मुनीर की सेना के खिलाफ उतरे BLA, BLF और BRG, 15 पाकिस्तानी सैनिकों को उतारा मौत के घाट; होगा सीरिया वाला हाल?

    पाकिस्तान के अशांत प्रांत बलूचिस्तान में अलगाववादी गतिविधियां एक बार फिर चरम पर पहुंच गई हैं. हाल के दिनों में हुए हिंसक हमलों में पाकिस्तानी सेना को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है.

    BLA BLF BRG against Munir army killed Pakistani soldiers
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    पाकिस्तान के अशांत प्रांत बलूचिस्तान में अलगाववादी गतिविधियां एक बार फिर चरम पर पहुंच गई हैं. हाल के दिनों में हुए हिंसक हमलों में पाकिस्तानी सेना को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. बलूच लड़ाकू संगठनों के हमलों में अब तक कम से कम 15 पाकिस्तानी सैनिकों की जान गई है, जबकि दर्जनों घायल हुए हैं. जवाबी कार्रवाई में बलूच संगठनों के भी तीन लड़ाके मारे गए हैं.

    गश्ती दस्तों और पाकिस्तानी सेना के बीच जबरदस्त मुठभेड़

    बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने इन हमलों की जिम्मेदारी लेते हुए बयान जारी किया है. संगठन के प्रवक्ता जीयांद बलूच ने बताया कि 22 जून को क्वेटा के दघारी इलाके में बीएलए के गश्ती दस्तों और पाकिस्तानी सेना के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई. इस टकराव में कई सैनिक मारे गए, जबकि संगठन को अपना एक लड़ाका, जमशेद, खोना पड़ा.

    उसी दिन कलात जिले के कोहक इलाके में बीएलए ने पाकिस्तानी सैन्य काफिले पर पहले आईईडी से हमला किया और फिर ज़मीनी कार्रवाई कर हमला तेज किया. संगठन के मुताबिक, इस ऑपरेशन में छह पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और कई अन्य घायल हुए. इस लड़ाई में बीएलए का एक अन्य सदस्य नोरोज भी मारा गया.

    पाकिस्तान सरकार और सेना के लिए गंभीर चुनौती

    बीएलए का दावा है कि 20 जून को लिंगासी इलाके में भी उनके लड़ाकों और पाकिस्तानी बलों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें सेना को भारी क्षति हुई. हालांकि, इस टकराव में बीएलए ने भी अपने एक सदस्य को खो दिया. बलूच लिबरेशन फ्रंट (BLF) ने भी बलूचिस्तान के ग्वादर, अवारन और केच जिलों में 25 जून को हुए हमलों की जिम्मेदारी ली है. वहीं, बलूच रिपब्लिकन गार्ड्स (BRG) ने नसीराबाद और कच्छी जिलों में आईईडी विस्फोटों की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया है कि इन धमाकों में पाक सेना के पांच जवान मारे गए और कई अन्य घायल हुए.

    बलूच समूह लगातार पाकिस्तान की सेना को 'कब्जे वाली सेना' कहकर संबोधित करते हैं और अलगाव के अपने आंदोलन को "राष्ट्रीय मुक्ति संग्राम" के रूप में प्रचारित करते हैं. बलूचिस्तान में लगातार बढ़ रही इस तरह की हिंसक घटनाएं न केवल क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा दे रही हैं, बल्कि पाकिस्तान सरकार और सेना के लिए गंभीर चुनौती भी बनती जा रही हैं.

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