नई दिल्ली: पाकिस्तान की विदेश नीति एक बार फिर वैश्विक मंच पर चर्चा का विषय बन गई है. ऐसे समय में जब ईरान, इजरायल और अमेरिका के बीच तनाव अपने चरम पर है, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का एक बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी प्रतिक्रिया का कारण बन सकता है. हाल ही में ईरान के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने पाकिस्तान की दो दिवसीय राजकीय यात्रा की शुरुआत की, और इस दौरान दोनों देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई.
लेकिन इस दौरे की सबसे चर्चित बात रही प्रधानमंत्री शरीफ का वह बयान, जिसमें उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि "ईरान को अपने रक्षा और परमाणु हितों की सुरक्षा का पूर्ण अधिकार है. ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने का पूरा अधिकार है. अमेरिका लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सख्त नजर रख रहा है. शहबाज का यह कदम न केवल अमेरिकी नीतियों के खिलाफ है, बल्कि मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ाने वाला हो सकता है." इस वक्तव्य को अमेरिका की ईरान नीति के बिल्कुल विपरीत माना जा रहा है, और विश्लेषकों का मानना है कि इससे पाकिस्तान और अमेरिका के बीच चल रहे रणनीतिक समीकरणों में हलचल मच सकती है.
ईरान-अमेरिका संबंध और परमाणु विवाद
ईरान का परमाणु कार्यक्रम दशकों से अमेरिका की विदेश नीति के लिए चिंता का विषय रहा है. अमेरिका और उसके सहयोगी देशों का मानना है कि ईरान का यह कार्यक्रम केवल ऊर्जा के लिए नहीं, बल्कि सैन्य उद्देश्यों के लिए भी प्रयोग हो सकता है. इसी संदर्भ में अमेरिका ने ईरान पर कठोर प्रतिबंध लगाए हैं और समय-समय पर सैन्य कार्रवाई भी की है.
जून 2025 में इजरायल और ईरान के बीच हुई सैन्य झड़प के दौरान अमेरिका ने बी2 बॉम्बर्स के जरिए ईरान के कुछ रणनीतिक परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए थे. यह घटना दर्शाती है कि अमेरिका ईरान की परमाणु क्षमता को लेकर किसी भी प्रकार की ढील नहीं देना चाहता.
पाकिस्तान: एक तरफ अमेरिका, दूसरी ओर ईरान
ऐसे माहौल में पाकिस्तान का ईरान के साथ खुलकर खड़ा होना अमेरिका की रणनीतिक प्राथमिकताओं के विरुद्ध जाता है. पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति और भू-राजनीतिक महत्व को देखते हुए अमेरिका अब तक उसके साथ सैन्य और आर्थिक सहयोग बनाए रखे हुए है. सोवियत अफगान युद्ध से लेकर आज तक पाकिस्तान अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सहयोगी रहा है, हालांकि परमाणु कार्यक्रम को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में कई बार तनाव भी देखने को मिला.
F-16 लड़ाकू विमानों से लेकर IMF की आर्थिक सहायता तक, पाकिस्तान कई मायनों में अमेरिका की नीतियों पर निर्भर है. ऐसे में प्रधानमंत्री शरीफ का यह बयान उनकी विदेश नीति के संतुलन को बिगाड़ सकता है.
मुनीर की वॉशिंगटन यात्रा और अमेरिकी चिंता
इसी बीच, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर एक कूटनीतिक मिशन पर वॉशिंगटन की यात्रा पर हैं. हाल ही में फील्ड मार्शल बनाए गए मुनीर की इस यात्रा का उद्देश्य अमेरिका के साथ रक्षा और आर्थिक सहयोग को और अधिक मज़बूत करना है.
सूत्रों के अनुसार, जनरल मुनीर ने डोनाल्ड ट्रंप और अन्य अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात के दौरान पाकिस्तान को एक स्थिर और सहयोगी रणनीतिक साझेदार के रूप में प्रस्तुत किया. लेकिन प्रधानमंत्री शरीफ के ईरान समर्थक बयान ने मुनीर की इन कोशिशों को कमजोर किया है. खासकर तब जब ट्रंप प्रशासन ने हमेशा से ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है.
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