चीन की आंखों में आंखें डालकर खड़ा हुआ ताइवान, रूस को तबाह करने वाला हथियार HIMARS तैनात

    चीन से बढ़ते तनाव के बीच ताइवान ने अपने सबसे आधुनिक और मारक हथियारों में से एक की तैनाती शुरू कर दी है.

    Taiwan stands against China deploys HIMARS Russia
    HIMARS | Photo: Lockheed Martin

    ताइवान अब सिर्फ बयानबाज़ी नहीं कर रहा, वो मैदान में उतर आया है. चीन से बढ़ते तनाव के बीच ताइवान ने अपने सबसे आधुनिक और मारक हथियारों में से एक की तैनाती शुरू कर दी है. यह कदम न सिर्फ प्रतीकात्मक है, बल्कि एक साफ़ संदेश है — अगर चीन आक्रमण की कोशिश करेगा, तो ताइवान जवाब देने में देर नहीं करेगा.

    HIMARS की एंट्री: ताइवान का नया सुरक्षा कवच

    ताइवान ने High Mobility Artillery Rocket System (HIMARS) की पहली तैनाती अपने मध्य तटीय शहर ताइचुंग के पास शुरू की है. यह तैनाती देश के सबसे बड़े वार्षिक सैन्य अभ्यास हान कुआंग के चौथे दिन की गई, जो कुल 10 दिनों का है. HIMARS से लैस दो बख्तरबंद ट्रक इन अभ्यासों में सक्रिय रूप से देखे गए हैं.

    अगले हफ्ते ताइवान इस रॉकेट सिस्टम का लाइव फायर टेस्ट भी करने वाला है. यह परीक्षण सीधे तौर पर चीन को चेतावनी देने के तौर पर देखा जा रहा है — कि ताइवान केवल कागज़ी शेर नहीं है.

    चीन की बौखलाहट बढ़ी

    चीन, जो ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, पिछले कुछ सालों में द्वीप के आसपास सैन्य गतिविधियों में इज़ाफा करता जा रहा है. अभी हाल ही में ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी कि चीन के 14 सैन्य विमान और 9 नौसैनिक जहाज द्वीप के आसपास देखे गए. इनमें से नौ विमानों ने मध्य रेखा को पार कर लिया, जो चीन और ताइवान के बीच का अनौपचारिक बंटवारा है.

    ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने साफ कर दिया है कि ताइवान के भविष्य का फ़ैसला सिर्फ ताइवान की जनता करेगी — चीन की धमकियों से नहीं.

    चीन ने अभ्यास को बताया ‘नाटक’

    इस बीच चीन के रक्षा मंत्रालय ने हान कुआंग अभ्यास को एक "मंचनाटक" करार दिया है. उसका कहना है कि ये महज दिखावा है. चीन का विदेश मंत्रालय भी अमेरिका और ताइवान के बीच बढ़ते सैन्य रिश्तों पर गहरी नाराज़गी जता चुका है. लेकिन ताइवान को अब इसकी परवाह नहीं. उसका लक्ष्य है अपने सैनिकों को आधुनिक हथियारों के साथ तैयार करना और हर स्थिति के लिए सक्षम बनाना.

    HIMARS क्यों है गेमचेंजर?

    HIMARS, यानी M142 High Mobility Artillery Rocket System, एक हल्का लेकिन घातक रॉकेट लॉन्चर है. इसे अमेरिकी सेना ने 1990 के दशक में विकसित किया था. ये सिस्टम एक ट्रक के फ्रेम पर लगाया जाता है, जो तेज़ी से चल सकता है और कम समय में हमला कर सकता है.

    इसमें एक पॉड होता है जिसमें या तो छह गाइडेड रॉकेट या एक ATACMS मिसाइल होती है. इसकी रेंज लगभग 300 किलोमीटर तक मानी जाती है. इसका मतलब साफ है — अगर ज़रूरत पड़ी, तो HIMARS चीन के फ़ुज़ियान प्रांत तक हमले कर सकता है, वो भी ताइवान के तट से.

    HIMARS को यूक्रेन से मिली मान्यता

    HIMARS की ताकत को दुनिया ने यूक्रेन-रूस युद्ध में करीब से देखा है. यूक्रेनी सेना ने रूसी ठिकानों पर इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया और कई अहम सफलताएं हासिल कीं. अब यही हथियार ताइवान के हाथ में है, तो स्वाभाविक है कि चीन इसकी तैनाती पर गहरी नज़र रखेगा.

    यह भी दिलचस्प है कि ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी अब अमेरिका से यह सिस्टम खरीद रहे हैं, जिससे साफ है कि HIMARS एक भरोसेमंद और रणनीतिक रूप से अहम हथियार बन चुका है.

    ताइवान ने कितनी यूनिट्स हासिल की?

    ताइवान ने कुल 29 HIMARS यूनिट्स का ऑर्डर दिया था. इनमें से पहली 11 यूनिट्स की डिलीवरी पिछले साल हो चुकी है. मई 2025 में इनका पहली बार परीक्षण किया गया और अब इन्हें युद्धाभ्यास में शामिल किया जा रहा है.

    विशेषज्ञों का मानना है कि इन रॉकेट सिस्टम्स का उपयोग ताइवान में पहले से मौजूद थंडरबोल्ट 2000 लॉन्चर्स के साथ किया जाएगा. इसका मकसद है कि अगर कभी चीनी सेना ताइवान के तटों पर उतरने की कोशिश करे, तो उसे समुद्र में ही जवाब दे दिया जाए.

    लॉजिस्टिक्स भी है मजबूत पक्ष

    HIMARS की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे C-130 हरक्यूलिस, C-17 ग्लोबमास्टर और C-5 गैलेक्सी जैसे विमानों से एक जगह से दूसरी जगह बहुत जल्दी पहुंचाया जा सकता है. यानी यह सिस्टम सिर्फ मारक ही नहीं, बल्कि बेहद मोबाइल भी है.

    क्या ताइवान कर रहा है ‘ऑफेंसिव डिफेंस’ की तैयारी?

    एक तरफ ताइवान चीन को जवाब देने के लिए HIMARS जैसी मारक क्षमता तैयार कर रहा है, तो दूसरी तरफ वो साफ संकेत दे रहा है कि अब वो सिर्फ रक्षात्मक रणनीति पर निर्भर नहीं रहेगा. ताइवान अब 'ऑफेंसिव डिफेंस' — यानी संभावित हमले को रोकने के लिए पहले से तैयारी और तैनाती — की ओर बढ़ रहा है.

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