प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में श्रीलंका से लौटते समय विमान से रामसेतु के दर्शन किए और इस अनुभव को ‘दिव्य’ बताया. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, "श्रीलंका से लौटते समय विमान से रामसेतु के दर्शन हुए. यह संयोग ही है कि उसी समय अयोध्या में रामलला का सूर्य तिलक हो रहा था. यह एक अविस्मरणीय अनुभव था. प्रभु श्रीराम सभी को जोड़ने वाली शक्ति हैं और उनकी कृपा सदैव बनी रहे."
आज रामनवमी के पावन अवसर पर श्रीलंका से वापस आते समय आकाश से रामसेतु के दिव्य दर्शन हुए। ईश्वरीय संयोग से मैं जिस समय रामसेतु के दर्शन कर रहा था, उसी समय मुझे अयोध्या में रामलला के सूर्य तिलक के दर्शन का भी सौभाग्य मिला। मेरी प्रार्थना है, हम सभी पर प्रभु श्रीराम की कृपा बनी रहे। pic.twitter.com/trG5fgfv5f
— Narendra Modi (@narendramodi) April 6, 2025
रामनवमी पर पहुंचे रामेश्वरम
प्रधानमंत्री मोदी रामनवमी के अवसर पर तमिलनाडु के रामेश्वरम पहुंचे, जहां उन्होंने प्रसिद्ध रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की. रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंका जाने से पहले इस स्थान पर रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा की थी.
पिछले वर्ष भी किया था मंदिर का दौरा
यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी रामेश्वरम पहुंचे. पिछले वर्ष भी उन्होंने अग्नि तीर्थम में पवित्र स्नान करने के बाद रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा की थी. उन्होंने रामायण पाठ और भजन संध्या में भी भाग लिया था.
रामेश्वरम मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
रामनाथस्वामी मंदिर हिंदू धर्म के चार धामों और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इसे 'रामेश्वरम मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'भगवान राम के ईश्वर'.
मान्यता के अनुसार, भगवान राम ने लंका विजय के बाद युद्ध में हुई मृत्यु के प्रायश्चित के लिए यहां तपस्या की थी. शिव की आराधना के लिए उन्हें एक शिवलिंग की आवश्यकता थी, जिसके लिए उन्होंने हनुमान जी को कैलाश पर्वत से स्फटिक का शिवलिंग लाने भेजा. जब हनुमान जी शुभ मुहूर्त तक नहीं लौटे, तो माता सीता ने रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा की. यही शिवलिंग रामलिंगम के नाम से जाना जाता है. हनुमान जी द्वारा लाए गए स्फटिक शिवलिंग को विश्वलिंग कहा जाता है. मंदिर के गर्भगृह में आज भी दोनों शिवलिंग प्रतिष्ठित हैं.
अग्नि तीर्थम का महत्व
रामनाथस्वामी मंदिर में प्रवेश करने से पहले भक्त अग्नि तीर्थम में स्नान करते हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने यज्ञ करने से पहले यहां स्नान किया था. इसके बाद, श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित 22 कुंडों में स्नान कर अपनी आध्यात्मिक यात्रा को पूर्ण करते हैं. इन कुंडों का संबंध विभिन्न देवी-देवताओं से माना जाता है और इन्हें भगवान राम द्वारा चलाए गए 22 बाणों का प्रतीक भी माना जाता है. इनमें सबसे पवित्र 'कोडि तीर्थम' है, जिसे भगवान राम ने पृथ्वी पर तीर चलाकर बनाया था.
रामसेतु का पौराणिक संदर्भ
रामायण के अनुसार, भगवान राम और उनकी वानर सेना ने लंका जाने के लिए रामेश्वरम से समुद्र पर एक विशाल सेतु का निर्माण किया था, जिसे आज 'रामसेतु' के नाम से जाना जाता है. यह सेतु भारत और श्रीलंका के बीच अद्भुत भू-आकृति का उदाहरण है और धार्मिक, ऐतिहासिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है.
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा साझा किया गया यह अनुभव न केवल आस्था से जुड़ा है, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि को भी दर्शाता है. रामसेतु के दर्शन और रामेश्वरम की पवित्रता एक बार फिर भारत के गौरवशाली इतिहास को उजागर करती है.
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