बीजिंगः कल तक जो कल्पना थी, वो आज हकीकत बनती जा रही है. जहां ड्रोन तकनीक आम हो चुकी है, वहीं अब दुनिया की सैन्य दौड़ में हाइपरसोनिक ड्रोन अगले बड़े खिलाड़ी के रूप में उभर रहे हैं — और इस रेस में सबसे तेज़ भाग रहा है चीन.
चीन सिर्फ एक या दो हाइपरसोनिक ड्रोन नहीं बना रहा — वह पूरे के पूरे हाइपरसोनिक ड्रोन स्वार्म (झुंड) बनाने की तैयारी में है, जिसे एक स्मार्ट नेटवर्क में जोड़कर इस्तेमाल किया जाएगा. इसका मकसद? अमेरिका को पीछे छोड़ना.
क्या है 'स्मार्ट स्वार्म' तकनीक?
स्मार्ट स्वार्म एक ऐसी तकनीक है जिसमें कई हाइपरसोनिक ड्रोन आपस में नेटवर्क के ज़रिए जुड़े होते हैं और मिलकर एक लक्ष्य पर हमला करते हैं. ये अकेले मिसाइल से कहीं ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं.
बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की एक स्टडी के अनुसार, यह तकनीक केवल रक्षा नहीं, बल्कि हमला करने का एक नया अध्याय लिख सकती है.
अमेरिका भी पीछे नहीं है, लेकिन...
अमेरिका ने 2017 में MSET (Missile Multiple Simultaneous Engagement Technology) नाम का एक प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसमें एक साथ कई मिसाइलों को अलग-अलग लक्ष्यों पर भेजा जा सकता है. लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह एक टैक्टिकल लेवल का सिस्टम है, न कि चीन जैसा हाइपरसोनिक रणनीतिक हथियार.
भारत की तैयारी भी जारी है
भारत भी आने वाले युद्धों की बदलती तस्वीर को देखकर अपनी रणनीतियां अपडेट कर रहा है. भारतीय सेना ने 'स्वार्मिंग' तकनीक को अपनाना शुरू कर दिया है.
भारत के लिए क्या है खतरे की घंटी?
चीन की यह हाइपरसोनिक स्वार्म तकनीक सिर्फ तकनीकी बढ़त नहीं है — यह एक भविष्य की चेतावनी है. यह दिखाता है कि आने वाले युद्ध कैसे लड़े जाएंगे — तेज़, सटीक, और इंसानों के बिना.
भारत को अपनी तैयारियों को और तेज़ करना होगा, क्योंकि जो लड़ाई पहले सीमाओं पर होती थी, वह अब टेक्नोलॉजी के ज़रिए आसमान में लड़ी जाएगी.