ट्रंप के सामने रो पड़ा मुनीर? बलूचिस्तान और ईरान को लेकर बताई चिंता, पाकिस्तान में भड़कने वाला है युद्ध!

    इस्लामाबाद को डर है कि अगर ईरानी शासन इस संघर्ष में कमजोर हुआ या गिरा, तो उसकी सरहद पर पहले से ही सक्रिय उग्रवादी और अलगाववादी ताकतें और उग्र हो सकती हैं.

    Munir Trump Expressed concern about Balochistan Pakistan
    आसिम मुनीर | Photo: X

    पश्चिम एशिया में छिड़ी इजरायल और ईरान की जंग का तनाव अब सीमाओं से पार जाकर दूसरे देशों को भी सता रहा है — और सबसे ज़्यादा घबराया हुआ है पाकिस्तान. इस्लामाबाद को डर है कि अगर ईरानी शासन इस संघर्ष में कमजोर हुआ या गिरा, तो उसकी सरहद पर पहले से ही सक्रिय उग्रवादी और अलगाववादी ताकतें और उग्र हो सकती हैं.

    पाकिस्तान के फौजी मुखिया की ट्रंप से मुलाकात

    रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस चिंता को पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक में खुलकर रखा. वॉशिंगटन डीसी में दोनों नेताओं के बीच दो घंटे की गोपनीय और असाधारण मुलाकात हुई, जो लंच मीटिंग के दौरान हुई. ट्रंप ने बाद में कहा कि वह मुनीर से मिलकर "सम्मानित" महसूस कर रहे हैं.

    विशेष बात यह रही कि यह पहली बार था जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के किसी सेना प्रमुख को तब आमंत्रित किया, जब पाकिस्तान में सैन्य शासन नहीं था.

    क्यों डरा हुआ है पाकिस्तान?

    असीम मुनीर ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ईरान और इजरायल की टकराहट का सीधा फायदा पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर सक्रिय चरमपंथी और अलगाववादी संगठन उठा सकते हैं. खासकर बलूचिस्तान में हाल के दिनों में इन संगठनों की गतिविधियां तेज हुई हैं.

    ईरान और पाकिस्तान के बीच 900 किलोमीटर लंबी जमीनी सीमा है, और इस सीमा पर दोनों देशों के विरोधी सशस्त्र गुट कई सालों से सक्रिय हैं. इजरायली हमलों की आड़ में इन समूहों को नया मौका मिल सकता है, जिससे क्षेत्र में सुरक्षा संकट और अस्थिरता और बढ़ सकती है.

    जैश-अल-अदल का ऐलान

    13 जून को ईरानी उग्रवादी संगठन जैश-अल-अदल ने बयान जारी कर कहा कि ईरान और इजरायल के बीच युद्ध “बलूच प्रतिरोध के लिए बड़ा अवसर” है. यह समूह ईरान विरोधी है, लेकिन उसका संचालन होता है पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत से. जैश ने हथियारबंद बलूच युवाओं से “संघर्ष में शामिल होने” का आह्वान किया है.

    बलूचिस्तान की चिंगारी फिर भड़क सकती है

    पाकिस्तान सरकार को डर है कि ईरान की अस्थिरता का असर उसके अपने बलूचिस्तान प्रांत में भी पड़ेगा, जहां लंबे समय से अलगाववादी हिंसा चल रही है. पाक सेना मानती है कि अगर ईरानी हुकूमत कमजोर होती है, तो बलूच विद्रोही इस मौके का फायदा उठाकर पाकिस्तान में भी अशांति फैला सकते हैं.

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