ईरान और इजरायल के बीच चली 12 दिनों की भीषण जंग के बाद आखिरकार ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई की सार्वजनिक उपस्थिति दर्ज हुई. गुरुवार को जारी एक प्री-रिकॉर्डेड वीडियो में 83 वर्षीय खामेनेई की थकी हुई और कांपती आवाज सुनाई दी, जिसमें उन्होंने अमेरिका और इजरायल को सीधी चेतावनी दी. उन्होंने कतर स्थित अमेरिकी अल उदेद एयर बेस पर ईरान के हमले को “अमेरिका के चेहरे पर तमाचा” बताया और भविष्य में और भी हमलों की धमकी दी.
इस वीडियो का स्वरूप जितना सादा था, उसका संदेश उतना ही तीखा. भूरे पर्दे, ईरानी झंडे और पूर्व नेता अयातुल्लाह खोमेनी की तस्वीर के सामने खामेनेई का यह संबोधन प्रतीकात्मक रूप से एकजुटता और प्रतिरोध का संदेश देने वाला था. परंतु उनके स्वर में कंपन और थकावट उनकी उम्र और हालिया युद्ध के तनाव को उजागर कर रहा था. इस वीडियो से उन्होंने अपनी जीवित मौजूदगी का प्रमाण तो दे दिया, मगर यह भी सवाल खड़ा हुआ कि क्या वह अब भी ईरान पर उसी तरह नियंत्रण रखते हैं, जैसा पहले रखते थे?
क्यों दिया गया यह संदेश?
ईरान लंबे समय से सरकार-नियंत्रित मीडिया और सख्त शासन के अधीन है. ऐसे में खामेनेई का यह बयान एक रणनीतिक कदम हो सकता है – जनता को यह यकीन दिलाने के लिए कि ईरान अभी भी मजबूती से खड़ा है, और शत्रुओं को यह दिखाने के लिए कि नेतृत्व में कोई कमजोरी नहीं आई है. उन्होंने दावा किया कि अमेरिका ने इस युद्ध में इजरायल को बचाने की कोशिश की, लेकिन विफल रहा. ईरान अब भी क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य ठिकानों तक पहुंच सकता है – यह बयान उनका आत्मविश्वास दर्शाने के लिए था.
असलियत कितनी अलग?
हकीकत यह है कि इस 12 दिन की जंग में ईरान को भारी नुकसान उठाना पड़ा. इजरायल ने 720 से अधिक ईरानी सैन्य ठिकानों और आठ परमाणु-संबंधित स्थानों पर हमले किए. कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी के अनुसार, ईरान के कई सेंट्रीफ्यूज नष्ट हो गए हैं और परमाणु कार्यक्रम को गंभीर झटका लगा है. खुद ईरान के विदेश मंत्रालय ने भी स्वीकार किया कि परमाणु स्थलों को काफी नुकसान पहुंचा है. साथ ही, इजरायल ने ईरान की मिसाइल क्षमताओं पर भी असर डाला – मिसाइल भंडारण और लॉन्च साइट्स को खास तौर पर निशाना बनाया गया.
क्या बची है ईरान में ताकत?
इसके बावजूद, ईरान की सैन्य क्षमता पूरी तरह खत्म नहीं हुई है. उसे चीन और रूस का समर्थन हासिल है, और उसने इस युद्ध में 550 से ज्यादा मिसाइलें इजरायल की ओर दागीं. इनमें से लगभग 10 प्रतिशत मिसाइलें इजरायली 'आयरन डोम' को पार करने में सफल रहीं. साथ ही, यमन के हूथी और लेबनान का हिज़बुल्लाह जैसे सहयोगी अब भी उसके साथ हैं, हालांकि इजरायल ने इन्हें भी काफी हद तक कमजोर कर दिया है. ईरान ने 408 किलोग्राम उच्च संवर्धित यूरेनियम को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है.
अमेरिका और इजरायल का दावा
अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ के अनुसार, फोर्डो जैसे प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमले इतने असरदार थे कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम कई साल पीछे चला गया है. इजरायल ने तेहरान, इस्फहान और तबरेज जैसे शहरों में सैन्य ठिकानों, हवाई अड्डों और मिसाइल केंद्रों को कुशलता से निशाना बनाया.
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