ईरान का परमाणु कार्यक्रम अब भी जारी है... दुनिया के मंच पर फिर बेनकाब हुए ट्रंप, सारे दावे फेल!

    21 जून को अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों — फोर्डो, नतांज और इस्फहान — पर बड़े स्तर पर बमबारी की. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह खत्म कर दिया गया है.

    Iran nuclear program Trump exposed all claims fail
    डोनाल्ड ट्रंप | Photo: ANI

    वाशिंगटनः 12 जून को ईरान और इजराइल के बीच शुरू हुई जंग ने पश्चिम एशिया में तनाव की आग भड़का दी थी. मिसाइलों और ड्रोन हमलों से दोनों देशों में तबाही का मंजर देखने को मिला, लेकिन अब इस टकराव में अमेरिका की सीधी एंट्री ने पूरे घटनाक्रम को एक नया मोड़ दे दिया है.

    21 जून को अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों — फोर्डो, नतांज और इस्फहान — पर बड़े स्तर पर बमबारी की. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. लेकिन अब सामने आई खुफिया रिपोर्ट ने इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

    सिर्फ कुछ महीनों का असर, न कि पूरी तबाही

    नई रिपोर्ट के मुताबिक, हमलों के बावजूद ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, बल्कि सिर्फ कुछ महीनों के लिए पीछे चला गया है. यानी नुकसान तो हुआ है, लेकिन कार्यक्रम का मूल ढांचा बरकरार है. बताया गया है कि ईरान ने हमला होने से पहले ही कई परमाणु साइट्स से करीब 400 किलोग्राम यूरेनियम हटा लिया था.

    क्या ट्रंप का दावा था अतिशयोक्ति?

    राष्ट्रपति ट्रंप ने बमबारी के तुरंत बाद कहा था कि ईरान का परमाणु नेटवर्क अब अस्तित्व में नहीं है. लेकिन अब जब रिपोर्ट से सामने आया है कि सिर्फ कुछ महीनों का ही असर हुआ है, तो इस दावे की सच्चाई पर सवाल उठने लगे हैं.

    व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने रिपोर्ट लीक को राष्ट्रपति को बदनाम करने की साजिश बताया है. उनका कहना है, “जब आप एक जगह पर 30,000 पाउंड के बम गिराते हैं, तो वह जगह नष्ट हो जाती है — इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती.”

    ईरान फिर शुरू कर सकता है परमाणु कार्यक्रम?

    विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमले के बावजूद ईरान का इरादा नहीं बदला है. संभव है कि आने वाले समय में वह दोबारा अपना परमाणु कार्यक्रम शुरू करे. इजराइल ने साफ कर दिया है कि अगर ईरान दोबारा इस दिशा में कदम उठाता है तो एक और बड़ा सैन्य हमला किया जाएगा.

    12 दिन चला संघर्ष, फिर आया शांति का प्रस्ताव

    ईरान-इजराइल के बीच यह संघर्ष 12 दिन तक चला. दोनों तरफ से भारी हमले हुए, जिसमें 600 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों घायल हुए. शुरुआत में अमेरिका ने खुद को इस युद्ध से अलग रखा था, लेकिन जैसे ही बात परमाणु हथियारों तक पहुंची, ट्रंप प्रशासन ने हस्तक्षेप करते हुए ईरान पर सीधा हमला बोल दिया.

    18 जून को ट्रंप ने संकेत दिया था कि वे अगले दो हफ्तों में ईरान के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं. लेकिन महज 72 घंटे बाद ही अमेरिका ने बमबारी कर दी. इसके कुछ दिन बाद ही ट्रंप ने सीजफायर की अपील की और 24 जून को युद्धविराम की घोषणा कर दी गई.

    क्या आगे और बढ़ेगा तनाव?

    हालांकि अब युद्धविराम लागू है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं माना जा रहा. ईरान और इजराइल के बीच का तनाव अभी भी बना हुआ है, और अमेरिका की भूमिका ने इसे और संवेदनशील बना दिया है. परमाणु हथियारों की दौड़ और पश्चिम एशिया में वर्चस्व की जंग अभी भी थमी नहीं है.

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