आसिम मुनीर के बाद अब एयरफोर्स चीफ... ट्रंप के तलवे चाटने में लगा है पाकिस्तान! भारत को घेरने की तैयारी?

    पाकिस्तान ने अपने वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर को वॉशिंगटन भेजकर संबंधों में गर्मजोशी लाने की कोशिश की है.

    Asim Munir Air Force Chief Pakistan Trump
    आसिम मुनीर | Photo: X

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद जहां पाकिस्तान वैश्विक मंच पर आतंकवाद को लेकर अलग-थलग पड़ चुका है, वहीं उसकी अर्थव्यवस्था भी लगातार गर्त में जा रही है. इसके बावजूद, इस्लामाबाद ने एक बार फिर अमेरिका का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया है. इस बार पाकिस्तान ने अपने वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर को वॉशिंगटन भेजकर संबंधों में गर्मजोशी लाने की कोशिश की है.

    कुछ ही सप्ताह पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी. पाकिस्तान के मीडिया ने उस मुलाकात को “राजनयिक सफलता” की तरह पेश किया था. अब एयर चीफ बाबर के अमेरिकी दौरे ने यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान एक बार फिर अपनी 'दोहरी नीति' को आगे बढ़ा रहा है.

    अमेरिका को फिर अपने पाले में खींचने की कोशिश

    जहीर अहमद बाबर का अमेरिका दौरा करीब एक दशक के बाद हुआ है और इसे अमेरिका-पाकिस्तान रक्षा संबंधों को फिर से सक्रिय करने की एक कड़ी माना जा रहा है. बाबर ने पेंटागन में अमेरिकी वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों और कैपिटल हिल में कई सांसदों से मुलाकात की. इस दौरान तकनीकी सहयोग, संयुक्त सैन्य अभ्यास, खुफिया जानकारी साझा करने और रक्षा परियोजनाओं के विस्तार पर चर्चा हुई.

    पाकिस्तान की कोशिश अब एक बार फिर वही पुरानी राह अपनाने की लगती है, जिसमें वह अमेरिका के साथ रणनीतिक दोस्ती का मुखौटा पहनता है, लेकिन पर्दे के पीछे आतंकियों को पालता रहता है. पाकिस्तान की राजनयिक भाषा में 'शांति' और 'स्थिरता' जैसे शब्दों की भरमार है, मगर ज़मीनी हकीकत इसके ठीक उलट है.

    पाकिस्तान का असली मकसद

    पाकिस्तान की यह नई कूटनीतिक पहल यूं ही नहीं हो रही. इसका मकसद है अमेरिका से हथियार, फंडिंग और सैन्य सहयोग दोबारा हासिल करना. दशकों तक पाकिस्तान ने इसी रणनीति से अमेरिका से अरबों डॉलर की सैन्य मदद हासिल की थी. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ सख्ती के बाद पाकिस्तान काफी हद तक अलग-थलग पड़ गया था.

    अब ट्रंप के साथ जनरल मुनीर की मुलाकात और एयर चीफ बाबर के इस दौरे को देखकर यह साफ है कि पाकिस्तान एक बार फिर से अमेरिका को अपने पक्ष में करने की जुगत में है. इसके पीछे उसकी मंशा है कि वह अंतरराष्ट्रीय दबाव को कम करे और सैन्य एवं आर्थिक सहायता फिर से हासिल कर सके.

    भारत के लिए सीधा संदेश

    भारत के लिए यह समय अत्यधिक सतर्कता का है. पाकिस्तान के इस कूटनीतिक मोड़ को हल्के में लेना भारत की सुरक्षा के लिए घातक हो सकता है. भारत को राजनयिक स्तर पर अमेरिकी नीतियों और पाकिस्तान से उसकी बढ़ती निकटता पर लगातार नजर रखनी होगी. साथ ही, खुफिया और सैन्य स्तर पर भी पाकिस्तान की हर गतिविधि पर पैनी निगरानी जरूरी है.

    अगर अमेरिका पाकिस्तान की तरफ फिर से झुकता है तो इसका असर सिर्फ भारत-अमेरिका सामरिक रिश्तों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा और शक्ति संतुलन पर सीधा प्रभाव पड़ेगा. भारत को इस परिस्थिति में अपने रणनीतिक कदम बेहद सोच-समझकर उठाने होंगे.

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