बीजिंग: एशिया-प्रशांत क्षेत्र एक बार फिर भू-राजनीतिक गर्मी की गिरफ्त में है. दक्षिण चीन सागर में ताइवान और फिलीपींस के साथ गहराते विवादों के बीच, चीन ने अमेरिका को चुनौती देते हुए विवादित पैरासेल द्वीप पर अत्याधुनिक H-6 बॉम्बर विमानों की तैनाती कर दी है. यह घटनाक्रम ऐसे वक्त सामने आया है जब अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के फिलीपींस दौरे की तैयारी हो रही थी.
सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ खुलासा
मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा जारी की गई सैटेलाइट इमेज में यह साफ देखा गया कि मार्च 2025 के अंत में स्कारबोरो शोल क्षेत्र के ऊपर दो H-6 बॉम्बर उड़ान भर रहे थे. यह वही समय था जब अमेरिकी रक्षा मंत्री फिलीपींस के दौरे पर थे और उन्होंने मनीला में खड़े होकर कहा था—"फिलीपींस अकेला नहीं है, अमेरिका उसके साथ खड़ा है."
विश्लेषकों का मानना है कि चीन की यह कार्रवाई एक सोची-समझी रणनीतिक चेतावनी है. यह न केवल अमेरिका को, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया को एक स्पष्ट संदेश है कि चीन सैन्य रूप से पीछे नहीं हटेगा.
चीन के H-6 बॉम्बर: एक उड़ती चेतावनी
चीन के H-6 बॉम्बर प्लेन, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं, आमतौर पर बेहद संवेदनशील और सुरक्षात्मक ठिकानों पर रखे जाते हैं. इनकी तैनाती उस स्तर के खतरे या इरादे को दर्शाती है, जहां चीन सैन्य मोर्चे पर किसी भी तरह का दबाव सहने को तैयार नहीं दिखता.
ऑस्ट्रेलिया स्थित ग्रिफिथ एशिया इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ पीटर लेटॉन के अनुसार, "चीन इस तैनाती के जरिए यह संकेत दे रहा है कि अगर अमेरिका लंबी दूरी तक हमले की क्षमता रखता है, तो हम भी उसी स्तर की जवाबी ताकत रखते हैं."
Y-20 और KG-500 की मौजूदगी भी दर्ज
बॉम्बर्स के अलावा, उसी सैटेलाइट तस्वीर में चीन के Y-20 भारी कार्गो विमान और एक KG-500 इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर एयरक्राफ्ट को भी देखा गया. ये दोनों विमान चीन की रणनीतिक शक्ति में अहम भूमिका निभाते हैं, खासकर संचार नियंत्रण और साजो-सामानिक आपूर्ति के मोर्चे पर.
जानकारों के मुताबिक, ये विमान 17 मई से 23 मई तक क्षेत्र में सक्रिय रहे और उनकी मौजूदगी को दक्षिण चीन सागर में चीन की "स्थायी सैन्य उपस्थिति" के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है.
दक्षिण चीन सागर: विवादों का समंदर
चीन लंबे समय से दक्षिण चीन सागर पर अपनी सम्प्रभुता का दावा करता आ रहा है, जिसमें फिलीपींस, वियतनाम, ताइवान, मलेशिया, ब्रुनेई और इंडोनेशिया के क्षेत्र शामिल हैं. यह दावा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के विपरीत है, लेकिन बीजिंग लगातार कृत्रिम द्वीपों और सैन्य ठिकानों को स्थापित कर इस दावे को जमीनी हकीकत में बदलने की कोशिश कर रहा है.
अमेरिका का रुख साफ: हम पीछे नहीं हटेंगे
पीट हेगसेथ के फिलीपींस दौरे को अमेरिका की इंडो-पैसिफिक नीति का मजबूत हिस्सा माना जा रहा है. इस दौरान उन्होंने दोहराया कि अमेरिका फिलीपींस की संप्रभुता की रक्षा में पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
इससे पहले भी अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में फ्रीडम ऑफ नेविगेशन ऑपरेशंस के तहत अपने युद्धपोत और फाइटर जेट्स तैनात किए हैं. चीन की नई तैनाती को अमेरिका के इन्हीं कदमों के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है.
राजनयिक प्रतिक्रिया में सन्नाटा, लेकिन हलचल तेज
अब तक न तो चीन का रक्षा मंत्रालय, न ही फिलीपींस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने इस पर कोई आधिकारिक बयान दिया है. वियतनाम, जो कि पैरासेल द्वीप पर अपना दावा करता है, उसने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है. हालांकि, बैकडोर डिप्लोमेसी और खुफिया सतर्कता में तेजी देखी जा रही है.
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