पश्चिम एशिया की सैन्य शक्ति संतुलन में अब एक नया मोड़ आ गया है. सऊदी अरब ने अपनी वायु सुरक्षा प्रणाली को मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए ‘थाड’ (THAAD) मिसाइल डिफेंस सिस्टम को आधिकारिक रूप से तैनात कर दिया है. इससे सऊदी अरब अब पहले से कहीं ज्यादा मिसाइल हमलों के प्रति सतर्क और तैयार हो गया है.
डील की कीमत करीब 15 बिलियन डॉलर
यह मिसाइल प्रणाली, जिसे ‘टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस’ (THAAD) के नाम से जाना जाता है, अमेरिका की प्रतिष्ठित डिफेंस कंपनी लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित की गई है. सऊदी अरब ने इस प्रणाली को खरीदने का फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान किया था. इस डील की कीमत करीब 15 बिलियन डॉलर थी, जिसके तहत सऊदी अरब को छह अतिरिक्त थाड बैटरियां, 44 लॉन्चर और 360 इंटरसेप्टर मिलेंगे.
हाल ही में जेद्दा से सामने आई तस्वीरों में यह स्पष्ट दिखा कि सऊदी सैनिकों ने थाड सिस्टम की सफल टेस्टिंग और फील्ड ट्रेनिंग पूरी कर ली है और अब यह पूरी तरह से परिचालन में आ चुका है. यह सिस्टम दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइलों को हवा में ही ‘हिट-टू-किल’ तकनीक से नष्ट करने की क्षमता रखता है. यह तैनाती ‘सऊदी विजन 2030’ की रक्षा रणनीति का एक अहम हिस्सा मानी जा रही है, जिसके तहत सऊदी अरब अपनी सुरक्षा जरूरतों को खुद पूरा करने और घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहा है.
2,000 किलोमीटर तक दुश्मन की गतिविधियों को भांपने में सक्षम
थाड सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत इसका रडार है, जो लगभग 2,000 किलोमीटर तक दुश्मन की गतिविधियों को भांपने में सक्षम है. यह प्रणाली 200 किलोमीटर की दूरी और 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को भी सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट कर सकती है. इसका मतलब है कि दुश्मन द्वारा दागी गई मिसाइलें अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही हवा में नष्ट हो जाती हैं.
सऊदी अरब से पहले अमेरिका ने अक्टूबर 2024 में इजरायल में भी थाड सिस्टम की तैनाती की थी. उस समय ईरान ने इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइल हमला किया था, जिसके बाद पेंटागन ने यह कदम उठाते हुए 100 अमेरिकी सैनिकों के साथ यह रक्षा प्रणाली इजरायल भेजी थी. पेंटागन ने इसे अमेरिका की इजरायल के प्रति सुरक्षा प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया था.
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