ट्रंप के 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' को संसद की मंजूरी... अमेरिका नहीं, अब चीन बनेगा सुपरपावर!

    इस विधेयक को अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स से बेहद मामूली बहुमत से 218-214 के अंतर से पास किया गया.

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    डोनाल्ड ट्रंप | Photo: ANI

    अमेरिका में हाल ही में पारित हुआ 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत जरूर है, लेकिन यह जीत कई विवादों और आलोचनाओं के साये में आई है. इस विधेयक को अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स से बेहद मामूली बहुमत से 218-214 के अंतर से पास किया गया. इसके समर्थन में 218 वोट पड़े, जबकि 214 सांसदों ने इसका विरोध किया.

    ट्रंप की महत्वाकांक्षी योजना को मिली मंजूरी

    राष्ट्रपति ट्रंप लंबे समय से इस बिल को आगे बढ़ाना चाहते थे. इसे पारित करवाना उनके दूसरे कार्यकाल की प्राथमिकताओं में शामिल रहा है. संसद से अंतिम मुहर लगने के बाद अब यह विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा गया है. ट्रंप इस योजना को अमेरिका की आर्थिक मजबूती की कुंजी मानते हैं.

    टैरिफ बिल से अमेरिका को होगा फायदा या नुकसान?

    ट्रंप का दावा है कि यह "Big Beautiful Tariff Bill" अमेरिका की आर्थिक और औद्योगिक सुरक्षा को मजबूत करेगा. लेकिन ऊर्जा और पर्यावरण के विशेषज्ञों की राय इससे बिलकुल उलट है. उनका मानना है कि यह कानून अमेरिका की ऊर्जा नीति को पीछे ले जाएगा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में देश को कमजोर कर देगा.

    नवीकरणीय ऊर्जा को लगेगा बड़ा झटका

    इस बिल के तहत सौर और पवन ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों को मिलने वाली टैक्स छूटें धीरे-धीरे खत्म कर दी जाएंगी. इलेक्ट्रिक वाहनों को मिलने वाला टैक्स क्रेडिट भी समाप्त किया जा रहा है. यह फैसला ऐसे वक्त पर लिया गया है जब दुनिया भर में स्वच्छ और हरित ऊर्जा की ओर रुझान बढ़ रहा है. यहां तक कि टेक्सास जैसे राज्य, जहां पारंपरिक तौर पर तेल और गैस का बोलबाला रहा है, अब सौर और बैटरी प्रोजेक्ट्स में भारी निवेश कर रहे हैं.

    एलन मस्क ने किया तीखा विरोध

    टेस्ला और स्पेसएक्स के प्रमुख एलन मस्क ने इस बिल को पूरी तरह “पागलपन भरा और विनाशकारी” करार दिया है. मस्क का मानना है कि यह कानून उन तकनीकों को खत्म कर देगा जो आने वाले समय में अमेरिका को ऊर्जा और तकनीक के क्षेत्र में नेतृत्व प्रदान कर सकती थीं.

    संभावित प्रभाव और विशेषज्ञों की चेतावनी

    बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी: ऊर्जा विश्लेषकों का कहना है कि अगर यह नीति लागू रहती है, तो 2035 तक बिजली की थोक कीमतें लगभग 50% तक बढ़ सकती हैं.

    • रोजगार का संकट: अनुमान है कि 2030 तक करीब 8.3 लाख नौकरियों पर असर पड़ेगा, खासकर स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में.
    • चीन को बढ़त: चीन पहले से ही ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी उत्पादन में अमेरिका से आगे है. यह कानून उसे और बढ़त दिला सकता है.

    चीन को अप्रत्याशित लाभ

    जहां एक ओर अमेरिका अपने नवीकरणीय ऊर्जा के पंख खुद काट रहा है, वहीं चीन इस क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. वहां सरकार सौर पैनल, विंड टर्बाइन और बैटरियों में भारी निवेश कर रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की यह नई नीति चीन को अप्रत्याशित गिफ्ट के रूप में मिली है.

    अमेरिका के ऊर्जा भविष्य पर संकट

    एटलस पब्लिक पॉलिसी के ऊर्जा विशेषज्ञ निक निग्रो का कहना है कि यह विधेयक अमेरिका को वैश्विक ऊर्जा प्रतिस्पर्धा में पीछे धकेल सकता है. “हम आने वाले दशक में महसूस करेंगे कि यहीं से अमेरिका ने स्वच्छ ऊर्जा में अपनी बढ़त गंवाई,” वे कहते हैं.

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