रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इन दिनों भारत दौरे पर हैं. गुरुवार शाम उनका विमान दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरा, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका औपचारिक स्वागत किया. अगले दिन शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में पुतिन को भारत की परंपरागत सैन्य सम्मान प्रक्रिया के तहत गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इस सम्मान को भारत में सर्वोच्च सैन्य औपचारिकता माना जाता है. अब यह सवाल उठता है कि भारत में किसे यह सम्मान दिया जाता है, कौन-सी फोर्स इसमें शामिल होती है और इसके लिए कितने जवान जरूरी होते हैं.
किसे मिलता है गार्ड ऑफ ऑनर?
भारत में सबसे ऊंचा गार्ड ऑफ ऑनर केवल दो श्रेणियों को दिया जाता है. पहली श्रेणी में भारत के राष्ट्रपति आते हैं और दूसरी श्रेणी में किसी भी विदेशी देश के राष्ट्रपति या राष्ट्राध्यक्ष. इसी श्रेणी के सम्मान के तहत पुतिन को राष्ट्रपति भवन में औपचारिक सलामी दी गई.
इसके अलावा भारत के उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यपाल को भी गार्ड ऑफ ऑनर मिलता है, लेकिन वह इंटर-सर्विसेज लेवल पर होता है, जिसमें जवानों की संख्या अपेक्षाकृत कम रखी जाती है.
कौन-सी फोर्स देती है सलामी?
गार्ड ऑफ ऑनर की जिम्मेदारी किसी एक फोर्स की नहीं होती है. यह सम्मान भारत की तीनों सेनाएं मिलकर देती हैं- थल सेना, नौसेना और वायु सेना. संयुक्त रूप से दी जाने वाली इस सलामी को त्रि-सेवा गार्ड ऑफ ऑनर कहा जाता है.
राष्ट्रपति भवन में इस पूरे प्रोसेस की कमान प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड (PBG) के हाथ में होती है. PBG दुनिया की सबसे पुरानी सक्रिय घुड़सवार रेजिमेंट मानी जाती है, जिसकी शुरुआत 1773 में हुई थी. ये सैनिक राष्ट्रपति भवन में होने वाली हर औपचारिकता का नेतृत्व करते हैं.
कितने जवान शामिल होते हैं?
रक्षा मंत्रालय के नियमों के अनुसार, किसी भी विदेशी राष्ट्रपति को दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर में कुल 150 जवान शामिल होते हैं. इनमें सेना, वायुसेना और नौसेना के 50-50 जवान मौजूद रहते हैं. इसके अलावा प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड के 20 से 25 घुड़सवार सैनिक भी इस औपचारिकता का हिस्सा होते हैं.
इससे पहले जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, बराक ओबामा या फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भारत आए थे, तब भी इन्हें इसी फॉर्मेशन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया था. पुतिन के लिए भी इसी मानक अनुसार पूरी टुकड़ी तैनात की गई.
उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर में जवानों की संख्या 100 तक होती है, जबकि राज्यपाल के लिए यह संख्या लगभग 50 होती है.
पूरा प्रोसेस कैसे होता है?
किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के स्वागत के लिए राष्ट्रपति भवन में रेड कार्पेट बिछाया जाता है. विदेशी मेहमान के पहुंचते ही संयुक्त सैन्य टुकड़ी “प्रेज़ेंट आर्म्स” की स्थिति में खड़ी हो जाती है. इसके बाद सबसे पहले मेहमान देश का राष्ट्रगान बजाया जाता है, फिर भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’.
इस दौरान दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष सलामी लेते हैं. फिर विदेशी नेता त्रि-सेवा टुकड़ी का निरीक्षण करते हैं. पूरा समारोह लगभग 21 मिनट में समाप्त होता है और समय का एक-एक मिनट सटीक और निर्धारित रहता है.
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