थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर भारी तनाव उत्पन्न हो गया, जो दोनों देशों के लिए एक गंभीर संकट बनकर उभरा है. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर बमबारी और रॉकेट हमले किए, जिससे सीमा क्षेत्र में दहशत फैल गई. यह हिंसा विशेष रूप से सिसाकेट (थाईलैंड) और ओड्डार मीनचे (कंबोडिया) प्रांतों में फैल गई, जहां दिनभर गोलियों और रॉकेट की आवाजें गूंजती रही.
संघर्ष का कारण और स्थिति
थाईलैंड की सेना का कहना है कि कंबोडियाई बलों ने नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया, खासकर प्रीह विहार और ता मुअन थोम मंदिरों के पास, जहां बीएम-21 रॉकेट लांचरों का इस्तेमाल किया गया. वहीं, कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया कि थाईलैंड ने उनके ऐतिहासिक मंदिरों और नागरिक क्षेत्रों पर हमले किए. इस संघर्ष में अब तक 30 से अधिक लोग अपनी जान गवां चुके हैं और दोनों देशों से लगभग 2 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं.
शनिवार को सिसाकेट के पास एक स्वास्थ्य क्लिनिक भी हमले का शिकार हो गया, जिससे उसकी दीवारें ढह गईं और कई लोग घायल हो गए. स्थानीय लोग बंकरों में शरण ले रहे हैं, जबकि थावोर्न तूसावन, जो सिसाकेट के निवासी हैं, ने कहा कि युद्धविराम के लिए अमेरिका का दबाव बहुत महत्वपूर्ण है और शांति की दिशा में यह एक अच्छा कदम साबित हो सकता है.
शांति वार्ता की उम्मीद
इस संकट के बीच, मलेशिया ने एक शांति वार्ता की पहल की है, जो कुआलालंपुर में हो रही है. इस वार्ता में थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई और कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन माने दोनों हिस्सा लेंगे. यह वार्ता यह तय करेगी कि संघर्ष और हिंसा जारी रहेगी या फिर यह रुक जाएगी.
आसियान का अध्यक्ष मलेशिया, दोनों देशों से शांति की अपील कर रहा है, और इस वार्ता के सफल होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं. संघर्ष 1907 की फ्रांको-सियामी संधि से उत्पन्न सीमा विवाद के कारण हुआ है, जो प्रीह विहार मंदिर के स्वामित्व को लेकर 2008 से विवाद का हिस्सा रहा है.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी ध्यान केंद्रित हो गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह थाईलैंड और कंबोडिया के नेताओं से बातचीत कर चुके हैं और उन्हें विश्वास है कि दोनों देश अपने मतभेदों को सुलझाने की कोशिश करेंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक युद्धविराम की घोषणा नहीं हो जाती, तब तक वह दोनों देशों के साथ व्यापार समझौते पर विचार नहीं करेंगे. संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाओं ने भी शांति की अपील की है, और मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने दोनों देशों से युद्धविराम की अपील की है.
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