क्या है टॉरस मिसाइल, यूक्रेन इसके पीछे क्यों पड़ा, क्या पुतिन को हराने के लिए काफी है?

    बर्लिन में हाल ही में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने जर्मनी के नए चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ से मुलाकात की.

    Taurus missile Ukraine to defeat Putin
    पुतिन-जेलेंस्की | Photo: ANI

    बर्लिन में हाल ही में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने जर्मनी के नए चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ से मुलाकात की. इस दौरान जेलेंस्की ने एक बार फिर से टॉरस क्रूज मिसाइलों की मांग दोहराई, जिसे लेकर लंबे समय से जर्मनी में राजनीतिक असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

    रूस की बमबारी और पश्चिमी समर्थन का समीकरण

    यह मांग ऐसे समय में आई है जब रूस ने यूक्रेन के खिलाफ बड़े पैमाने पर हवाई हमले तेज कर दिए हैं. दूसरी ओर, पश्चिमी देशों ने धीरे-धीरे यूक्रेन को उनके हथियारों के इस्तेमाल पर लगे सीमा प्रतिबंधों में ढील देना शुरू कर दिया है. मर्ज़ खुद भी हाल ही में इस बात का संकेत दे चुके हैं कि कीव को अब रूस के भीतर सैन्य ठिकानों पर हमले की छूट दी जा सकती है.

    हालांकि, टॉरस मिसाइल को लेकर अभी तक मर्ज़ की ओर से कोई स्पष्ट वादा नहीं किया गया है. उन्होंने केवल यह कहा कि जर्मनी यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइल टेक्नोलॉजी विकसित करने में मदद करेगा.

    क्या है टॉरस मिसाइल, और क्यों है इतनी अहम?

    टॉरस एक जर्मन-स्वीडिश साझेदारी से बनी लॉन्ग-रेंज क्रूज मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 500 किलोमीटर है. यह मिसाइल बंकर, सैन्य कम्युनिकेशन सेंटर और गोला-बारूद भंडारण जैसे सख्त लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह GPS के बिना भी अपने लक्ष्य तक पहुंच सकती है.

    राजनीतिक समीकरण और पुरानी हिचकिचाहट

    पूर्व चांसलर ओलाफ शोल्ज़ की सरकार टॉरस देने को लेकर संकोच में थी, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे जर्मनी प्रत्यक्ष रूप से युद्ध में शामिल हो सकता है. हालांकि, बाद में उन्होंने भारी दबाव के बाद यूक्रेन को लेपर्ड 2 टैंकों की आपूर्ति की मंजूरी दी थी.

    रूस ने भी चेतावनी दी है कि अगर पश्चिमी देश यूक्रेन को ऐसी मिसाइलें देते हैं जो रूसी क्षेत्र में हमला कर सकती हैं, तो इसे नाटो देशों की सीधी संलिप्तता माना जाएगा.

    पश्चिम की भूमिका और अमेरिका का बदला रुख

    फ्रेडरिक मर्ज़ के चांसलर बनने के बाद से यूक्रेन को लेकर जर्मनी की रणनीति में बदलाव के संकेत मिले हैं. अमेरिका में भी राजनीतिक परिवर्तन के बीच यूक्रेन को लेकर ट्रंप प्रशासन के रूख में नरमी देखी गई है. लेकिन रूस की हालिया बर्बरता ने अमेरिका को भी आंशिक रूप से सक्रिय कर दिया है.

    यूक्रेन के लिए क्यों जरूरी है टॉरस?

    यूक्रेनी सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि टॉरस मिलने से उन्हें रूसी ठिकानों पर सटीक हमलों की क्षमता मिलेगी, जो अब तक अमेरिका या ब्रिटेन से मिले हथियारों से संभव नहीं हो पा रही. यह मिसाइल केर्च ब्रिज जैसे रणनीतिक बिंदुओं को भी निशाना बना सकती है, जो रूस को क्रीमिया से जोड़ता है.

    राजनीतिक निगरानी और तकनीकी सहयोग

    मार्च 2024 में रूस द्वारा कथित रूप से जर्मन सैन्य अधिकारियों की एक गोपनीय बातचीत टैप किए जाने की खबर भी सामने आई थी, जिसमें टॉरस को लेकर योजनाओं पर चर्चा हो रही थी. इसने जर्मनी के आंतरिक राजनीतिक परिदृश्य और नाटो की रणनीतिक प्राथमिकताओं को एक बार फिर से सवालों के घेरे में ला दिया.

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