'जहां भेजा है, वह जगह हमारे नियंत्रण में...' ट्रंप की न्यूक्लियर पनडुब्बियों की धमकी पर रूस का जवाब

    दुनिया में बढ़ती भू-राजनीतिक तनातनी के बीच रूस और अमेरिका एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. इस बार मुद्दा है परमाणु पनडुब्बियों की ताकत और उनका समुद्रों में प्रभाव.

    Russia response to Trump threat of nuclear submarines
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    मॉस्को/वॉशिंगटन: दुनिया में बढ़ती भू-राजनीतिक तनातनी के बीच रूस और अमेरिका एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. इस बार मुद्दा है परमाणु पनडुब्बियों की ताकत और उनका समुद्रों में प्रभाव.

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में दिए गए एक बयान में कहा गया कि उन्होंने अमेरिका की दो परमाणु पनडुब्बियों को "उपयुक्त क्षेत्रों" में तैनात करने का आदेश दिया है. यह आदेश रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान में रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव के कुछ तीखे बयानों के जवाब में आया.

    लेकिन ट्रंप के इस कदम पर रूस ने तुरंत और तीखा पलटवार किया है.

    रूस का दावा: महासागरों में हम ज्यादा मज़बूत

    रूसी संसद (ड्यूमा) की सीआईएस मामलों, यूरेशियन एकीकरण और प्रवासी संबंध समिति के पहले उपाध्यक्ष विक्टर वोडोलात्स्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति के इस ऐलान को ‘गंभीरता से लेने लायक नहीं’ बताया. उन्होंने कहा कि रूस के पास पहले से ही महासागरों में कहीं ज्यादा परमाणु पनडुब्बियां हैं, जो अमेरिका से न सिर्फ संख्या में अधिक हैं बल्कि तकनीकी रूप से भी कहीं ज्यादा उन्नत और खतरनाक हैं.

    वोडोलात्स्की ने रूसी समाचार एजेंसी ‘तास’ से बातचीत में कहा, "हमारे पास दुनिया के महासागरों में अमेरिका से कहीं ज्यादा और ज्यादा शक्तिशाली न्यूक्लियर सबमरीन हैं. वे लगातार गश्त पर रहती हैं. ट्रंप की दो नावें घूम भी रही हों, तो भी वे हमारी निगरानी में हैं. हमें इस पर प्रतिक्रिया देने की जरूरत ही नहीं है."

    ट्रंप हर 24 घंटे में बदलते हैं अपना मन

    वोडोलात्स्की ने अमेरिका के राजनीतिक नेतृत्व पर भी सीधा कटाक्ष करते हुए ट्रंप को एक "अनिश्चित और अस्थिर" नेता बताया, जो एक दिन कुछ कहते हैं और दूसरे दिन कुछ और. उन्होंने कहा कि रूस ट्रंप के बयानों को गंभीरता से नहीं लेता क्योंकि उनका रवैया अस्थिर और बिना किसी रणनीतिक दिशा के होता है.

    उन्होंने कहा, "हम अच्छी तरह समझते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप कौन हैं. बीते कुछ महीनों में यह साफ हो चुका है कि वह हर 24 घंटे में अपना मन बदल सकते हैं. ऐसे में उनके दिए गए बयान हमारी रणनीति को प्रभावित नहीं करते."

    ट्रंप की चेतावनी: शब्द भी युद्ध को जन्म दे सकते हैं

    अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर ट्रंप ने जो बयान जारी किया, उसमें उन्होंने रूस को स्पष्ट संकेत दिया कि वे मेदवेदेव की "भड़काऊ टिप्पणियों" को हल्के में नहीं ले रहे हैं. ट्रंप ने लिखा, "पूर्व रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के अत्यधिक भड़काऊ बयानों को ध्यान में रखते हुए, मैंने दो परमाणु पनडुब्बियों को ‘उपयुक्त क्षेत्रों’ में तैनात करने का आदेश दिया है. मैं उम्मीद करता हूं कि यह कदम केवल एहतियात के तौर पर देखा जाएगा और कोई अनचाहा परिणाम सामने नहीं आएगा. शब्दों की अहमियत होती है, और वे कई बार युद्ध जैसे परिणामों की ओर ले जा सकते हैं."

    हालांकि, ट्रंप ने यह नहीं बताया कि किस प्रकार की पनडुब्बियां भेजी गई हैं और वे किस जगह पर तैनात की गई हैं.

    मेदवेदेव की पोस्ट और ट्रंप का अल्टीमेटम

    इस पूरी तनातनी की शुरुआत हुई रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव की एक पोस्ट से, जो उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पहले ट्विटर) पर डाली थी. उन्होंने ट्रंप की उस घोषणा की आलोचना की, जिसमें उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए दी गई 50 दिनों की समयसीमा को घटाकर 10 दिन कर दिया था.

    मेदवेदेव ने लिखा, "ट्रंप रूस के साथ अल्टीमेटम वाला खेल खेल रहे हैं. 50 दिन हों या 10, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्हें यह याद रखना चाहिए कि रूस न तो इजरायल है, न ही ईरान. और हर नया अल्टीमेटम एक नई धमकी है, जो सीधे युद्ध की ओर ले जाती है यूक्रेन से नहीं, बल्कि अमेरिका से."

    यह पोस्ट न केवल अमेरिका बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी सुर्खियों में आ गई, और तभी ट्रंप ने अपने कथित एहतियाती कदम की घोषणा की.

    रूस की सलाह: बातचीत और कूटनीति समाधान

    हालांकि रूस की ओर से वोडोलात्स्की ने बयान में यह भी जोड़ा कि अमेरिका को सैन्य प्रदर्शन और चेतावनियों के बजाय संवाद और कूटनीति पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि अमेरिका और रूस को फिर से आपसी संपर्क समूहों और वार्ताकार प्रतिनिधिमंडलों को सक्रिय करना चाहिए.

    उन्होंने कहा, "यह समय दिखावे और अल्टीमेटम का नहीं, बल्कि वार्ता का है. रूस और अमेरिका को एक दीर्घकालिक समझौते पर काम करना चाहिए जो वैश्विक शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो."

    उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे प्रयासों से न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर तनाव को कम किया जा सकता है और तीसरे विश्व युद्ध की आशंका पर चर्चा करना बंद किया जा सकता है.

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