वैश्विक ऊर्जा बाजारों में हो रहे बदलाव और भू-राजनीतिक तनावों के बीच भारत की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) ने अपनी रणनीति में अहम बदलाव किया है. कंपनी ने रूस की सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट के साथ संभावित कच्चे तेल खरीद समझौते को फिलहाल स्थगित कर दिया है. इसके बजाय भारत अब अमेरिका से अधिक मात्रा में कच्चा तेल आयात करने की दिशा में अग्रसर है.
सूत्रों के अनुसार, इस कदम के पीछे अमेरिका के साथ व्यापार घाटे को संतुलित करने की मंशा एक बड़ी वजह है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 26% आयात शुल्क लगाया था. अमेरिका उन देशों में शामिल है जिनके साथ भारत का व्यापार घाटा काफी अधिक है, और ऐसे में ऊर्जा व्यापार को इस असंतुलन को कम करने के एक माध्यम के रूप में देखा जा रहा है.
रूस से तेल खरीद में गिरावट, अब अमेरिकी गैस पर फोकस
इंडियन ऑयल के चेयरमैन ए.एस. साहनी ने बताया कि यह निर्णय बाजार की स्थितियों को ध्यान में रखकर लिया गया है, और इस पर सरकार का कोई दबाव नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया, “हम फिलहाल रोसनेफ्ट से वार्ता नहीं कर रहे हैं, लेकिन अगर परिस्थितियां अनुकूल हुईं तो हम तैयार हैं.”
यूक्रेन युद्ध के बाद रूस भारत को रियायती दरों पर कच्चा तेल उपलब्ध करा रहा था, जिससे वह भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया था. हालांकि हाल के महीनों में उस रियायत में कमी आई है, जिससे रूसी तेल की आकर्षकता घट गई है. वित्त वर्ष 2023-24 में इंडियन ऑयल के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 31% थी, जो 2024-25 में घटकर 22% रह गई है.
अमेरिका से गैस आयात के संकेत, ट्राफिगुरा से हुआ बड़ा समझौता
इसी बीच, इंडियन ऑयल ने ग्लोबल एनर्जी ट्रेडिंग कंपनी ट्राफिगुरा के साथ गैस आपूर्ति का एक बड़ा समझौता किया है. यह 1.4 बिलियन डॉलर की डील 5 साल के लिए की गई है, जिसके तहत अमेरिका के हेनरी हब मूल्यसूचकांक के आधार पर गैस की कीमत तय की जाएगी. इस समझौते के अंतर्गत कुल 2.5 मिलियन टन एलएनजी (Liquefied Natural Gas) की खरीद की जाएगी, जिसे 27 शिपमेंट्स के जरिए भारत भेजा जाएगा. सप्लाई इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से शुरू होगी.
एलएनजी एक प्रकार की प्राकृतिक गैस होती है जिसे अत्यधिक ठंडा कर तरल रूप में बदला जाता है, जिससे इसे समुद्री मार्ग से आसानी से भेजा जा सके. साहनी ने यह तो स्पष्ट नहीं किया कि इस डील में अमेरिका से सप्लाई की कोई बाध्यकारी शर्त है या नहीं, लेकिन डील की शर्तें अमेरिका से एलएनजी आयात की संभावना को मजबूत करती हैं.
तेल रणनीति: कीमत और जरूरत के आधार पर खरीद
साहनी ने कहा कि इंडियन ऑयल की खरीद रणनीति किसी एक देश पर निर्भर नहीं होती, बल्कि यह मूल्य, गुणवत्ता और बाजार की जरूरतों के आधार पर तय की जाती है. फिलहाल कंपनी दीर्घकालिक (टर्म) समझौतों से बचना चाहती है, विशेषकर ऐसे समय में जब वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर रूसी तेल की कीमतें प्रतिस्पर्धी रहीं तो टेंडर आधारित खरीद प्रक्रिया के तहत रूस से आयात जारी रह सकता है.
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