भारत अब सिर्फ हथियार खरीदने वाला देश नहीं, बल्कि हथियार बेचने वाला बड़ा खिलाड़ी बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है. खास बात यह है कि भारत उन देशों को टारगेट कर रहा है जो पहले रूस से हथियार खरीदते थे लेकिन अब विकल्प तलाश रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह है रूस का यूक्रेन युद्ध में फंसा होना.
भारत देगा सस्ता और लंबी अवधि का लोन
भारत अब दूसरे देशों को हथियार खरीदने के लिए सस्ते और लंबे समय तक के कर्ज देने की पेशकश कर रहा है. इसके लिए EXIM बैंक के जरिए स्पेशल फंडिंग मॉडल तैयार किया गया है. जिन देशों की राजनीतिक स्थिति कमजोर है या क्रेडिट रेटिंग खराब है, उन्हें यह लोन बड़ी राहत देगा.
20 देशों में भेजे गए भारतीय डिप्लोमैट
भारत सरकार ने इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए ब्राजील, अर्जेंटीना जैसे करीब 20 देशों में अपने राजनयिक (डिप्लोमैट) भेजे हैं. इनका काम भारतीय हथियारों को बढ़ावा देना और नई डील्स को आगे बढ़ाना है.
रूस से हटे ग्राहक, भारत की ओर बढ़ी नजरें
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अब कई देश रूस और अमेरिका पर निर्भर नहीं रहना चाहते. इसी गैप को भरने के लिए भारत सामने आया है. भारत के पास पश्चिमी और रूसी दोनों तरह की तकनीक का अनुभव है, जिससे वह इन देशों की जरूरतों को अच्छी तरह समझ सकता है.
भारत में हथियार उत्पादन में तेजी, लागत भी कम
भारत का डिफेंस प्रोडक्शन पिछले 4 सालों में 62% बढ़ा है. 2023-24 में भारत ने ₹1.27 लाख करोड़ के हथियार बनाए. यहां बनने वाली 155 मिमी की तोप के गोले सिर्फ 300 से 400 डॉलर में तैयार हो जाते हैं, जबकि यूरोप में यही गोला 3,000 डॉलर का होता है.
निजी कंपनियों की एंट्री से बढ़ी ताकत
अब अडाणी डिफेंस, SMPP जैसी निजी कंपनियां भी बड़े और एडवांस हथियार बनाने लगी हैं. इससे भारत की उत्पादन क्षमता और टेक्नोलॉजी में सुधार हुआ है. भारत में बनी होवित्जर तोप की कीमत यूरोप की तुलना में लगभग आधी है.
ब्राजील को बेचेगा ‘आकाश’ मिसाइल सिस्टम
भारत ने इस साल जनवरी में ब्राजील में EXIM बैंक की ब्रांच खोली है. अब भारत, ब्राजील को ‘आकाश मिसाइल सिस्टम’ बेचने की बातचीत कर रहा है. आकाश मिसाइल बनाने वाली कंपनी ने साओ पाउलो में ऑफिस भी खोल लिया है.
पश्चिम की बजाय अब अफ्रीका और एशिया फोकस में
भारत की नजर अब अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों पर है. इन क्षेत्रों में भारत अपने हथियार निर्यात को बढ़ाना चाहता है. इसके लिए भारत मार्च 2026 तक 20 नए डिफेंस अटैशे तैनात करेगा, जो इन देशों में रक्षा संबंधों को मजबूत करेंगे.
आर्मेनिया में भारत को मिली बड़ी सफलता
भारत ने पिछले साल आर्मेनिया में एक सैन्य राजनयिक तैनात किया, और यहां रूस को कड़ी टक्कर दी. SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 से 2024 के बीच आर्मेनिया के कुल हथियार आयात में भारत की हिस्सेदारी 43% तक पहुंच गई, जबकि 2018 में यह 0% थी.
रूस का हथियार बाजार हुआ कमजोर
SIPRI की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के हथियार निर्यात में 2015-19 की तुलना में 2020-24 में 64% की गिरावट आई है. पहले जहां उसकी हिस्सेदारी 20% थी, अब वह घटकर 7.8% रह गई है. वहीं, अमेरिका और चीन जैसे देश आगे निकल चुके हैं.
भारत की रणनीति: हथियार बेचो और रिश्ते मजबूत करो
डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह रणनीति भारत को सिर्फ एक हथियार आपूर्तिकर्ता ही नहीं, बल्कि एक भरोसेमंद और रणनीतिक साझेदार भी बनाएगी. इससे भारत के उन देशों से रिश्ते मजबूत होंगे जो पहले सिर्फ रूस से सैन्य मदद लेते थे.
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