यूक्रेन युद्ध से क्यों गायब है पुतिन का 'भूतिया टैंक', क्या T-14 अरमाटा को मैदान में उतारने से डर रहा रूस?

    तीन साल से यूक्रेन में रूस और यूक्रेन के बीच जंग चल रही है, लेकिन इस दौरान रूस का सबसे एडवांस्ड टैंक ‘टी-14 अरमाटा’ कभी भी लड़ाई के मैदान में नहीं उतरा.

    Putin ghost tank missing from Ukraine war Russia T14 Armata
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    मॉस्कोः तीन साल से यूक्रेन में रूस और यूक्रेन के बीच जंग चल रही है, लेकिन इस दौरान रूस का सबसे एडवांस्ड टैंक ‘टी-14 अरमाटा’ कभी भी लड़ाई के मैदान में नहीं उतरा. यह वही टैंक है जिसे रूस ने अपनी ‘मजबूत सैन्य ताकत’ के प्रतीक के रूप में दुनिया के सामने पेश किया था, लेकिन अब यही टैंक रूस के लिए एक शर्मिंदगी का कारण बनता जा रहा है. सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह टैंक सिर्फ परेड में दिखाने के लिए बनाया गया था?

    टी-14 अरमाटा की असली परफॉर्मेंस पर संदेह

    कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस ने टी-14 टैंक को छुपा रखा है ताकि उसकी असली परफॉर्मेंस या उसकी कमजोरियों का पता न चले. रूस को यह डर है कि अगर यह टैंक जंग में विफल हो गया, तो विदेशी ग्राहक इससे मुंह मोड़ लेंगे. रूस की डिफेंस कंपनी रोस्टेक के प्रमुख सर्गेई चेमेझोव ने खुद माना था कि टी-14 "पिछले दशक का सबसे क्रांतिकारी टैंक" है, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि यह टैंक इतना उन्नत है कि रूस की अपनी सेना भी इसे अफोर्ड नहीं कर पा रही. इसीलिए रूस ने पुराने और ज्यादा भरोसेमंद टैंक जैसे टी-90M पर अधिक भरोसा किया है.

    टी-14 की तकनीकी विशेषताएं

    टी-14 अरमाटा को 2015 में पहली बार रूस की विक्ट्री डे परेड में दिखाया गया था और इसे देखकर दुनिया भर के विश्लेषक हैरान रह गए थे. इस टैंक में बिना चालक वाला टर्रेट, एक सुरक्षित क्रू कैप्सूल और ‘अफगानित’ एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम जैसी अत्याधुनिक तकनीकें थीं. इसे रूस के ‘टैंक ऑफ द फ्यूचर’ के तौर पर पेश किया गया था. लेकिन अब, एक दशक से भी ज्यादा समय के बाद, यह टैंक युद्ध के मैदान में नहीं उतरा है.

    उत्पादन की चुनौतियां और उच्च लागत

    विशेषज्ञों का मानना है कि टी-14 के युद्ध में शामिल न होने की प्रमुख वजह इसकी अत्यधिक लागत, तकनीकी दिक्कतें और सीमित उत्पादन क्षमता है. अब तक इसके मात्र 20 यूनिट्स ही बनाए गए हैं. रूस को नई इंजन तकनीक, आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और भविष्य की तोपों और गोला-बारूद के निर्माण में भारी समस्याएं आ रही हैं, जिससे टी-14 को पूरी तरह से तैयार करना संभव नहीं हो पाया है. यही कारण है कि यह टैंक अब तक एक कल्पना ही बना हुआ है, और युद्ध के मैदान में अपनी असल क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर पाया.

    यूक्रेन युद्ध और टी-14 की वास्तविकता

    यूक्रेन में चल रही जंग ने इस टैंक की कमजोरियों को और उजागर कर दिया है. जबकि पश्चिमी देशों के रक्षा विशेषज्ञ भविष्य के टैंकों के लिए नई योजनाएं बना रहे हैं, रूस का ‘टैंक ऑफ द फ्यूचर’ अब भी केवल एक वर्कशॉप में पड़ी धूल साफ कर रहा है. रूस के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि इसने टी-14 को अपनी सैन्य शक्ति का प्रतीक माना था, लेकिन जंग के दौरान यह साबित करने में नाकाम रहा कि यह वाकई युद्ध की आवश्यकता को पूरा कर सकता है.

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