रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की स्थितियां अब और भी गंभीर हो गई हैं. पुतिन ने यूक्रेन के खात्मे के लिए एक नया प्लान तैयार किया है, जिसका सीधा असर कीव और अन्य यूक्रेनी शहरों पर हो सकता है. पुतिन का ये नया फॉर्मूला, अगर कामयाब होता है, तो कुछ हफ्तों में ही यूक्रेन सरेंडर कर सकता है. इस रणनीति के तहत रूस ने रोज़ाना 1000 ड्रोन से हमले करने का फैसला किया है, और पिछले 72 घंटों से रूस ने यूक्रेन पर ड्रोन हमले शुरू भी कर दिए हैं.
कीव से खारकीव तक रूस के बमबारी का दौर
रूस का यह नया हमला, खासतौर पर कीव और खारकीव जैसे बड़े शहरों पर केंद्रित है. इन हमलों से यूक्रेन के शहरों में भारी तबाही हुई है. रूस के इन ड्रोन हमलों में हर तरफ आग और धुएं का मंजर देखा जा सकता है. शुक्रवार को रूस ने कीव, खारकीव, डोनेस्क, ओडेसा, मायकोलेव और निकोलेव पर भी विध्वंसक हमले किए. इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने चिंता जताई थी कि ये हमले रूस के बड़े प्लान का हिस्सा हो सकते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस एक बार में 800 से अधिक ड्रोन हमले कर चुका है और अब इसके हमले और तेज़ करने की योजना है.
पुतिन का 'रोज़ाना 1000 ड्रोन' प्लान: क्या है असल मकसद?
पिछली रात, रूस ने कीव पर एक और ड्रोन हमला किया, जिससे शहर का आसमान आग और धुएं से भर गया. मिसाइलों के साथ किए गए इस हमले में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई. रूस ने यूक्रेन के 10 से अधिक शहरों को निशाना बनाया, जिनमें कीव प्रमुख था. पिछले दो दिनों में 700 से अधिक ड्रोन हमले हो चुके थे, और अब यह संख्या बढ़कर 1000 ड्रोन प्रतिदिन करने की योजना बनाई जा रही है. इस रणनीति का मकसद यूक्रेन की वायु रक्षा को नष्ट करना और उसके सैन्य एवं नागरिक ठिकानों को तबाह करना है.
खारकीव में मेडिकल सेंटर पर हमला
रूस के ड्रोन हमले का सबसे ताजा शिकार खारकीव का एक मेडिकल सेंटर बना. खारकीव के स्थानीय प्रशासन ने इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि शहर में अब भी ड्रोन हमलों का खतरा बना हुआ है. प्रशासन ने खारकीव और आसपास के इलाकों के नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है. अब तक रूस 54 यूक्रेनी ड्रोन ऑपरेशंस सेंटर और 4 स्टारलिंक टर्मिनल स्टेशन को नष्ट कर चुका है, जिससे यूक्रेन की संचार व्यवस्था पर भी असर पड़ा है.
लंदन में यूक्रेन को लेकर हुई अहम बैठक
इस संकट के बीच, लंदन में उन देशों की बैठक हुई है जो यूक्रेन को समर्थन दे रहे हैं. इस बैठक का नाम 'कोएलिशन ऑफ द विलिंग' रखा गया, जिसमें ब्रिटेन और फ्रांस ने यूक्रेन की रक्षा को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की. इस बैठक में दो बड़े फैसले लिए गए हैं. पहला, यूक्रेन में यूरोपीय देशों की सेना तैनात करना, और दूसरा, यूक्रेन को हथियारों से पूरी तरह से लैस करना.
ब्रिटेन और फ्रांस की भूमिका
ब्रिटेन और फ्रांस यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करेंगे. ब्रिटेन ने यूक्रेन को वायु रक्षा के लिए 5000 मिसाइलों की आपूर्ति का वादा किया है. इस सौदे की कीमत करीब 2.5 बिलियन पाउंड (लगभग 2.9 लाख करोड़ रुपये) है, और यह 19 सालों तक चलेगा. इसके अलावा, फ्रांस ने यूक्रेन के लिए ‘स्टॉर्म शैडो’ मिसाइलों का उत्पादन शुरू किया है, जो रूस के अंदर तक सटीक हमला करने में सक्षम हैं.
स्टॉर्म शैडो मिसाइल: रूस के लिए नई चुनौती
फ्रांस का ‘स्टॉर्म शैडो’ मिसाइल, जो रूस और यूरोप दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, अब यूक्रेन की ताकत बन चुका है. यह एक क्रूज़ मिसाइल है, जो रूस के रडार से बच कर अपने लक्ष्य तक पहुंचती है. इसकी खासियत यह है कि यह स्थिर टारगेट जैसे बुनियादी ढांचे को नष्ट करने में सक्षम है. इसका वॉरहेड 450 किलो है और यह 500 किलोमीटर तक प्रभावी है, जिससे रूस के अंदर तक प्रहार करना संभव हो गया है.
क्या पुतिन का प्लान सफल होगा?
पुतिन का ड्रोन हमलों का यह प्लान यदि सफल होता है, तो यूक्रेन के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. रूस के इस रणनीतिक हमले के बाद अब यूक्रेन को पूरी दुनिया से सैन्य मदद की उम्मीदें हैं. ब्रिटेन और फ्रांस की बढ़ती मदद, साथ ही साथ रूस के आक्रमण की निंदा, यह संकेत देते हैं कि युद्ध अब और तीव्र होने की संभावना है.
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