कभी भाईचारे की मिसाल रही भारत-नेपाल सीमा आज जटिल रणनीतिक साज़िशों की ज़द में है. खुले बॉर्डर का फायदा उठाकर अब सिर्फ तस्कर नहीं, बल्कि विदेशी साजिशें भी भारत के गले की हड्डी बनती जा रही हैं. इस बार खेल सिर्फ पाकिस्तान तक सीमित नहीं है — एक और खिलाड़ी मैदान में उतर चुका है — तुर्की. और इस बार उसका हथियार है धर्म.
नेपाल के तराई क्षेत्रों में बीते कुछ सालों में जिस तरह मस्जिदों, मदरसों और इस्लामी केंद्रों का फैलाव हुआ है, उसने भारत की खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ा दी है. ये निर्माण महज़ धार्मिक गतिविधियों तक सीमित नहीं हैं. इनमें एक विदेशी एजेंडा है — धीरे-धीरे भारत की सीमाओं के आस-पास वैचारिक और सामाजिक घुसपैठ करना.
नेपाल में तुर्की का बढ़ता ‘धार्मिक नेटवर्क’
खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक तुर्की का एक एनजीओ, ‘फाउंडेशन फॉर ह्यूमन राइट्स एंड फ्रीडम्स एंड ह्यूमैनिटेरियन रिलीफ’ (IHH), नेपाल के सीमावर्ती जिलों में बड़ी संख्या में मस्जिदें, मदरसे, अनाथालय और इस्लामिक सेंटर खड़े कर रहा है. IHH के चरमपंथी संगठनों से रिश्ते होने की बात पहले भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठ चुकी है. अब यह संस्था नेपाल के स्थानीय मुस्लिम संगठनों जैसे ‘इस्लामी संघ नेपाल’ (ISN) के साथ मिलकर सीमाई क्षेत्रों में अपनी जड़ें मजबूत कर रही है.
इस गतिविधि को सिर्फ धार्मिक परोपकार समझने की भूल नहीं करनी चाहिए. यही नेटवर्क धीरे-धीरे कट्टरपंथ की ओर ले जाने वाला वैचारिक माहौल तैयार करता है. खास बात ये है कि ये काम पाकिस्तान के सहयोग से हो रहा है.
भारत के लिए तिहरा खतरा: धर्मांतरण, जनसंख्या बदलाव और सुरक्षा
नेपाल की सीमाएं भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल से सटी हुई हैं — और यही इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में सीमावर्ती क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी में तेज़ी से इज़ाफा हुआ है. कई गांवों में इस्लामिक प्रतीक अब हिंदू चिह्नों पर भारी पड़ते दिख रहे हैं.
सिर्फ यही नहीं, धार्मिक संस्थानों की संख्या में भी जबरदस्त उछाल आया है. उदाहरण के तौर पर, 2018 में जहां नेपाली सीमावर्ती इलाकों में मस्जिदों की संख्या 760 थी, वहीं 2021 तक ये बढ़कर 1,000 पहुंच गई. इसी अवधि में मदरसों की संख्या 508 से 645 हो गई.
इन संस्थाओं पर सिर्फ धार्मिक कार्यों का आरोप नहीं है — इन पर भारत विरोधी विचार फैलाने, घुसपैठियों को पनाह देने और आतंकवादियों के लिए सुरक्षित ट्रांजिट पॉइंट बनने का भी शक है.
पाकिस्तान की पुरानी लेकिन सतत भूमिका
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI लंबे समय से भारत-नेपाल सीमा का इस्तेमाल अपने आतंकवादी नेटवर्क के लिए करती रही है. नेपाल के रास्ते आतंकी संगठनों जैसे इंडियन मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को धन, प्रशिक्षण और पनाह देने के प्रमाण पहले भी मिल चुके हैं.
अब तुर्की की एंट्री ने स्थिति और जटिल कर दी है. तुर्की खुले तौर पर भारत विरोध नहीं करता, लेकिन अंदर ही अंदर एक वैचारिक जाल बुन रहा है — जिसमें सॉफ्ट पावर, इस्लामिक एजेंडा और दक्षिण एशिया में 'खिलाफत' जैसी सोच शामिल है. यही कारण है कि भारत की एजेंसियां इसे पाकिस्तान से भी अधिक खतरनाक मान रही हैं.
तुर्की और ISN का गठजोड़: सिर्फ धर्म नहीं, गुप्त प्रशिक्षण की आशंका
नेपाल में सक्रिय तुर्की समर्थित IHH संगठन का साथ ISN जैसे स्थानीय मुस्लिम संगठनों से हुआ है. ISN के साथ तुर्की के एक अर्धसैनिक संगठन सादात (SADAT) के नाम भी जुड़े हैं — जिस पर मिलिशिया ट्रेनिंग और गुप्त अभियानों की आशंका जताई गई है. यानी ये मस्जिदें सिर्फ नमाज़ की जगह नहीं, बल्कि संभावित तौर पर कट्टरपंथी प्रशिक्षण और भारत विरोधी गतिविधियों के केंद्र भी बन सकती हैं.
खुली सीमा: आस्था से अब असुरक्षा का माध्यम
भारत और नेपाल के बीच 1,751 किमी लंबी खुली सीमा है — जो दोनों देशों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मित्रता की निशानी रही है. लेकिन यही खुलापन अब भारत की सुरक्षा के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है.
सीमा का अधिकांश हिस्सा बगैर बाड़ के है और ऊबड़-खाबड़ इलाकों से होकर गुजरता है — जिससे लोगों, पैसे, हथियारों और विचारधाराओं का आना-जाना बेहद आसान हो गया है. इस हालात में मस्जिदों और मदरसों का बढ़ता जाल सिर्फ धार्मिक विस्तार नहीं, बल्कि रणनीतिक 'फॉरवर्ड पोस्ट' के रूप में देखा जा रहा है.
भारत की प्रतिक्रिया: अब कार्रवाई की बारी
भारतीय एजेंसियों ने अब इन गतिविधियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. सीमा से 10-15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में अवैध मदरसों, मस्जिदों और धार्मिक केंद्रों की पहचान कर उन्हें ढहाने या बंद करने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है.
इनमें कई ऐसे निर्माण शामिल हैं जो बिना अनुमति सरकारी जमीन पर खड़े किए गए थे. इसके अलावा, इन संस्थाओं की फंडिंग के स्रोतों की भी जांच शुरू हो गई है. मकसद है – धार्मिक स्वतंत्रता की आड़ में चल रहे चरमपंथी नेटवर्क्स को खत्म करना.
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