नई दिल्ली: टेक्नोलॉजी की दिग्गज कंपनी एपल ने संकेत दिए हैं कि वह अपने आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग भारत में ही जारी रखेगी, भले ही अमेरिका की ओर से उस पर दबाव क्यों न डाला जाए. CNN की रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी का फोकस अब राजनीतिक दबाव से हटकर व्यापारिक हितों और वैश्विक रणनीतियों पर है.
बढ़ता हुआ भारत का महत्व
भारत अब एपल के लिए सिर्फ एक बाजार नहीं बल्कि एक प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग हब बनता जा रहा है. कंपनी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, भारत में न केवल कुशल श्रमबल उपलब्ध है, बल्कि सरकार की नीतियाँ और कारोबारी माहौल भी अनुकूल हैं. यही कारण है कि एपल भारत में उत्पादन बढ़ाने के अपने फैसले को लेकर आश्वस्त है.
ट्रंप की चेतावनी के बावजूद बदलाव नहीं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यह कहा था कि अमेरिका में बिकने वाले आईफोन वहीं पर बनाए जाने चाहिए, और यदि ऐसा नहीं हुआ तो कंपनी को 25% आयात शुल्क का सामना करना पड़ सकता है. बावजूद इसके, एपल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस अमेरिका की बजाय भारत और अन्य एशियाई देशों में बनाए रखेगा.
भारत में निर्माण की रफ्तार तेज
वर्तमान में भारत एपल के कुल आईफोन उत्पादन का लगभग 15% हिस्सा तैयार करता है — जो कि लगभग 4 करोड़ यूनिट सालाना है. लेकिन एपल के CEO टिम कुक के अनुसार, अमेरिकी बाजार में बिकने वाले 50% आईफोन अब भारत में बने हैं. उन्होंने यह भी बताया कि एपल की आगामी रणनीति भारत को एक प्रमुख सप्लाई सोर्स के रूप में विकसित करने की है.
वियतनाम बना दूसरे प्रोडक्ट्स का हब
जहां एक ओर भारत में आईफोन का निर्माण बढ़ रहा है, वहीं एपल वॉच, एयरपॉड्स जैसे अन्य उत्पाद वियतनाम में तैयार किए जा रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि एपल चीन पर अपनी निर्भरता कम करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को विविध बनाने के प्रयास में जुटी है.
ट्रंप का नजरिया: घरेलू निर्माण को बढ़ावा
डोनाल्ड ट्रंप 2024 चुनाव अभियान से पहले “मेक इन USA” को दोबारा केंद्र में ला रहे हैं. उनकी रणनीति स्पष्ट है—बड़ी अमेरिकी कंपनियों को देश में मैन्युफैक्चरिंग के लिए बाध्य करना. वे मानते हैं कि इससे अमेरिका में नौकरियां बढ़ेंगी और विदेशी निर्भरता घटेगी.
विश्लेषकों के अनुसार, ट्रंप का ये बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है, जिससे वे घरेलू उद्योगों और मजदूर वर्ग को साधना चाहते हैं.
क्या इसका असर भारत पर होगा?
भारत में टेकिनॉलॉजी सेक्टर के जानकार मानते हैं कि ट्रंप का यह रुख भारतीय मैन्युफैक्चरिंग पर तत्काल प्रभाव नहीं डालेगा, लेकिन अगर ट्रंप 2024 में दोबारा राष्ट्रपति बने और इस नीति पर अमल किया गया, तो भारत से अमेरिका को किए जाने वाले टेक उत्पादों के निर्यात पर असर पड़ सकता है.
हालांकि, भारत की तेजी से बढ़ती उपभोक्ता मांग, सस्ते श्रम और सरकार की PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजनाएं अभी भी विदेशी कंपनियों के लिए आकर्षक बनी हुई हैं.
भारत में क्यों बढ़ रहा है एप्पल का निवेश?
चीन से सप्लाई चेन हटाने की रणनीति
कोविड-19 महामारी, चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध और चीन में लॉकडाउन्स ने एप्पल को यह समझा दिया कि उसकी सप्लाई चेन को विविधता देना जरूरी है. भारत इसके लिए सबसे मुफीद जगह साबित हो रहा है.
सरकारी प्रोत्साहन योजनाएं
भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम जैसे नीतिगत समर्थन ने फॉक्सकॉन, टाटा और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए प्रेरित किया है.
भारत का उभरता स्मार्टफोन बाजार
भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है. यहां लोकल प्रोडक्शन से लागत घटती है और ब्रांड की हिस्सेदारी बढ़ती है. फिलहाल भारत में एप्पल की बाजार हिस्सेदारी लगभग 6-7% है, लेकिन इस निवेश के बाद इसमें तेजी से वृद्धि की संभावना है.
एक्सपोर्ट का हब बनता भारत
एप्पल भारत में बनाए गए लगभग 70% iPhone को एक्सपोर्ट करता है. वित्त वर्ष 2023-24 में एप्पल ने ₹1.49 लाख करोड़ (17.4 बिलियन डॉलर) के iPhone भारत से निर्यात किए हैं. 2024 में यह आंकड़ा ₹1.88 लाख करोड़ (22 बिलियन डॉलर) तक पहुंच सकता है.
स्किल्ड लेबर और इंफ्रास्ट्रक्चर
हालांकि भारत की लेबर फोर्स चीन के मुकाबले कम अनुभवी है, लेकिन इसमें तेजी से सुधार हो रहा है. फॉक्सकॉन और टाटा जैसे पार्टनर अब लोकल टैलेंट को ट्रेन कर रहे हैं और मैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं का विस्तार कर रहे हैं.
भारत बन रहा है iPhone का नया घर
टिम कुक ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि "अमेरिका में बिकने वाले हर दो iPhone में से एक अब भारत में बना है."
उन्होंने आगे कहा कि भारत अब एप्पल के लिए न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग हब है, बल्कि एक रणनीतिक रूप से अहम बाजार भी बनता जा रहा है. कंपनी भारत में न सिर्फ iPhone, बल्कि भविष्य में AirPods, Apple Watch और iPad जैसे प्रोडक्ट्स की भी असेंबली बढ़ाने की योजना बना रही है.
भविष्य की योजना:
फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि मौजूदा रफ्तार बरकरार रही, तो 2026 तक भारत में सालाना 60 मिलियन (6 करोड़) iPhone बनाए जाएंगे, जो मौजूदा उत्पादन क्षमता से दोगुना होगा. इसके साथ ही भारत चीन के बाद एप्पल का सबसे बड़ा उत्पादन केंद्र बन सकता है.
ग्लोबल शिपमेंट और भारत की हिस्सेदारी
IDC की रिपोर्ट बताती है कि 2024 में एप्पल के वैश्विक iPhone शिपमेंट में भारत की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है. जहां पहले चीन का दबदबा था, वहीं अब भारत तेजी से उभर रहा है.
फिलहाल हर 5 में से 1 iPhone अब भारत में बना है, जो 2020 के मुकाबले 400% वृद्धि दर्शाता है.
ये भी पढ़ें- क्या बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस हो सकते हैं गिरफ्तार? इस्तीफे के बीच अटकलें तेज