तेहरान: ईरान के प्रतिष्ठित शिया धर्मगुरु ग्रैंड अयातुल्ला नासिर मकारिम शिराजी ने हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ एक कड़ा धार्मिक फतवा जारी किया है. उन्होंने इन दोनों नेताओं को "अल्लाह का दुश्मन" करार देते हुए, वैश्विक मुस्लिम समुदाय से आह्वान किया है कि वे एकजुट होकर इन नेताओं के कदमों का प्रतिरोध करें और उन्हें पश्चाताप के लिए मजबूर करें.
धार्मिक फतवे का राजनीतिक संकेत
अयातुल्ला शिराजी ने कहा कि, "कोई भी व्यक्ति जो ईरान के सर्वोच्च नेता या किसी मरजा को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है, वह इस्लामी कानून के अनुसार 'मोहरिब' यानी युद्ध चाहने वाला अपराधी होगा."
यह फतवा केवल धार्मिक राय नहीं, बल्कि राजनीतिक-सामरिक चेतावनी के रूप में भी देखा जा रहा है. 'मरजा' बारह इमामी शिया पंथ में सर्वोच्च धार्मिक प्राधिकारी होता है, जिनके आदेशों को अनुयायी गंभीरता से मानते हैं.
सीजफायर पर संदेह, जवाबी कार्रवाई की चेतावनी
ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ अब्दोलरहीम मूसवी ने हाल ही में सऊदी अरब के रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान से बातचीत में स्पष्ट किया कि ईरान को इजराइल के साथ युद्धविराम (सीजफायर) पर भरोसा नहीं है.
उन्होंने कहा, "अगर फिर कोई हमला हुआ, तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. इजराइल ने पहले भी ऐसे समय में हमला किया, जब हम अमेरिका से परमाणु वार्ता में थे."
उनके अनुसार, अमेरिका और इजराइल की गतिविधियाँ अंतरराष्ट्रीय नियमों और संधियों की भावना के विपरीत हैं.
12 दिनों की लड़ाई के बाद युद्धविराम
24 जून को अमेरिका की मध्यस्थता में ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम घोषित किया गया. इस संघर्ष में ईरान को 610 और इजराइल को 28 नागरिकों की क्षति हुई. यह टकराव क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.
ईरान की परमाणु क्षमता पर चिंता
IAEA (International Atomic Energy Agency) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने पुष्टि की है कि ईरान के पास अब भी 60% शुद्धता वाला यूरेनियम मौजूद है — जो परमाणु हथियार निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाता है. अमेरिका द्वारा किए गए कथित हमलों के बावजूद ईरान की कुछ न्यूक्लियर फैसिलिटी अब भी सक्रिय या आंशिक रूप से सुरक्षित हैं.
तेहरान जेल पर हमले में 71 की मौत की पुष्टि
ईरान की न्यायपालिका के अनुसार, 23 जून को तेहरान की इविन जेल पर हुए कथित इजराइली हमले में कम से कम 71 लोग मारे गए. इनमें जेलकर्मी, सैनिक, कैदी और उनके परिवार के सदस्य शामिल हैं. यह हमला, मानवाधिकारों और युद्ध कानूनों के संदर्भ में गहरी चिंता उत्पन्न करता है.
अमेरिका से वार्ता के लिए भाषा में बदलाव की शर्त
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने ट्रम्प के हालिया बयानों की आलोचना करते हुए कहा है कि यदि अमेरिका वास्तव में समझौता चाहता है, तो उसे अपनी भाषा बदलनी होगी. उन्होंने ट्रम्प द्वारा सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई के बारे में की गई टिप्पणियों को अपमानजनक करार दिया और कहा कि इससे करोड़ों ईरानियों की भावनाओं को ठेस पहुंची है.
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