पारंपरिक मित्र देशों से समर्थन मिला, जबकि पाकिस्तान को भी अपने रणनीतिक साझेदारों का साथ प्राप्त हुआ.

    भारत को मिला सीमित लेकिन अहम समर्थन

    भारत के सबसे भरोसेमंद पड़ोसी भूटान ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए खतरा बताया. भूटान ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख का पूर्ण समर्थन किया. इसी तरह बांग्लादेश ने भी इस घटना को कायराना करार देते हुए भारत के साथ खड़ा रहने का संदेश दिया. उसने खासतौर पर सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की बात कही.

    श्रीलंका ने भी हमले पर दुख जताया, लेकिन उसका रुख संतुलित रहा. वह भारत और पाकिस्तान दोनों से संबंध बनाए रखने की नीति पर कायम रहा. नेपाल और म्यांमार ने भी औपचारिक रूप से हमले की निंदा की, लेकिन उन्होंने किसी एक पक्ष के समर्थन में सीधा बयान नहीं दिया. अफगानिस्तान, जो खुद वर्षों से आतंकवाद से पीड़ित है, ने भारत के प्रति सहानुभूति जताई, हालांकि तालिबान शासन की सीमित अंतरराष्ट्रीय वैधता के चलते उसका प्रभाव कम है.

    पाकिस्तान को मिला रणनीतिक समर्थन

    दूसरी ओर पाकिस्तान को चीन और तुर्की जैसे देशों से खुला समर्थन मिला. चीन ने न केवल पाकिस्तान के साथ अपने मजबूत रिश्तों को दोहराया, बल्कि तनाव के इस माहौल में उसे सैन्य उपकरण भी मुहैया कराए. चीन ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की, लेकिन पाकिस्तान के प्रति उसके झुकाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

    तुर्की ने भी पाकिस्तान की ओर स्पष्ट समर्थन दिखाया. उसने न सिर्फ बयानबाजी की, बल्कि सैन्य सहायता के तौर पर ड्रोन और अन्य हथियार भी भेजे. यह भारत के लिए विशेष रूप से चौंकाने वाला था, क्योंकि हाल ही में भारत ने तुर्की को भूकंप के समय मानवीय सहायता प्रदान की थी.

    वैश्विक मंच की प्रतिक्रियाएं

    अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे प्रमुख वैश्विक शक्तियों ने हमले की आलोचना की और भारत के साथ संवेदना व्यक्त की. हालांकि, अमेरिका ने संयम बरतने की सलाह देते हुए एक संतुलित रुख अपनाया. रूस और इजरायल ने भारत का खुला समर्थन किया – खासकर इजरायल, जो भारत के सुरक्षा और खुफिया मामलों में प्रमुख साझेदार रहा है. संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने भी इस घटना की निंदा की, लेकिन व्यावहारिक कार्रवाई की कोई ठोस पहल नहीं की गई.

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