अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को सुलझाने की बात कहकर एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और फिर अचानक हुए सीजफायर समझौते को ट्रंप ने अपनी 'सफल मध्यस्थता' की तरह पेश किया.
रविवार को ट्रुथ सोशल पर किए गए एक पोस्ट में ट्रंप ने दावा किया कि अगर दोनों देश जंग की राह पर बढ़ते, तो लाखों जानें जा सकती थीं. उन्होंने भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व को समझदार और मजबूत बताते हुए कहा कि वो अब दोनों देशों के साथ मिलकर कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालने की कोशिश करेंगे—एक ऐसा मुद्दा जिसे उन्होंने पहले 1500 साल पुराना संघर्ष बताया था.
ट्रंप के मुताबिक कश्मीर संघर्ष “हज़ार साल पुराना”
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने कश्मीर को लेकर ऐतिहासिक गलतबयानी की हो. उन्होंने पहले भी यह कहकर चौंकाया था कि कश्मीर में “1500 साल से तनाव है.” जबकि ऐतिहासिक सच्चाई ये है कि मौजूदा विवाद 1947 में पाकिस्तान के अवैध घुसपैठ और भारत में विलय को लेकर शुरू हुआ था.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्रंप के दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि “ये बाइबिल का झगड़ा नहीं है.” उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर स्पष्ट किया कि यह विवाद महज़ 78 साल पुराना है, और इसकी शुरुआत 22 अक्टूबर 1947 को हुई जब पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया.

ट्रंप की ‘बयान शैली’
डोनाल्ड ट्रंप के राजनीतिक जीवन में ऐसे बयान कोई नई बात नहीं हैं. वे अक्सर ऐसे दावे करते हैं जिनका ऐतिहासिक या तथ्यात्मक आधार कमज़ोर होता है, लेकिन वे अपने समर्थकों को उत्साहित करने के लिए काफी होते हैं. अमेरिका में कई स्वतंत्र संस्थाएं ट्रंप के बयानों की सच्चाई जांच चुकी हैं, और उनके कार्यकाल में झूठे या भ्रामक दावों की संख्या हजारों में रही है.
वे कई बार बिना किसी ठोस योजना के ‘मध्यस्थता’ की पेशकश करते रहे हैं—फिर चाहे वह उत्तर कोरिया हो या कश्मीर. सवाल यह उठता है कि क्या कश्मीर जैसा संवेदनशील और जटिल मुद्दा सिर्फ ऊपरी सतह पर की गई ऐसी बातचीत से हल हो सकता है?
क्या वाकई कुछ बदलेगा?
डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से कश्मीर मुद्दे में समाधान निकालने की बात को भारत सरकार पहले भी सिरे से खारिज कर चुकी है. भारत हमेशा से स्पष्ट करता आया है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है, और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई आवश्यकता नहीं है.
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