पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने एक बार फिर भारत और क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर विवादास्पद बयान दिया है. इस्लामाबाद में आयोजित पहले ओवरसीज़ पाकिस्तानी सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कश्मीर को "पाकिस्तान की गले की नस" बताया और दावा किया कि कोई भी ताकत इसे पाकिस्तान से अलग नहीं कर सकती.
कश्मीर और गाज़ा पर बयान
अपने संबोधन में जनरल मुनीर ने कश्मीरियों के प्रति पाकिस्तानी सेना के समर्थन को दोहराया और गाज़ा पट्टी की तुलना कश्मीर से करते हुए कहा कि "कश्मीरियों का दिल गाज़ा के लोगों के साथ धड़कता है". उन्होंने फिलिस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता भी व्यक्त की. यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक संबंध न्यूनतम स्तर पर हैं और सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों देशों के बीच लगातार तनाव बना हुआ है.
बलूचिस्तान पर बयान, सुरक्षा को लेकर भरोसा दिलाया
बलूचिस्तान में हाल के आतंकी हमलों के मद्देनज़र जनरल मुनीर ने पाकिस्तानी नागरिकों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि “मुट्ठीभर आतंकवादी पाकिस्तान या बलूचिस्तान की दिशा तय नहीं कर सकते.” उन्होंने इसे देश के गौरव और भविष्य का प्रतीक बताते हुए कहा कि पाकिस्तान की जनता अपने सशस्त्र बलों के साथ खड़ी है, और किसी भी खतरे से निपटने में सक्षम है.
ओवरसीज़ पाकिस्तानियों को बताया ‘ब्रेन गेन’
सम्मेलन में प्रवासी पाकिस्तानियों की भूमिका की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह समुदाय देश का ‘ब्रेन ड्रेन’ नहीं, बल्कि ‘ब्रेन गेन’ है. उन्होंने प्रवासियों को पाकिस्तान के “राजदूत और चमकते सितारे” बताया और उनसे देश की विरासत और मूल्यों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का आग्रह किया.
आर्थिक और सामरिक भविष्य पर भरोसा
जनरल मुनीर ने अपने भाषण में पाकिस्तान की सामरिक स्थिति और संभावनाओं पर भरोसा जताते हुए कहा, “सवाल यह नहीं है कि पाकिस्तान तरक्की करेगा या नहीं, सवाल है कि कितनी तेज़ी से करेगा.” उन्होंने देश की भौगोलिक स्थिति, संसाधनों और नागरिकों की क्षमता को पाकिस्तान के उज्ज्वल भविष्य की कुंजी बताया.
राजनीतिक संकेत और कूटनीतिक तनाव
जनरल मुनीर के इन बयानों को न केवल भारत के खिलाफ एक कड़ा रुख माना जा रहा है, बल्कि यह भी संकेत मिलते हैं कि पाकिस्तान की सैन्य नेतृत्व क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर अपनी स्थिति को फिर से मुखर बना रही है. उनके भाषण में कश्मीर और फिलिस्तीन जैसे मुद्दों को जोड़कर भावनात्मक और राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश भी साफ नज़र आई.
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