भारतीय टेक्नोलॉजी से लैस होगा यूरोप का यह फाइटर जेट, 'मेक इन इंडिया' से बनेगा और अधिक ताकतवर

भारतीय रक्षा तकनीक अब वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही है. हाल ही में खबर आई है कि ग्रीस की वायुसेना को मिले फ्रांस निर्मित राफेल लड़ाकू विमानों में भारतीय तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है.

This European fighter jet will be equipped with Indian technology will become more powerful with Make in India
प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

नई दिल्ली: भारतीय रक्षा तकनीक अब वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही है. हाल ही में खबर आई है कि ग्रीस की वायुसेना को मिले फ्रांस निर्मित राफेल लड़ाकू विमानों में भारतीय तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है. यह न केवल 'मेक इन इंडिया' पहल की सफलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत अब रक्षा उत्पादों के निर्माण और निर्यात में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन चुका है.

भारतीय रक्षा तकनीक का बढ़ता प्रभाव

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ग्रीस को मिले राफेल फाइटर जेट्स में भारत में निर्मित कुछ महत्वपूर्ण उपकरणों को शामिल किया गया है. इनमें इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स, एवियोनिक्स सिस्टम, टेलीमेट्री उपकरण और केबल हार्नेस जैसी उच्च तकनीक शामिल हैं, जिन्हें भारतीय रक्षा कंपनियों ने विकसित किया है. भारतीय कंपनियों का इस प्रकार अंतरराष्ट्रीय रक्षा बाजार में प्रवेश करना एक बड़ा रणनीतिक कदम है.

भारतीय कंपनियों की अहम भूमिका

भारतीय रक्षा क्षेत्र की प्रमुख कंपनियां – भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और एलएंडटी डिफेंस – अब राफेल लड़ाकू विमानों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन चुकी हैं. इन कंपनियों ने न केवल उच्च गुणवत्ता मानकों को पूरा किया है, बल्कि लागत नियंत्रण और समय पर डिलीवरी में भी अपनी दक्षता साबित की है.

फ्रांस-भारत रक्षा सहयोग का नया अध्याय

2016 में भारत ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे थे. इस सौदे के तहत भारत की कंपनियों को ऑफसेट प्रावधानों के तहत कई रक्षा परियोजनाओं में भाग लेने का अवसर मिला. डसॉल्ट एविएशन ने भारत की कंपनियों के साथ साझेदारी कर कई पुर्जों का उत्पादन भारत में ही शुरू किया, जिन्हें अब फ्रांस, ग्रीस, मिस्र और यूएई जैसे देशों में निर्यात किया जा रहा है.

यूरोपीय रक्षा क्षेत्र में भारत की एंट्री

यूरोपीय संघ के रक्षा मानकों को पूरा करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि यूरोपीय देशों की सेनाएं आमतौर पर अपनी तकनीक या अमेरिकी तकनीक को प्राथमिकता देती हैं. ऐसे में भारतीय तकनीक का इन देशों के अत्याधुनिक फाइटर जेट्स में इस्तेमाल होना, भारत को एक विश्वसनीय रक्षा उत्पादक के रूप में स्थापित करता है.

भविष्य के लिए क्या संकेत?

भारत अब रक्षा उपकरणों का एक महत्वपूर्ण निर्यातक बन रहा है. यह उपलब्धि भविष्य में भारत के लिए अधिक रक्षा सौदों और निर्यात के नए अवसरों के द्वार खोल सकती है. इससे न केवल भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ेगी, बल्कि देश की रक्षा अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.

यह स्पष्ट संकेत है कि 'मेक इन इंडिया' अब केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक वैश्विक रणनीतिक पहल बन चुका है, जो आने वाले वर्षों में भारत को रक्षा उत्पादन में एक सुपरपावर बनाने की क्षमता रखता है.

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