रूस की तकनीक, भारत की ताकत, आसमान में अब बोलेगा Su-30MKI का दम; चीन-पाकिस्तान होंगे बेदम!

    शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव की मुलाकात ने इस रणनीतिक रिश्ते को और गहरा कर दिया.

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    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    दुनिया में कई रिश्ते वक्त के साथ बदल जाते हैं, लेकिन कुछ दोस्ती ऐसी होती हैं जो हर मुश्किल घड़ी में पहले से भी ज्यादा मजबूत होकर उभरती हैं. भारत और रूस की दोस्ती भी कुछ ऐसी ही है. चाहे संकट का समय हो या तकनीकी जरूरतें, रूस हमेशा भारत के साथ खड़ा दिखाई देता है. हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव की मुलाकात ने इस रणनीतिक रिश्ते को और गहरा कर दिया.

    यह मुलाकात 26 जून 2025 को चीन के किंगदाओ में हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नए आयाम देने पर चर्चा हुई. खासतौर पर भारत की वायुसेना को और आधुनिक बनाने के लिए रूस के साथ साझेदारी पर गंभीर बातचीत हुई.

    भारतीय वायुसेना को नया तेवर देगा रूस

    भारत लंबे समय से Su-30MKI लड़ाकू विमानों का उपयोग करता आ रहा है, जिनकी क्षमता को अब नए जमाने की जरूरतों के अनुसार बढ़ाना बेहद जरूरी हो गया है. रूस इस अपग्रेड में भारत का भरोसेमंद साथी बनकर सामने आया है. इस सहयोग के तहत हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का स्वदेशी निर्माण, एडवांस रडार सिस्टम का एकीकरण और पुराने हवाई प्लेटफार्मों को अपग्रेड करने जैसे कई अहम कदम उठाए जा रहे हैं.

    रूस ने हाल ही में अपनी लंबी दूरी की R-37M मिसाइल (RVV-BD) भारत को देने का प्रस्ताव रखा है. ये वही मिसाइल है जो 300 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तक दुश्मन के विमान को निशाना बना सकती है. इसे भारतीय वायुसेना के Su-30MKI में एकीकृत करने की तैयारी की जा रही है.

    'मेक इन इंडिया' को मिलेगी रफ्तार

    भारत की 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' जैसी पहलों को ध्यान में रखते हुए रूस ने भारत में ही मिसाइलों और रक्षा प्रणालियों के निर्माण का प्रस्ताव दिया है. रूसी हथियार निर्यातक रोसोबोरोनएक्सपोर्ट (ROE) के अनुसार, दोनों देशों के बीच आधुनिक हथियारों के संयुक्त विकास और तकनीकी हस्तांतरण की योजनाएं बन रही हैं, जिससे भारत की घरेलू रक्षा उत्पादन क्षमता को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा.

    Su-30MKI का भविष्य: और ताकतवर, और स्मार्ट

    भारतीय वायुसेना के Su-30MKI फाइटर जेट्स को भविष्य की लड़ाइयों के लिए तैयार करने के मकसद से उनमें कई एडवांस सिस्टम जोड़े जा रहे हैं. इसमें सबसे अहम है ‘विरुपाक्ष AESA रडार’ का एकीकरण, जो पूरी तरह से भारत में विकसित किया गया है.

    यह रडार लगभग 600 किमी तक के लक्ष्यों को पहचानने, ट्रैक करने और इलेक्ट्रॉनिक हमलों से खुद को बचाने में सक्षम है. इसमें 2400 गैलियम नाइट्राइड आधारित ट्रांसमिट/रिसीव मॉड्यूल लगे हैं जो इसे दुनिया के सबसे ताकतवर फाइटर रडार्स की कतार में लाते हैं.

    इसके साथ ही, एक आधुनिक इंफ्रारेड सर्च एंड ट्रैक (IRST) सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट और नए एयर-टू-एयर हथियार Su-30MKI की ताकत को कई गुना बढ़ा देंगे. इन सभी अपग्रेड्स को पूरी तरह स्वदेशी उपकरणों से लैस करने का फैसला खुद IAF चीफ वीआर चौधरी ने दोहराया है.

    क्यों जरूरी है यह उन्नयन?

    ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि भारतीय वायुसेना को लंबी दूरी की मिसाइलों की जरूरत है. पाकिस्तान ने चीनी PL-15 मिसाइल की तैनाती कर एक बड़ा झटका दिया था, जिससे भारत को अपनी क्षमताओं में तेजी से इजाफा करने की जरूरत महसूस हुई.

    Su-30MKI प्लेटफार्म पर RVV-BD मिसाइल को लगाने के लिए इसके सेंसर, रडार और टारगेटिंग सिस्टम को अपग्रेड करना जरूरी है. इसी जरूरत को पूरा करने के लिए 'विरुपाक्ष' रडार जैसे सिस्टम गेमचेंजर साबित हो सकते हैं.

    फ्रांस से सबक, रूस पर भरोसा

    जब भारत ने राफेल जेट खरीदे, तो एक समस्या सामने आई – फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट ने राफेल का सोर्स कोड साझा करने से इनकार कर दिया, जिससे भारत इन जेट्स में अपनी स्वदेशी तकनीक नहीं जोड़ सका. यही कारण है कि रूस का सहयोग भारत के लिए कहीं ज्यादा रणनीतिक रूप से फायदेमंद बन जाता है. रूस भारत को न केवल तकनीक दे रहा है, बल्कि उसे अपने हिसाब से ढालने की आजादी भी देता है. यही कारण है कि दोनों देशों की साझेदारी रक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल बनती जा रही है.

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