‘हम कुचल देंगे तुम्हारी अर्थव्यवस्था‘, डोनाल्ड ट्रंप के नक्शे कदम पर चल रहे अमेरिकी सीनेटर; भारत को दी धमकी?

    रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध केवल इन दोनों देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी आंच अब वैश्विक स्तर पर फैल रही है.

    US Senator following in Donald Trump footsteps Threatened India
    डोनाल्ड ट्रंप | Photo: ANI

    रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध केवल इन दोनों देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी आंच अब वैश्विक स्तर पर फैल रही है. युद्ध के कारण पैदा होने वाली आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता ने दुनिया के बड़े देशों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया है. अमेरिका, जो पहले रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों के जरिए दबाव बना रहा था, अब अपने सहयोगी देशों को भी धमकी दे रहा है, ताकि वे रूस के साथ व्यापार करने से बाज़ आएं. इस संकट के बीच भारत जैसे देशों के लिए चुनौतियाँ और भी बढ़ गई हैं.

    अमेरिका का आर्थिक दबाव

    अमेरिका के सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने हाल ही में रूस के व्यापारिक साझेदार देशों के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि कोई देश रूस से व्यापार करता है, खासकर सस्ता रूसी तेल खरीदता है, तो उसे भारी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ेगी. ग्राहम ने भारत, चीन और ब्राजील को सीधे तौर पर निशाना बनाते हुए कहा कि ये देश अगर रूस के साथ अपने व्यापारिक रिश्ते बनाए रखते हैं तो उनकी अर्थव्यवस्था पर भारी टैरिफ लगाए जाएंगे.

    ग्राहम के इस बयान से यह स्पष्ट है कि अमेरिका अब रूस के समर्थन में खड़े देशों के खिलाफ कड़ी रणनीति अपनाने को तैयार है. उन्होंने कहा, "अगर आप रूस के साथ व्यापार करते हैं, तो आप युद्ध को बढ़ावा दे रहे हैं और हम आपकी अर्थव्यवस्था को कुचल देंगे."

    भारत के सामने दुविधा

    भारत, जो न तो यूक्रेन का समर्थन करता है और न ही रूस के खिलाफ किसी सैन्य कार्रवाई में शामिल है, अब एक जटिल स्थिति में फंसा हुआ है. भारत ने हमेशा अपने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में संतुलन बनाए रखा है, और रूस के साथ इसका पुराना और गहरा रिश्ता है. रूस भारत को रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा है, और इसके अलावा, सस्ता रूसी तेल भी भारत के ऊर्जा संकट को कुछ हद तक कम करता है.

    अब, अमेरिका की बढ़ती चेतावनियों ने भारत को मुश्किल में डाल दिया है. अगर भारत अपनी स्थिति में बदलाव नहीं करता और रूस से व्यापार जारी रखता है, तो अमेरिकी टैरिफ का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है. इस स्थिति में भारत को दो बड़ी ताकतों—रूस और अमेरिका—के बीच संतुलन साधने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

    रूस की कठोर स्थिति

    हालांकि, रूस की तरफ से भी कोई नरमी नहीं दिखाई दे रही है. राष्ट्रपति पुतिन और उनके प्रशासन ने युद्ध को जारी रखने का संकल्प लिया है, और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद वे अपने रुख में कोई बदलाव करने को तैयार नहीं हैं. रूस के लिए यह युद्ध न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा का सवाल है, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और शक्ति का प्रतीक भी बन चुका है.

    ऐसे में, अमेरिकी धमकियों का रूस पर कोई असर होता दिखाई नहीं देता. उल्टा, रूस अपने पुराने व्यापारिक साझेदारों से संबंध मजबूत करने और नए बाजारों की तलाश में है. वहीं, अमेरिका भी पूरी दुनिया को रूस से अलग-थलग करने के लिए आर्थिक और कूटनीतिक प्रयासों में जुटा हुआ है.

    वैश्विक स्तर पर बढ़ता तनाव

    इस युद्ध का प्रभाव केवल रूस, यूक्रेन और अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा. यदि ट्रंप प्रशासन लिंडसे ग्राहम की चेतावनी को गंभीरता से लागू करता है, तो यह सिर्फ रूस के खिलाफ नहीं, बल्कि चीन, भारत, ब्राजील और कुछ यूरोपीय देशों के खिलाफ भी एक आर्थिक युद्ध छेड़ेगा. इस स्थिति में पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

    अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, ऊर्जा आपूर्ति, और कच्चे माल की कीमतों में अस्थिरता की संभावना और भी बढ़ सकती है, और इससे उन देशों के नागरिकों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, जो रूस के साथ व्यापारिक रिश्ते बनाए हुए हैं.

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