SCO की बैठक में अब पाकिस्तान के 'दोस्त' की हेकड़ी निकालेंगे जयशंकर, विदेश मंत्रियों की मीटिंग में होंगे शामिल

    भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर इस वक्त चीन के दौरे पर हैं, जहां वो तिआनजिन शहर में हो रही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल हो रहे हैं.

    Jaishankar with Pakistan friend China in SCO meeting
    एस जयशंकर | Photo: ANI

    भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर इस वक्त चीन के दौरे पर हैं, जहां वो तिआनजिन शहर में हो रही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल हो रहे हैं. यह वही SCO है जिसमें भारत और चीन के साथ पाकिस्तान भी एक अहम सदस्य है. यानी यह मंच उन तीन देशों को एक टेबल पर ला रहा है, जिनके रिश्तों में अक्सर तल्खी रही है.

    दोनों देशों के रिश्तों में एक गहरी दरार 

    जयशंकर का यह दौरा सिर्फ एक नियमित बहुपक्षीय बैठक नहीं है. यह यात्रा उस पृष्ठभूमि में हो रही है जब भारत और चीन के रिश्ते 2020 की गलवान घाटी की झड़प के बाद से लगातार तनाव में हैं. इस सैन्य टकराव ने दोनों देशों के रिश्तों में एक गहरी दरार पैदा कर दी थी. उस वक्त से अब तक कई दौर की सैन्य और राजनयिक बातचीत हो चुकी है, लेकिन भरोसे की दीवार अभी भी पूरी तरह नहीं खड़ी हो पाई है.

    यह जयशंकर की चीन की पहली आधिकारिक यात्रा मानी जा रही है, जिसमें वो एक ऐसे मौके पर पहुंचे हैं जब दोनों देशों के बीच संवाद की खिड़कियां धीरे-धीरे दोबारा खुल रही हैं. SCO की यह बैठक चीन की अध्यक्षता में हो रही है और इसी साल के अंत में होने वाले शिखर सम्मेलन की तैयारियों के तहत इसे बेहद अहम माना जा रहा है.

    इस तीन दिवसीय बैठक में SCO के सभी 10 सदस्य देशों के विदेश मंत्री हिस्सा ले रहे हैं — जिनमें भारत, चीन, रूस, ईरान, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस शामिल हैं. सम्मेलन में मुख्य रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, आतंकवाद और संगठन की भविष्य की दिशा पर चर्चा की जा रही है.

    जयशंकर पहले सिंगापुर की यात्रा पर थे

    भारत-चीन के परिप्रेक्ष्य से देखें तो यह बैठक एक ‘टेस्ट केस’ बन जाती है. क्या बीजिंग और नई दिल्ली इस मंच का उपयोग करके अपने द्विपक्षीय रिश्तों में जमा तनाव को थोड़ा और कम कर सकते हैं? क्या बातचीत की इस खिड़की से दोनों देश एक बार फिर सामरिक संतुलन की ओर बढ़ सकते हैं?

    गौरतलब है कि विदेश मंत्री जयशंकर इससे पहले सिंगापुर की यात्रा पर थे और चीन उनका अगला पड़ाव है. कूटनीतिक रूप से देखें तो यह दौरा भारत की एक्ट ईस्ट नीति के तहत एशिया में अपनी मौजूदगी को फिर से मजबूत करने की कोशिश है.

    बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार की मौजूदगी भी दिलचस्प है. ऐसे वक्त में जब भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में ठंडक है और सीमा पार आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताएं बरकरार हैं, जयशंकर और डार की एक ही मंच पर उपस्थिति अपने आप में एक राजनीतिक संकेत है — भले ही कोई औपचारिक बातचीत न हो.

    ये भी पढ़ेंः ताइवान की जंग में अमेरिका अकेला! ऑस्ट्रेलिया ने किया साथ देने से इनकार, क्या चीन का सामना कर पाएंगे ट्रंप?