बांग्लादेश की राजधानी इन दिनों खुफिया गतिविधियों का केंद्र बन चुकी है. पाकिस्तान की सेना के वरिष्ठ अधिकारी हाल ही में बेहद गोपनीय तरीके से ढाका पहुंचे हैं और बांग्लादेश की संवेदनशील सैन्य छावनियों का दौरा कर रहे हैं. यह घटनाक्रम उस वक्त सामने आया है जब म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध ने दक्षिण एशिया की सुरक्षा राजनीति को नई दिशा दे दी है.
तीन पाकिस्तानी ब्रिगेडियर, एक गुप्त मिशन
रविवार की शाम, ढाका के हज़रत शाह जलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यूएई की एक फ्लाइट से पाकिस्तान आर्मी के तीन मेडिकल कोर अफसर उतरे. ये थे:
ढाका पहुंचते ही बांग्लादेशी अधिकारियों ने इन्हें सीधे रेडिसन ब्लू होटल पहुंचाया—वहां जहां आमतौर पर विशिष्ट या संवेदनशील मेहमानों को ठहराया जाता है. इन तीनों अधिकारियों का दौरा कोई औपचारिक सैन्य आदान-प्रदान नहीं, बल्कि काफी रहस्यमयी माना जा रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, वे कॉक्स बाजार स्थित रामू 10वें इन्फैंट्री डिवीजन हेडक्वार्टर के दौरे पर आए हैं, जो वर्तमान में बांग्लादेश सेना की सबसे संवेदनशील छावनियों में से एक मानी जा रही है.
रामू छावनी: बांग्लादेश की चुपचाप चलती 'फॉरवर्ड पॉलिसी'?
रामू छावनी, जो म्यांमार की सीमा से सटी हुई है, हाल के महीनों में सुरक्षा विश्लेषकों की नजर में आई है. माना जाता है कि यहीं से अराकान आर्मी—जो म्यांमार की मिलिट्री जुंटा के खिलाफ लड़ रही है—को रसद, दवाइयां और अन्य सामग्री भेजी जा रही है.
एक सेवानिवृत्त बांग्लादेशी मेजर जनरल के अनुसार, “अगर ये पाकिस्तानी अफसर महज़ मेडिकल ट्रेनिंग के लिए आए होते, तो उन्हें रामू जैसे संवेदनशील ठिकाने की जरूरत नहीं थी. ये दौरा निश्चित रूप से एक गुप्त मिशन का हिस्सा है.” अप्रैल 2025 से इस छावनी को अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है. यही कारण है कि पाकिस्तान जैसे देश की सेना के अफसरों का वहां पहुंचना कई सवाल खड़े करता है.
क्या बांग्लादेश में पाकिस्तान की 'नरम घुसपैठ' हो रही है?
पाकिस्तान और बांग्लादेश के संबंध ऐतिहासिक रूप से तनावपूर्ण रहे हैं, खासकर 1971 के विभाजन और जंग के बाद. लेकिन पिछले कुछ महीनों में इस रिश्ते में अचानक गर्माहट देखी गई है. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में बनी अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान के लिए दरवाज़े खोल दिए हैं. रिपोर्ट्स बताती हैं कि अब ISI और पाकिस्तान आर्मी से जुड़े अधिकारी लगातार ढाका आ-जा रहे हैं. इस बढ़ती निकटता के पीछे राजनीतिक समीकरण और अंतर्राष्ट्रीय दबाव—खासतौर पर म्यांमार संकट—एक बड़ा कारण हैं.
भारत के लिए चिंता की बात क्यों है?
बांग्लादेश में पाकिस्तानी सैन्य और खुफिया एजेंसियों की बढ़ती मौजूदगी भारत के लिए रणनीतिक रूप से चिंता का विषय बन चुकी है. भारत और बांग्लादेश के बीच साझा सीमा 4,000 किमी से भी ज्यादा लंबी है और अगर इस इलाके में पाक-प्रभाव बढ़ता है, तो भारत की पूर्वोत्तर सीमाएं अस्थिर हो सकती हैं.
एक भारतीय सामरिक विशेषज्ञ का कहना है, “यूनुस सरकार का यह झुकाव भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ के लिए बड़ा झटका हो सकता है.” हाल ही में बांग्लादेश सरकार के कुछ बयानों ने भी दिल्ली को चिंतित कर दिया है. भारत अब बांग्लादेश के साथ अपनी सुरक्षा और कूटनीतिक नीतियों की पुनर्समीक्षा कर सकता है.
क्या आने वाले दिनों में और खुलासे होंगे?
पाकिस्तानी अफसर 5 जुलाई को दुबई होते हुए वापस पाकिस्तान लौटेंगे. लेकिन उनका यह दौरा यहीं खत्म नहीं होता—बल्कि यह एक बड़ी रणनीतिक पारी की शुरुआत हो सकती है, जिसमें बांग्लादेश एक बार फिर साउथ एशिया के जियोपॉलिटिकल शतरंज का मोहरा बनता नजर आ रहा है.
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