शेयर बाजार में उथल-पुथल: सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट, इन कंपनियों को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान

वैश्विक आर्थिक तनाव के बीच भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को भारी गिरावट देखने को मिली. अमेरिकी टैरिफ नीति में बदलाव और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के कारण सेंसेक्स 3300 अंक से अधिक गिर गया, जबकि निफ्टी भी लगभग 1000 अंक फिसल गया.

Turmoil in the stock market Sensex and Nifty fell heavily these companies suffered the most
प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

नई दिल्ली: वैश्विक आर्थिक तनाव के बीच भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को भारी गिरावट देखने को मिली. अमेरिकी टैरिफ नीति में बदलाव और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के कारण सेंसेक्स 3300 अंक से अधिक गिर गया, जबकि निफ्टी भी लगभग 1000 अंक फिसल गया. इस गिरावट से निवेशकों की संपत्ति में लगभग 19.39 लाख करोड़ रुपये की भारी गिरावट दर्ज की गई.

बाजार में व्यापक असर

बीएसई सेंसेक्स 3379.19 अंक यानी 4.48% गिरकर 72,623 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी-50 में 1056.05 अंकों (4.61%) की गिरावट के साथ 21,848.40 पर कारोबार हुआ. दूसरी ओर, एशियाई बाजारों में भी जबरदस्त गिरावट देखने को मिली. हांगकांग के बाजार में 10% की गिरावट, जबकि जापान और चीन के बाजारों में 6% की गिरावट दर्ज की गई. अमेरिका के शेयर बाजार भी इस मंदी से अछूते नहीं रहे, जहां डाओ फ्यूचर्स 900 अंक गिर गया और नैस्डैक तथा एसएंडपी में भी 3% की गिरावट आई.

भारतीय बाजार में किन कंपनियों को नुकसान?

भारत में जिन प्रमुख कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई, उनमें टाटा मोटर्स और टाटा स्टील को सबसे अधिक 10% का नुकसान हुआ. इसके अलावा, एचसीएल टेक 7%, टेक महिंद्रा 6%, इंफोसिस 6%, एलएंडटी 6%, रिलायंस इंडस्ट्रीज और टीसीएस 5% नीचे चले गए.

वैश्विक परिदृश्य और निवेशकों की चिंता

ऑस्ट्रेलिया के एसएंडपी 200 में 6.5% की गिरावट रही, जबकि दक्षिण कोरिया का कोस्पी इंडेक्स 5.5% गिरकर 2328.52 पर आ गया. इससे पहले, अमेरिकी नैस्डैक में शुक्रवार को 7% की गिरावट देखी गई थी. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो यह गिरावट 1987 के स्टॉक मार्केट क्रैश जैसी स्थिति बना सकती है.

विशेषज्ञों की राय

मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के निदेशक पुनीत सिंघानिया के अनुसार, "यह सप्ताह वैश्विक और भारतीय बाजारों के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए नए शुल्कों के कारण व्यापार युद्ध की संभावना बढ़ गई है, जिससे निवेशक चिंतित हैं." उन्होंने आगे बताया कि इस हफ्ते चीन और ब्रिटेन के आर्थिक आंकड़े भी जारी होने हैं, जो बाजार की चाल को प्रभावित कर सकते हैं.

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, "अमेरिका और अन्य देशों के बीच व्यापारिक तनाव और केंद्रीय बैंकों की नीतियां इस गिरावट की मुख्य वजह हैं. इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक की आगामी मौद्रिक नीति समिति की बैठक भी बाजार की दिशा तय कर सकती है."

निवेशकों के लिए रणनीति

शेयर बाजार में अचानक आई इस गिरावट से निवेशक चिंतित हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह अस्थायी हो सकता है. लंबी अवधि के निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि सोच-समझकर अपने पोर्टफोलियो का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए.

अमेरिकी मार्केट विशेषज्ञ जिम क्रेमर ने अपने शो Mad Money में चेतावनी दी कि यदि ट्रंप प्रशासन ने जल्द कोई संतुलित नीति नहीं अपनाई, तो बाजार को 1987 जैसा बड़ा झटका लग सकता है.

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