भारत-पाकिस्तान जंग के बाद अमेरिका ने कसी कमर, PL-15 मिसाइल को काउंटर करने के लिए बना रहा AIM-260

    भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए टकराव ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई सुरक्षा बहस को जन्म दे दिया है.

    America is developing AIM-260 to counter PL-15 missile
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ FreePik

    वॉशिंगटन/नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए टकराव ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई सुरक्षा बहस को जन्म दे दिया है. इस संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने चीन की आधुनिक PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जिसने अमेरिका समेत कई देशों की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है. यही वजह है कि अब अमेरिका ने अपनी नई पीढ़ी की मिसाइल प्रणाली AIM-260 JATM (जॉइंट एडवांस्ड टैक्टिकल मिसाइल) के विकास को तेज़ी से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है.

    इस हाई-टेक मिसाइल प्रोग्राम पर अमेरिका करीब 1 अरब डॉलर से अधिक की भारी भरकम राशि निवेश कर रहा है, जिससे यह साफ हो गया है कि चीन की बढ़ती सैन्य ताकत से मुकाबला करने के लिए अमेरिका अब कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता.

    पाकिस्तान द्वारा PL-15 का उपयोग

    पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जब हाल ही में PL-15 मिसाइलों का उपयोग किया, तो यह पहली बार था जब किसी युद्ध या सैन्य झड़प में चीन की इस आधुनिक मिसाइल को प्रयोग में लाया गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान ने भारत पर करीब 10 PL-15 मिसाइलें दागीं, जिनमें से 9 को भारतीय वायुसेना ने इंटरसेप्ट कर लिया.

    इस सफलता ने जहां भारत की मिसाइल डिफेंस प्रणाली की ताकत को उजागर किया, वहीं यह भी साफ हुआ कि PL-15 जैसे मिसाइल अब केवल एशिया में ही नहीं, बल्कि वैश्विक सैन्य संतुलन के लिए भी चुनौती बन चुके हैं.

    PL-15 और PL-17: चीन की बढ़ती मिसाइल ताकत

    चीन की PL-15 एक बेहद घातक एयर-टू-एयर मिसाइल है, जिसकी मारक दूरी 200 से 250 किलोमीटर तक मानी जाती है. यह मिसाइल आधुनिक AESA रडार से लैस होती है और BVR (Beyond Visual Range) कैटेगरी में आती है, यानी दुश्मन को बिना देखे ही निशाना बनाया जा सकता है.

    इसके अलावा चीन ने हाल ही में PL-17 को भी विकसित किया है, जिसकी रेंज 350 से 400 किलोमीटर के बीच बताई जा रही है. चीन दावा करता है कि PL-17 को विशेष रूप से AWACS, टैंकर एयरक्राफ्ट और बड़े स्ट्रैटेजिक प्लेटफॉर्म्स को गिराने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

    इससे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की चिंताएं और गहरी हो गई हैं, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जहां चीन की सक्रियता दिन-ब-दिन बढ़ रही है.

    AIM-260 JATM: अमेरिका की नई पीढ़ी की मिसाइल

    चीन की मिसाइल चुनौती का जवाब देने के लिए अमेरिका ने AIM-260 JATM (Joint Advanced Tactical Missile) प्रोग्राम को पूरी प्राथमिकता के साथ शुरू किया है. इस मिसाइल को अमेरिका की प्रमुख रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित किया जा रहा है, और इसका मकसद AIM-120 AMRAAM जैसी पुरानी मिसाइलों की जगह लेना है.

    AIM-260 की रेंज 200 किलोमीटर से अधिक बताई जा रही है, लेकिन इसकी असली खासियत है इसकी बहुपरतीय तकनीक और AI इंटीग्रेशन. यह मिसाइल खासतौर पर F-22 रैप्टर, F-35 लाइटनिंग II जैसे स्टेल्थ फाइटर जेट्स के लिए बनाई जा रही है.

    भविष्य में AIM-260 को अमेरिका के 6th जनरेशन फाइटर प्रोग्राम और AI-संचालित ड्रोन स्वार्म्स में भी शामिल करने की योजना है, जिससे यह टेक्नोलॉजी युद्ध के हर मोर्चे पर निर्णायक भूमिका निभा सकेगी.

    अमेरिका का बड़ा निवेश: ये प्रोग्राम क्यों है जरूरी?

    अमेरिका की वायुसेना और नौसेना दोनों ने AIM-260 के विकास और तैनाती के लिए भारी बजट की मांग की है:

    • अमेरिकी वायुसेना ने इस प्रोजेक्ट के लिए 368 मिलियन डॉलर की मांग की है.
    • इसके साथ ही 300 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त राशि “Unfunded Priority List” में मांगी गई है.
    • अमेरिकी नौसेना ने भी 301 मिलियन डॉलर की फंडिंग का अनुरोध किया है.

    इस तरह कुल मिलाकर अमेरिका इस प्रोजेक्ट पर करीब 1 अरब डॉलर का निवेश करने जा रहा है. यह दर्शाता है कि वॉशिंगटन इस खतरे को कितनी गंभीरता से ले रहा है.

    स्वदेशी तकनीक के साथ भारत की तैयारियां

    जहां अमेरिका और चीन अपनी मिसाइलों की होड़ में जुटे हैं, वहीं भारत भी इस दौड़ में पीछे नहीं है. भारत ने स्वदेशी BVR मिसाइलों के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है:

    • Astra Mk-1 और Mk-2 पहले से ही भारतीय वायुसेना में शामिल हो चुकी हैं.
    • Astra Mk-3, जिसकी रेंज 350 किलोमीटर से अधिक बताई जा रही है, फिलहाल विकास के अंतिम चरण में है.
    • साथ ही भारत SFDR (Solid Fuel Ducted Ramjet) टेक्नोलॉजी पर भी काम कर रहा है, जो भारत को अगली पीढ़ी की मिसाइलों में आत्मनिर्भर बनाएगी.

    इसके अलावा भारत और फ्रांस के बीच नेक्स्ट-जेनरेशन फाइटर जेट इंजन और मिसाइल सिस्टम के लिए सहयोग की बात चल रही है, जो आने वाले समय में भारत को और अधिक सामरिक ताकत प्रदान करेगा.

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