पाकिस्तान को अब अपने ही बोए हुए ज़हर का स्वाद चखना पड़ रहा है. दशकों तक आतंकवाद को ‘रणनीतिक गहराई’ का नाम देकर पालने वाला यह मुल्क आज उन्हीं बंदूकों के निशाने पर है, जिन्हें उसने किसी और के सीने के लिए सजाया था. मगर फर्क सिर्फ इतना है कि अब उन बंदूकों की गोलियां सीधे रावलपिंडी की छाती को छलनी कर रही हैं.
अब तक पाकिस्तानी सुरक्षाबलों पर 1377 हमले
जनवरी से जुलाई तक पाकिस्तान में खून की होली का एक भयावह लेखा-जोखा सामने आया है. सबसे पहले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने खुद अपने हमलों की डिटेल साझा की — आंकड़े, जो किसी युद्ध क्षेत्र की याद दिलाते हैं. TTP के मुताबिक इसने अब तक पाकिस्तानी सुरक्षाबलों पर 1377 हमले किए हैं. इनमें 832 सुरक्षाकर्मी मारे गए, 1108 घायल हुए और 57 को अगवा कर लिया गया. इतना ही नहीं, TTP ने खैबर पख्तूनख्वा के पार जाकर बलूचिस्तान में भी 27 हमले किए हैं — ये दिखाता है कि अब उनकी रेंज सिर्फ एक सूबे तक सीमित नहीं रही.
लेकिन खेल यहीं खत्म नहीं होता. पाकिस्तान की अपनी ही सरकार ने बलूचिस्तान के भीतर आतंकवादी हमलों के जो आंकड़े जारी किए, वो देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था के मरणासन्न हालात बयां करते हैं. 1 जनवरी से 11 जुलाई के बीच 501 आतंकी हमले दर्ज किए गए. इनमें 257 लोग मारे गए और 492 घायल हुए. इन हमलों का सीधा निशाना सुरक्षा बल रहे — जिनमें 332 हमले सुरक्षाबलों पर केंद्रित थे, जिनमें 133 जवान मारे गए और 338 घायल हुए.
यह सब उस वक्त हो रहा है जब बलूचिस्तान के अंदर BLF और BLA जैसे अलगाववादी संगठन भी अपने-अपने 'युद्धवृत्तांत' जारी कर चुके हैं. BLA ने दावा किया कि उन्होंने जनवरी से जून के बीच 284 हमले किए, जिनमें 724 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 373 घायल हुए. इतना ही नहीं, उन्होंने 20 हथियार छीनने, 58 जवानों को बंधक बनाने और 5 सैन्य ठिकानों पर कब्जा करने का भी दावा किया है. BLA की 'मजीद ब्रिगेड' ने ग्वादर, कराची और मच जैसे संवेदनशील शहरों में आत्मघाती हमले किए, जबकि ‘फतह स्क्वॉड’ और ‘STOS’ ने क्वेटा, नुष्की और कलात को ऑपरेशनल ज़ोन में तब्दील कर दिया.
BLA ने छह महीनों में 302 हमले किए
दूसरी तरफ, BLF यानी बलूच लिबरेशन फ्रंट ने भी दावा किया है कि उन्होंने छह महीनों में 302 हमले किए, जिसमें 221 पाकिस्तानी जवानों को मार गिराया और 148 को घायल किया. इन हमलों में BLF ने BLA से ज्यादा हथियार लूटे — आंकड़ों के मुताबिक 131 से ज्यादा.
सबसे अहम बात यह है कि सरकार द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आंकड़े और इन विद्रोही संगठनों के दावे आपस में मेल नहीं खाते. इससे साफ है कि पाकिस्तान के अंदर सूचनाओं को दबाया जा रहा है या फिर सुरक्षाबलों के असली नुकसान को जानबूझकर कम करके दिखाया जा रहा है.
आज पाकिस्तान खुद एक युद्धग्रस्त राज्य की तरह नजर आ रहा है. हर सुबह किसी हमले की खबर से शुरू होती है और हर शाम किसी जनाज़े से. आतंक अब एक 'टूल' नहीं रहा, वो पाकिस्तान की रगों में जहर की तरह फैल चुका है. और शायद अब बहुत देर हो चुकी है, क्योंकि जिन दहशतगर्दों को एक वक्त 'एसेट' कहा जाता था, वे अब राष्ट्र की नींव को खोद रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः SCO की बैठक में अब पाकिस्तान के 'दोस्त' की हेकड़ी निकालेंगे जयशंकर, विदेश मंत्रियों की मीटिंग में होंगे शामिल